मोदी 3.0 का पहला बजट आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रूस की अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए मॉस्को पहुंच गए हैं. रूस की राजधानी मॉस्को में पीएम मोदी यहां रूसी राष्ट्रपति के साथ 22वें रूस-भारत वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस बीच, दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत की उम्मीद की जा रही है. ऐसे में कुछ चीजों को लेकर डील हो सकती है.
भारत की रूस से दोस्ती इतनी पुरानी है कि रूस और भारत छोटी से लेकर बड़ी चीजों का आयात-निर्यात करते हैं. अक्सर रूस ने संकट के समय भारत की मदद की है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता के बाद भारत में भुखमरी के हालात थे. भारत को गेहूं की जरूरत थी, ऐसे में बहुत से देशों ने मदद नहीं की, लेकिन सोवियत संघ ने औपचारिक समझौता के द्वारा भारत को एक लाख टन गेहूं भेजने का वादा किया. इस डील ने दोनों देशों के संबंधों की मजबूत नींव रखी.
1971 में रूस ने भारत की क्या मदद की?
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने के कारण देश संकट से घिरा था, जिसमें बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की थी. इस युद्ध के दौरान रूस ने भारत को ना सिर्फ पूर्ण समर्थन दिया था, बल्कि रक्षा सहायता भी मुहैया करवाई थी. भारत को कई तरह की रक्षा सामग्री और युद्ध सामग्री भेजी थी. रूस ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान को राजनीतिक समर्थन हासिल करने से रोकने में भी मदद की. अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के स्थान का समर्थन किया और इस युद्ध को विश्व समुदाय में समझाया. माना जाता है कि 1971 में भारत के पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जीत के पीछे रूस की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.
दशकों पुराना है भारत-रूस संबंध
भारत और रूस के संबंध सात दशक पुराने हैं. इस बीच भारत ने रूस के साथ कई डील पूरी की है. भारत और रूस अक्सर एक दूसरे को खुलकर सपोर्ट करते रहते हैं. सोवियत संघ पहला देश था, जिसके साथ भारत ने 13 अप्रैल 1947 को भारत की स्वतंत्रता के चार महीने बाद ही राजनयिक संबंधों की स्थापना की थी. नवंबर 1955 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों के एक नए युग की शुरुआत हुई थी. कश्मीर के मुद्दे पर भारत का रूस ने अक्सर साथ दिया है.
रूस और भारत के बीच व्यापार?
इतने पुराने संबंध के बीच भारत ने रूस से कई डील की है, जिस कारण बहुत सी चीजों को आयात-निर्यात होता है. दोनों देश एक दूसरे से एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स से लेकर तेल, फर्टिलाइजर्स तक के चीजों के प्रोवाइडर रहे हैं. बात करें रूस से भारत आने वाले सामानों की, तो इसमें मिनरल फ्यूल, ऑयल, फर्टिलाइजर्स, पर्ल, कीमती स्टोन और वनस्पति तेल शामिल हैं.
फ्यूल से लेकर ये चीज मंगाता है भारत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने रूस से 2020-21 में 2110.67 मिलियन डॉलर का मिनरल फ्यूल, ऑयल प्रोडक्ट खरीदे थे, जो 2021-22 में बढ़कर 5,250.08 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. इसके अलावा मोती, कीमती पत्थर समेत अन्य धातुओं की खरीद भी बड़े पैमाने पर की गई, FY2020-21 ये 953.18 मिलियन डॉलर का बिजनेस 2021-22 में 1253.42 मिलियन डॉलर का हो गया.
भारत से ये चीज खरीदता है भारत
रूस से भारत आने वाले फर्टिलाइजर्स की खरीद पर भी भारत ने जमकर खर्च किया, जो 2020-21 में 595.98 मिलियन डॉलर से बढ़कर अगले साल 773.54 मिलियन डॉलर हो गया था. इसके अलावा रूस भारत को वनस्पति तेल भी बड़ी मात्रा में निर्यात करता है, 2020-21 में इसका 292.99 मिलियन डॉलर का बिजनेस हुआ था, जो एक साल में 494.13 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया था. वहीं बात करें भारत से रूस को बेचे जाने वाले सामानों के बारे में तो Russia सबसे ज्यादा आयात कृषि और उससे संबंधित प्रोडक्ट्स का करता है. साल 2021-22 में भारत से करीब 3,254 मिलियन डॉलर का सामान रूस भेजा गया था, इसमें एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स का निर्यात करीब 582 मिलियन डॉलर का था.
इस बार मोदी के दौरे पर क्या होगा खास?
व्यापार को लेकर देखें तो पीएम मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान डिफेंस डील पर विस्तार से चर्चा हो सकती है. साथ ही कुछ और सेक्टर्स में निवेश को लेकर बातचीत हो सकती है. भारतीय बैंक संघ (आईबीए) भी पीएम के इस दौरे से काफी उत्साहित है. इस दो दिवसीय दौरे में पीएम मोदी मॉस्को में रहने वाले भारतीय समुदाय के एक ग्रुप को भी संबोधित करेंगे.