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हवाई जहाज के ईंधन से भी महंगा है पेट्रोल-डीजल, आगे और लग सकती है आग 

Petrol diesel price record high: देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत हवाई ईंधन ATF से भी ज्यादा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड सोमवार को 86 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया.

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पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर (फाइल फोटो)
पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ब्रेट क्रू्ड 86 डॉलर/बैरल के करीब
  • आगे भी राहत के आसार नहीं

देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जो महंगाई की आग (petrol diesel price record high) लगी है उसमें अभी राहत की उम्मीद नहीं दिख रही. हालत यह है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें हवाई ईंधन ATF से भी करीब एक-तिहाई ज्यादा हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड सोमवार को 86 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया, जिसकी वजह से आगे भी राहत की उम्मीद कम है. 

गौरतलब है कि सोमवार को पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई इजाफा नहीं हुआ, लेकिन रविवार को ही पेट्रोल और डीजल के दाम 35 पैसे प्रति लीटर बढ़े थे. देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. कई शहरों में पेट्रोल की कीमत तो 110 रुपये लीटर को पार हो गई है. 

हवाई जहाज के ईंधन से भी ज्यादा कीमत 

 पेट्रोल-डीजल की कीमतें एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) यानी हवाई जहाज के ईंधन की कीमतों से भी करीब एक-तिहाई ज्यादा हैं. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 105.84 रुपये है. वहीं एक लीटर डीजल का दाम 94.57 रुपये है. मुंबई में पेट्रोल की कीमत 111.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 102.52 रुपये प्रति लीटर है.

दूसरी ओर अब हालत यह है कि हवाई जहाज का ईंधन एटीएफ अब वाहन ईंधन से करीब 33 फीसदी सस्ता है. दिल्ली में एविएशन टर्बाइन फ्यूल का भाव 79,020 रुपये प्रति हजार लीटर यानी 79 रुपये प्रति लीटर है. वहीं पेट्रोल का दाम 105.84 रुपये प्रति लीटर है. इस तरह वाहन ईंधन के दाम विमान ईंधन की तुलना में करीब एक-तिहाई ज्यादा हैं. 

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आगे और लगेगी आग! 

सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम 86 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया. भारतीय बॉस्केट के लिए जो तेल आता है उसमें ब्रेंट क्रूड का बड़ा हिस्सा होता है. आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो कीमत चल रही है उसका असर भारतीय बाजार में अगले 25-30 दिन बाद दिखता है. इसका मतलब यह है कि अगले दिनों अभी पेट्रोल-डीजल में और आग लग सकती है.

सरकार का तर्क यह है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बाजार के हवाले है और वह कुछ नहीं कर सकती. यानी अंतरराष्ट्रीय दाम के मुताबिक तेल कंपनियां खुद ही दाम तय करती हैं. लेकिन सच यह भी है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा टैक्सेज का होता है, जिसे केंद्र या राज्य सरकारें कम करने का नाम नहीं ले रहीं. 

 

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