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सीधी जंग में US पड़ेगा भारी, क्या ईरान को मिलेगा रूस-चीन का साथ?

सीधी जंग में US पड़ेगा भारी, क्या ईरान को मिलेगा रूस-चीन का साथ?
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ईरान और अमेरिका के बीच तनाव ने पूरी दुनिया की नींद उड़ाई हुई है, क्योंकि युद्ध कभी किसी का भला नहीं करता. इसलिए अगर ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया को ना चाहते हुए भी इसमें शामिल होना पड़ जाएगा. लेकिन युद्ध तो टाला जा सकता है. (Photo: File)
सीधी जंग में US पड़ेगा भारी, क्या ईरान को मिलेगा रूस-चीन का साथ?
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ईरान-अमेरिका के बीच तनाव इन दिनों चरम पर है. उसका असर भारत पर भी पड़ना शुरू हो गया है. भारत अपनी जरूरत का लगभग पूरा तेल खाड़ी के देशों से ही आयात करता है. कच्चे तेल में तनाव की वजह से उछाल देखा जा रहा है. जाहिर है भारत में तेल की कीमतें बढ़ेंगी.
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भारत और ईरान ने चाहबहार पोर्ट में अरबों रुपये का निवेश किया है, और ईरान से अफगानिस्तान तक सड़क मार्ग का भी निर्माण कराया है. अगर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव नहीं घटता तो भारत के लिए व्यापार के मोर्चे पर भी मुश्किल आ सकती है.
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दरअसल चार दिन के अंदर ईरान ने बदले की कार्रवाई के लिए ठीक उसी वक्त को चुना, जिस वक्त पर शुक्रवार को अमेरिका ने ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स को मिसाइल दागकर मार डाला था. ईरान ने इराक के जिन सैन्य अड्डों को निशाना बनाया. उनमें एक अल असद बेस है, जहां साल 2018 में ट्रंप ने क्रिसमस पर सरप्राइज विजिट की थी.
सीधी जंग में US पड़ेगा भारी, क्या ईरान को मिलेगा रूस-चीन का साथ?
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शुक्रवार को अपने कमांडर सुलेमानी की मौत के बाद जब ईरान की सबसे बड़ी मस्जिद पर लाल झंडा फहराया गया, तभी से साफ था कि ईरान अमेरिका से बदला लेकर रहेगा. ईरान का कहना है कि उसके हमले में 80 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं. लेकिन खुद डोनाल्ड ट्रंप ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान के हमले में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.

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अमेरिका ने ईरान के कमांडर सुलेमानी को मौत के घाट उतारकर ईरान की दुखती रग को छेड़ा, और अब ईरान ने इराक में अमेरिकी सैन्य अड्डों को निशाना बनाकर एक तरह से अमेरिका से जंग का खुलेआम ऐलान कर दिया है. ईरान का दावा है कि मिसाइल हमले में अमेरिकी हेलिकॉप्टर और सैन्य साजो-सामान भी नष्ट हो गए हैं. लेकिन अब ट्रप ने अपने संबोधन में जवाबी कार्रवाई का जिक्र नहीं किया.
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कुल मिलाकर अगर ईरान और अमेरिका के बीच हालात नहीं सुधरते हैं तो इसका खामियाजा सिर्फ इन दोनों देशों को नहीं भुगतना पड़ेगा. दोनों देशों के बीच तनातनी का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
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सुपर पावर अमेरिका और दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी सैन्य ताकत ईरान के बीच सीधे युद्ध की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है. ऐसे में ये समझना भी जरूरी है कि अगर युद्ध हुआ तो अमेरिका के सामने कहां तक टिक पाएगा ईरान. इसका पता दोनों देशों की सैन्य ताकत से लगाया जा सकता है.
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सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले अमेरिका का सैन्य बजट 648 अरब डॉलर से ज्यादा है, जबकि ईरान का सैन्य बजट सिर्फ 13.2 अरब डॉलर है. इस मामले में ईरान अमेरिका के सामने कहीं नहीं ठहरता. (Photo: File)
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ईरान के पास कुल 6 लाख सक्रिय सैनिक हैं. इसके अलावा उसके पास 5 लाख रिजर्व सैनिक भी हैं. दूसरी तरफ अमेरिका के पास करीब 13 लाख सैनिक हैं. इस मामले में ईरान-अमेरिका के साथ बेहतर स्थिति में है. (Photo: File)
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रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान के युद्धक टैंकों, रॉकेट, तोपों और युद्धक वाहनों की कुल संख्या 8577 है, जबकि अमेरिका के मामले में ये संख्या 48 हजार 422 है. यानी ईरान से करीब छह गुना ज्यादा. (Photo: File)
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जहां तक हवाई ताकत की बात है तो ईरान के पास कुल 512 युद्धक विमान और हेलिकॉप्टर हैं. वहीं अमेरिका के पास 10 हजार से ज्यादा युद्धक विमान और हेलिकॉप्टर हैं, यानी 20 गुना ज्यादा. समुद्री ताकत की करें तो ईरान के पास नेवल शिप, पनडुब्बी, माइन वारफेयर की कुल संख्या 398 है. अमरिका के पास ये संख्या 415 है. (Photo: File)
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परमाणु हथियारों के मामले में तो अमेरिका की ईरान से कोई तुलना ही नहीं है. अमेरिका पास कुल 6450 परमाणु हथियार हैं, जबकि ईरान के पास आधिकारिक तौर से एक भी परमाणु हथियार नहीं है. (Photo: File)
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जाहिर है, सीधी जंग में ईरान अमेरिका के आगे कहीं नहीं ठहरेगा. लेकिन जानकार मानते हैं कि अगर अमेरिका न ईरान पर जवाबी हमला करता है तो रूस और चीन ईरान की मदद के लिए आगे आ सकते हैं. रूस की सेना सीरिया में तैनात है. मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन सीरिया पहुंचे थे, जो ईरान का सहयोगी देश है. (Photo: File)
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वहीं सुलेमानी की हत्या की निंदा करने वाले चीन ने भी अपने युद्धपोत ईरान के पास ओमान की खाड़ी में तैनात किए हुए हैं. अगर अमेरिका ईरान पर हमला करता है तो उसे सउदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर और इजरायल जैसे सुन्नी बहुल मुस्लिम देशों का साथ मिल सकता है. (Photo: File)
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