चीन (China) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लेकर वर्ल्ड बैंक (World Bank) तक के भारी-भरकम कर्ज के भरोसे चल रहा पाकिस्तान भले ही भारत से टक्कर लेने के दावे करता हो, लेकिन बात चाहे सीमा पर जंग की हो या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबदबे की वो मात ही खाता है. लंबे समय से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे देश (Pakistan Economic Crisis) में आम जनता खाने-पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा के सामनों तक के लिए मोहताज है. तो वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PAK PM Shabaz Sharif) वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान और भारत के बीच तुलना करते नजर आते हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट उसकी पोल खोलने के लिए काफी है. आइए जानते हैं इसमें क्या खास है?
UN की रिपोर्ट और पाकिस्तान की बदहाली
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के गंभीर हालातों के बारे में तस्वीर साफ करते हुए बताया गया है कि देश में 11 मिलियन (1.1 करोड़) से अधिक पाकिस्तानी अब भयंकर भूख का सामना कर रहे हैं और यही नहीं इनमें से बड़ी संख्या में भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. मतलब साफ है कि कंगाल पाकिस्तान के पास अपने लोगों का पेट भरने तक का जुगाड़ नहीं है. पाकिस्तान अपने देश में गहराते खाद्य संकट के बोझ तले दब रहा है. वहीं दूसरी ओर रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि देश ने खुद को संकट के समय दुनिया के लिए एक खाद्य आपूर्तिकर्ता (Global Food Supplier) के रूप में स्थापित किया है.

सिंध से खैबर पख्तूनख्वा तक संकट ही संकट
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा बीते 16 मई को जारी Food Crisis पर 2025 वैश्विक रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों के 68 बाढ़ प्रभावित ग्रामीण जिलों में 1.1 करोड़ पाकिस्तानी लोग (करीब 22% आबादी) गंभीर खाद्य असुरक्षा (Acute Food Insecurity) का सामना कर रहे हैं. 2024 से लेकर 2025 के मौजूदा विश्लेषण के बीच इस आंकड़े में 38% की वृद्धि दर्ज की गई है.
अजीविका के लिए ये बड़ा खतरा
Pakistan में इस गहराए संकट की सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन, गरीबी और राज्य की उपेक्षा से ये ग्रामीण समुदाय तबाही की कगार पर पहुंच चुके हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कुछ जिलों में कुपोषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. 2018 से 2024 की शुरुआत तक वैश्विक तीव्र कुपोषण (GAM) की दर 30% से अधिक हो गई है. यहां ध्यान रहे कि तक कि 10% से ऊपर का GAM स्तर भी आम तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का संकेत देता है और इस हिसाब से पाकिस्तान की स्थिति तो बेहद खराब है.
बलूचिस्तान और सिंध में, जहां लंबे समय से स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग की जाती रही है, कुपोषण एक आम समस्या बन गई है. यहां सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में बच्चे ज्यादा हैं. मार्च 2023 से जनवरी 2024 तक 6 से 59 महीने की उम्र के लगभग 21 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित थे. हालांकि, पिछले साल के चरम से कुछ हद तक सुधार के बावजूद, FAO ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के झटके 2025 में भी आजीविका को बड़ा खतरा पहुंच सकता है.

पैसों की किल्लत से बिगड़ी स्थिति
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, Pakistan में स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच एक बड़ी बाधा बनी हुई है. खस्ताहाल सड़कें, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर विशेष रूप से सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में संकट को और बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा पैसों की किल्लत ने पोषण सुविधाओं को और कमजोर करने का काम किया है. एफएओ ने पाकिस्तान सरकार (PAK Govt) को चेतावनी दी है कि तत्काल हस्तक्षेप के बिना, लगातार जलवायु झटकों और बढ़ती खाद्य असुरक्षा के चलते 2025 में पाकिस्तान का कुपोषण संकट और भी अधिक बिगड़ सकता है.
विदेशों से कर्ज और आतंक पर खर्च
पाकिस्तान में भुखमरी के ये हालात हैं, लेकिन पाकिस्तान की सरकार विदेशों से कर्ज लेकर आम जनता को समस्या से निजात दिलाने के बजाय आतंक को बढ़ावा देने का काम कर रहा है. श्रीनगर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव (Indo-Pak Tension) के दौरान दुनिया के सामने उसका ये चेहरा सामने आया. अगर कर्ज की बात करें, तो पाकिस्तान के ऊपर बाहरी कर्ज बढ़कर 131 अरब डॉलर हो गया और ये इसकी जीडीपी का करीब 42% है. इसमें सबसे बड़ा कर्ज China का है.

यही नहीं पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) सिर्फ 15 अरब डॉलर के आस-पास है और ये तीन महीने के आयात के लिए ही काफी है. वहीं पाकिस्तान 2024 के वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में 127 में से 109वें स्थान पर है. इन आंकड़ों से साफ है कि दशकों से कटोरा लेकर आर्थिक मदद मांगता जा रहा पाकिस्तान इसका उपयोग करके भी अपनी माली हालत सुधारने में नाकाम रहा है. ऐसे में IMF के ताजा लोन से इकोनॉमी में कुछ बदलाव आएगा ये कहना मुश्किल है. बता दें कि आईएमएफ ने लोन देने के साथ ही पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें (IMF 11 New Conditions On PAK) लागू करके उसे बड़ा झटका भी दिया है.