लोगों को जीवन में कई बार अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. अचानक नौकरी चले जाने, कोई आपाताकालीन स्थित आ जाने के कारण लोग वित्तीय संकट (Financial Crisis) में फंस जाते हैं. इससे निकलने के लिए लोन का सहारा लेना पड़ता है. आज के डिजिटल दौर में इस बात का फायदा उठाने के लिए कई ऐसे ऐप (Instant Loan Apps) बाजार में आ गए हैं, जो मिनटों में लोन देने का झांसा देते हैं. जरूरतमंद आदमी इनके झांसे में फंस जाता है और फिर उसे कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं. रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बारे में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद ऐसे डिजिटल लोन ऐप्स (Digital Lending Apps) पर शिकंजा कसा है.
रिजर्व बैंक ने लगाई ये पाबंदियां
रिजर्व बैंक ने इस बारे में बुधवार को विस्तार से गाइडलाइन (RBI Guidelines) जारी किया. रिजर्व बैंक ने साफ किया कि सिर्फ बैंकों और शैडो बैंकों को ही लोन देने या उसकी किस्तें वसूल करने का अधिकार है. इसमें थर्ड पार्टी का कोई दखल नहीं होनी चाहिए. लोन देने या कर्ज की किस्तों को लेकर सारे लेन-देन कर्जदारों के बैंक खाते और रेगुलेटेट कर्ज प्रदाताओं के बीच होने चाहिए. ऐप्स को दिए जाने वाले फीस का भुगतान कर्ज देने वाले करेंगे और कर्जदारों के ऊपर इसका बोझ नहीं डाला जाएगा. सिर्फ वही डेटा कलेक्ट किए जाने चाहिए, जिनकी वाकई में जरूरत है और इनका भी क्लियर ऑडिट जरूरी है. बिना ग्राहक की मंजूरी के क्रेडिट लिमिट को नहीं बढ़ाया जा सकता है.
इन कारणों से पड़ी सख्ती की जरूरत
रिजर्व बैंक को डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं. इसके चलते रिजर्व बैंक ने पिछले साल जनवरी में एक समिति गठित की थी. समिति को ऐसे लोन ऐप्स की अनियमितताओं का अध्ययन करने और इनके ऊपर लगाम लगाने के उपायों की सिफारिश करने का काम दिया गया था. दरअसल डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स जितनी आसानी से कर्ज दे देते हैं, उनके जाल से बाहर निकलना उतना ही मुश्किल हो जाता है.
आइए जानते हैं कि मिनटों में लोन पाने के लोभ में इन ऐप्स के चक्कर में फंसने से लोगों को क्या नुकसान होते हैं...