जमीन अधिग्रहण का मामला कोर्ट में जाने से नोएडा एक्सटेंशन का विकास कार्य ठप हो गया. फ्लैटों की बुकिंग बंद हो गई. अकेले नोएडा एक्सटेंशन में सवा लाख लोगों ने फ्लैट बुक कर रखे थे, उनके मकान का सपना अधर में है.
नोएडा एक्सटेंशन समेत ग्रेटर नोएडा के 40 गांवों के किसानों ने 491 याचिकाएं कोर्ट में डालीं. नोएडा के भी 24 गांवों के किसानों ने याचिकाएं दायर की हैं.
प्राधिकरण ने फैसले पर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. पतवाड़ी का फैसला आते ही ग्रेटर नोएडा व नोएडा के किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी शुरू कर दी.
नोएडा एक्सटेंशन के गांव पतवाड़ी की 589 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को निरस्त कर दिया था. इस फैसले से 11 बिल्डरों के प्रोजेक्ट प्रभावित हुए थे.
गौरतलब है कि अकेले नोएडा एक्सटेंशन में निवेशकों, बिल्डरों व प्राधिकरण का करीब ढाई हजार करोड़ रुपये फंसा हुआ है.
सवा लाख निवेशकों, बिल्डरों, किसानों व प्राधिकरण के भविष्य पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने 30 गांवों पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
नोएडा एक्सटेंशन पर फैसले का इंतजार किसानों, बिल्डरों, निवेशकों व प्राधिकरण के अधिकारियों को लंबे समय से था इसलिए उनकी धड़कनें बढ़ी हुई थीं.
तीन गांवों का अधिग्रहण रद्द करने के अलावा कोर्ट ने बिल्डरों को आदेश दिया है कि वो किसानों को 64 फीसदी मुआवजा और 10 फीसदी विकसित जमीन दें.
हाईकोर्ट ने तीन गांवों में अधिग्रहण को पूरी तरह गलत गैरकानूनी करार देते हुए किसानों की जमीन वापस करने की बात कही.
नोएडा एक्सटेंशन भूमि-अधिग्रहण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है. यह फैसला किसानों के पक्ष में लिया गया है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपी के चीफ सेक्रेटरी को एक अधिकारियों की टीम बनाकर ये भी जांच करने का आदेश दिया है कि आखिर जमीन का गैरकानूनी अधिग्रहण कैसे किया गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर किसानों ने जताई खुशी. किसानों ने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद मिला इंसाफ.
ग्रेटर नोएडा के चक शाहबेरी गांव के कई प्रोजेक्ट अधर में..पंचशील, महागुण और सुपरटेक के निवेशकों के लिए फैसला साफ नहीं.
नोएडा के कई गांवों के प्रोजेक्ट पर आंच नहीं. पतवारी, इथेडा और रोजा याकूब में चलता रहेगा काम
खत्म हुआ नोएडा एक्सटेंशन का टेंशन, देवला, चक शाहबेरी, और असदल्लापुर का अधिग्रहण पूरी तरह से रद्द
उच्च न्यायालय ने 60 गांवों के किसानों को 64 फीसदी ज्यादा मुआवजा देने का आदेश , किसानों को मिलेगा विकसित जमीन का दस फीसदी हिस्सा.
न्यायालय ने यह आदेश भी दिया कि, ‘जब तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नियोजन बोर्ड द्वारा निर्माण की मंजूरी नहीं दी जाती है, क्षेत्र में आगे कोई निर्माण नहीं होगा.’
इलाहाबाद कोर्ट ने यूपी के चीफ सेक्रेट्री को टीम बनाकर जांच का दिया आदेश, हेराफेरी की जांच के बाद मांगी रिपोर्ट.
न्यायालय ने इस बात को गंभीरता से लिया कि जिले में आपात धारा लगाकर ‘नियोजित औद्योगिक विकास’ के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर भूमि का अधिग्रहण किया गया, लेकिन बाद में इसे रिहाइशी परिसरों के निर्माण के लिए निजी बिल्डरों को सौंप दिया गया.
तीन गांवों. देवला, चाक शाहबेरी और असदुल्लाहपुर में रिहाइशी फ्लैटों के मालिक उच्च न्यायालय के इस आदेश से प्रभावित होंगे.
किसानों की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा, ‘प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से एक तरह का माफिया काम कर रहा है क्योंकि जिस तरह से भूमि का अधिग्रहण किया गया, वह अनुचित था.’
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से एक लाख निवेशकों और हजारों किसानों को बड़ी राहत.
उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के तीन गांवों में भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया.
ग्रेटर नोएडा के चक शाहबेरी गांव के कई प्रोजेक्ट अधर में..पंचशील, महागुण और सुपरटेक के निवेशकों के लिए फैसला साफ नहीं.
ग्रेटर नोएडा बिल्डर्स एसोसियेशन ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा ने कहा कि बिल्डरों के लिए भी राहत की बात है.
कोर्ट का फैसला है कि मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक होगा काम.
कई बिल्डरों एवं फ्लैट मालिकों ने भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी थी और न्यायालय से अनुरोध किया था कि प्रतिकूल आदेश से वे बुरी तरह प्रभावित होंगे.
गौरतलब है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के इलाकों का विकास मायावती सरकार की प्राथमिकता सूची में काफी ऊपर रहा है.
उच्च न्यायालय ने 60 गांवों के किसानों को 64 फीसदी ज्यादा मुआवजा देने का आदेश , किसानों को मिलेगा विकसित जमीन का दस फीसदी हिस्सा.
नोएडा एक्सटेंशन जमीन अधिग्रहण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 60 गांवों के किसानों को 64 फीसदी ज्यादा मुआवजा देने का भी आदेश दिया है
इसके अलावा, वे ‘भूमि के इस्तेमाल’ में बदलाव पर भी आपत्ति करते रहे है और उनका कहना था कि जहां सरकारी अधिसूचना में नियोजित औद्योगिक विकास का हवाला देकर भूमि अधिग्रहण किया गया, इसे बाद में बिल्डरों को मकान बनाने के लिए सौंप दिया गया.
नोएडा एक्सटेंशन जमीन अधिग्रहण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 मास्टर प्लान लागू करने को कहा है.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एसयू खान और वीके शुक्ला की पीठ ने जिले में एक दर्जन से अधिक गांवों के 491 किसानों द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया.
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के तीन गांवों में भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया.
अपील करने वाले किसानों के वकील ने कहा, ‘मेरी निवेशकों से पूरी सहानुभूति है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यह विवाद पूरी तरह से किसानों और बिल्डरों के बीच है.’
किसानों की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा, ‘प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से एक तरह का माफिया काम कर रहा है क्योंकि जिस तरह से भूमि का अधिग्रहण किया गया, वह अनुचित था.’
पीठ ने कहा, ‘राज्य के मुख्य सचिव को एक ऐसे अधिकारी जो सचिव के रैंक से नीचे न हो, के जरिए निजी बिल्डरों को भूमि आबंटन की संपूर्ण प्रक्रिया की जांच कराने और इसकी रपट राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया जाता है.’
न्यायालय ने इस बात को गंभीरता से लिया कि जिले में आपात धारा लगाकर ‘नियोजित औद्योगिक विकास’ के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर भूमि का अधिग्रहण किया गया, लेकिन बाद में इसे रिहाइशी परिसरों के निर्माण के लिए निजी बिल्डरों को सौंप दिया गया.
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के इलाकों का विकास मायावती सरकार की प्राथमिकता सूची में काफी ऊपर रहा है.
नोएडा के कई गांवों के प्रोजेक्ट पर आंच नहीं. पतवारी में चलता रहेगा काम
ग्रेटर नोएडा के चक शाहबेरी गांव के कई प्रोजेक्ट अधर में..पंचशील, महागुण और सुपरटेक के निवेशकों के लिए फैसला साफ नहीं.
नोएडा के कई गांवों के प्रोजेक्ट पर आंच नहीं. पतवारी, इथेडा और रोजा याकूब में चलता रहेगा काम.
मुआवजा प्राप्त करने वाले इतारा गांव के किसान सुरेन्द्र यादव ने कहा, ‘हम इस आदेश से संतुष्ट नहीं है. इसमें नया कुछ नहीं. हम यह सौदा दो-तीन महीने पहले कर सकते थे. अगर वे इसे खत्म नहीं करते तो हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे.’
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद याकूबपुर गांव के किसानों ने जश्न मनाया. फैसले के बाद लोगों ने बांटी मिठाई.
न्यायालय ने यह आदेश भी दिया कि, ‘जब तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नियोजन बोर्ड द्वारा निर्माण की मंजूरी नहीं दी जाती है, क्षेत्र में आगे कोई निर्माण नहीं होगा.’
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इन गांवों के प्रभावित किसान अपनी भूमि वापस लेने के पात्र होंगे बशर्ते उन्हें अगर कोई मुआवजा पहले मिल चुका है, तो उसे लौटा दें.
तीन गांवों. देवला, चाक शाहबेरी और असदुल्लाहपुर में रिहाइशी फ्लैटों के मालिक उच्च न्यायालय के इस आदेश से प्रभावित होंगे.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में किसानों ने राज्य सरकार द्वारा 3,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी है.
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के तीन गांवों में भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एसयू खान और वीके शुक्ला की पीठ ने जिले में एक दर्जन से अधिक गांवों के 491 किसानों द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया.