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कोरोना की वजह से नीलामी में देरी, अब 30 जून तक एअर इंडिया की लगेगी बोली

कोरोना की वजह से नीलामी में देरी, अब 30 जून तक एअर इंडिया की लगेगी बोली
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सरकार ने एअर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्लान तैयार कर लिया है. लेकिन कोरोना संकट की वजह से अब सरकार ने एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की समय सीमा को दो महीने बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया है.
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दरअसल, यह दूसरा मौका है जब बोली लगाने की समय-सीमा को बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा है. सरकार ने घाटे में चल रही एअर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को इसकी शुरुआती सूचना का ज्ञापन जारी किया था और 17 मार्च तक बोलियां मांगी गई थी. लेकिन कोरोना की वजह से पहले इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल किया गया था और अब 30 जून कर दिया गया है.
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सरकार के मुताबिक एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी. इसके अलावा एअर इंडिया और SATS की जॉइंट वेंचर कंपनी AISATS में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी. एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी बोली जीतने वाली कंपनी को मिल जाएगा.

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बिक्री की शर्तों के मुताबिक खरीददार को एअर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी. एयरलाइन पर कुल 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज है. यानी करीब 37,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी.

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बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में एअर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था. 7 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
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एअर इंडिया के लिए संभावित बिडर्स में टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कई निजी इक्विटी कंपनियां शामिल हो सकती हैं. एअर इंडिया की नीलामी में शामिल होने के लिए कई विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से साझेदारी कर सकती हैं.
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एअर इंडिया की शुरुआत साल 1932 में टाटा ग्रुप ने की थी. 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी. 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया हुआ था. आजादी के बाद 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ था.
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