याचिका के मुताबिक जब लोगों की नौकरियों पर संकट हो और उनसे आय का साधन छीन लिया गया हो तो सरकार और बैंकों को मानवीय नजरिया अपनाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि नियमित ईएमआई के साथ अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करने का कोई अर्थ नहीं है, इसलिए राज्य का कर्तव्य है कि संकट के इस समय में उधारकर्ताओं को छूट दी जाए.