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अब कोविड के भूत को दफन करने और उज्ज्वल भविष्य गढ़ने का वक्त: अरुण पुरी

इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने कहा कि कोविड महामारी ने हमारे सामने नई चुनौतियां और यहां तक कि नई संभावनाएं भी पेश की हैं, जिसके लिए CEOs को नए रास्ते खोजने होंगे और नए सिरे से रणनीति बनानी होगी.

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इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी
इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिजनेस टुडे के माइंड रश कार्यक्रम की शुरुआत
  • इंडिया टुुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी का संबोधन
  • इसमें बेस्ट सीईओ को सम्मानित किया जाएगा

कोविड महामारी ने हमारे सामने नई चुनौतियां और यहां तक कि नई संभावनाएं भी पेश की हैं, जिसके लिए CEOs को नए रास्ते खोजने होंगे और नए सिरे से रणनीति बनानी होगी. अब कोविड के भूत को दफन करने और उज्ज्वल भविष्य गढ़ने का वक्त है. इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने आज बिजनेस टुडे माइंड रश कार्यक्रम के स्वागत भाषण में यह बात कही. 

अरुण पुरी का पूरा संबोधन: 

लेडीज ऐंड जेंटलमेन, 

भारत के प्रमुख बिजनेस कॉन्क्लेव-बिजनेस टुडे के BT माइंडरश में आप सबका हार्दिक स्वागत है. इसमें हम भारत के सर्वश्रेष्ठ CEOs का सम्मान करते हैं. 

हमारे साथ जुड़ने के लिए आप सबका आभार. दुख की बात है कि इस बार यह वर्चुअल करना पड़ रहा है, लेकिन सुरक्षि‍त रहना हमारी प्राथमिकता है. 

यह माइंडरश का आठवां संस्करण है.  

साल 2020 के हमारे संस्करण का थीम था-डिसरप्ट ऑर डाई. दूरदर्शिता के लिहाज से यह कितनी अंतर्ज्ञान वाली बात थी! हम सब अपनी स्मृति के सबसे विनाशक साल में अपना अस्तित्व बचाए रहे. इस साल के माइंडरश की थीम है- ‘महामारी के बाद का प्रतिमान’. सिर्फ एक साल में जिन ज्यादातर चीजों को हम सामान्य समझते थे, वे अचानक असामान्य हो गईं. अब यही न्यू नॉर्मल है. 

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सिर्फ कुछ महीनों में दुनियाभर के लोगों ने न सिर्फ घर से काम करने का समायोजन किया है; बच्चों ने स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हुए अपने क्लासेज किए; हम नियमित रूप से टेलीमेडिसीन का इस्तेमाल करते हुए डॉक्टर्स से सलाह ले रहे हैं और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दुनियाभर की मूवी और टीवी सीरियल देख रहे हैं.  हम ऑनलाइन ही हर चीज की शॉपिंग कर रहे हैं- किराना के सामान से लेकर महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स और यहां तक कि कारों की भी. 

चिंता का पक्ष यह है कि ट्रैवल, टूरिज्म और हॉस्पिटलिटी जैसे सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. ज्यादातर लोगों ने पिछले पूरे साल में न तो प्लेन की सवारी की और न ही किसी लंबी दूरी वाली ट्रेन का सफर. 

PwC द्वारा 699 ग्लोबल CEOs के बीच किए गए एक सर्वे के अनुसार, ज्यादातर सीईओ का यह मानना है कि कोविड-19 महामारी ने रिमोट कोलेब्रैशन, ऑटोमेशन को बढ़ावा दिया है और ऑफिसेज से काम करने वाले लोग कम हो जाएंगे. 

कुल 61 फीसदी सीईओ का कहना है कि भविष्य में उनका बिजनेस मॉडल ज्यादा डिजिटल होगा. यह ऐसा बदलाव है जिसे महामारी ने ही बढ़ावा दिया है. इतने ही सीईओ यह मानते हैं कि पहले के मुकाबले अब वर्कप्लेस पर लोगों की संख्या कम होगी. 

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इसका नतीजा यह है कि साल 2030 तक जिन कई तरह की टेक्नोलॉजी से हमारे जीवन में काफी‍ बदलाव आने की उम्मीद थी जैसे आर्टिफिशि‍यल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वे अब हमारे जीवन में इतनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं जिनकी हमने कल्पना भी नहीं की थी. 
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने कहा था, ‘एंटरप्राइज कस्टमर्स में हमने दो साल का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन दो महीने में ही देख लिया.’ और ऐसे निवेश का असर संकट के बाद काफी लंबे समय तक बना रहेगा. 

इस सबने हमारे सामने नई चुनौतियां और यहां तक कि नई संभावनाएं भी पेश की हैं, जिसके लिए CEOs को नए रास्ते खोजने होंगे और नए सिरे से रणनीति बनानी होगी. अगले कुछ वर्षों में CEOs को काफी कुछ करना होगा. 

वर्क फ्रॉम होम की क्या सीमाएं हैं;

मांग में आयी गिरावट से किस तरह से निपटें;
क्षमता विस्तार की योजना कब बनाएं; 
सामाजिक जवाबदेही और जलवायु परिवर्तन को एकीकृत कैसे करें; 
अपने कर्मचारियों को सुरक्षि‍त और स्वस्थ कैसे रखें;
कार्यस्थल पर विविधता कैसे सुनिश्चित करें; 
उनके पास ऐसे बहुत से सवाल हैं. 

लेकिन अब जब टीकाकरण शुरू हो गया है, अब समय आ गया है कि हम अतीत के कोविड के भूत को दफन करें और आने वाली पीढ़ि‍यों के लिए उज्ज्वल भविष्य का सृजन करें.  इसके लिए बहुत कठोर मेहनत, प्रगतिशील नीतियों, अबाध उद्यमिता और लालफीताशाही को खत्म करने की जरूरत होगी. 

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पहली तिमाही के भारी झटके बाद, जब भारत के जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आयी थी, अर्थवयवस्था ने अब सुधार के संकेत दिखाए हैं. यह अनुमान जाहिर किया गया है कि इस वित्त वर्ष में गिरावट काफी कम 7.5 फीसदी तक रहेगी. 

इस साल दो महीने जीएसटी कलेक्शन ने 1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया है, कारों की बिक्री बढ़ रही है और दुनियाभर में टीकाकरण अभि‍यान चलने से उम्मीद का माहौल है. 

हमारा उद्देश्य सिर्फ यह नहीं होना चाहिए कि कोविड से पहले के दौर को हासिल कर लें. याद रखें करीब 16 तिमाहियों तक जीडीपी ग्रोथ का रफ्तार घटने के बाद यह हमारे हालिया आर्थि‍क इतिहास का सबसे निचला आंकड़ा है. आगे काफी बड़ी चुनौती है. 

बहुत कम समय में ग्रोथ को 8 से 10 फीसदी तक पहुंचाए बिना भारत अपने करोड़ों युवाओं, काफी आकांक्षी मध्य वर्ग और अपने उत्साही उद्यमियों के साथ न्याय नहीं कर सकता.

BT माइंडरश में सम्मानित होने वाले भारत के बेस्ट सीईओ देश के इस युवा और जीवंत देश की असीम आकांक्षा को हासिल करने में मदद करने में महती भूमिका निभाएंगे. 

इस साल ने CEOs की असली जीवटता की परीक्षा ली है. अर्थव्यवस्था के इस अभूतपूर्व गिरावट के दौरान उन्होंने अपनी कंपनियों की कमान किस तरह से संभाली? उन्हें अपने कर्मचारियों को बनाए रखने और नकद प्रवाह के बारे में काफी कठिन निर्णय लेने पड़े. इसके साथ ही उन्हें अपने कर्मचारियों के मनोबल को भी बनाए रखना था क्योंकि वे  एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे थे. 

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जिन लोगों ने इनोवेशन किया और लचीलापन अपनाया वे इस संकट का बखूबी सामना कर पाए. उन्होंने अपना संतुलन नहीं खोया और अपने से जुड़े सभी पक्षों में आशा का संचार किया. 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी महान लीडर्स की तरह उन्होंने सामने से आकर मोर्चा संभाला. यहां हम जिन CEOs को सम्मानित कर रहे हैं, वे ऐसे ही लीडर हैं. 

ऐसे ही एक सीईओ ने तीसरी पीढ़ी के कारोबार को जबरदस्त तरीके से सफल बनाया, वे अप्रासंगिक कारोबार से बाहर हुए और मुख्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आरऐंडडी में निवेश किया. 

एक और सीईओ ने एक प्रख्यात फुटबॉल क्लब से हाथ मिलाया जिसने उन्हें नए बाजारों में मौजूदगी कायम करने में मदद की और वे कर्जों को भी दायरे में रख पाए. 

एक पारिवारिक कारोबारी ने निर्यात मांग को पूरा करने के लिए स्पेशलिटी केमिकल्स में बड़े पैमाने पर क्षमता तैयार पर ध्यान केंद्रित किया.  दूसरी तरफ, एक कंपनी ने स्थापित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया, एक ऐसा दांव जिसकी वजह से मुनाफे में बढ़त हुई. 

मैं आज के सभी विजेता CEOs को बधाई देता हूं जो न केवल अपनी कंपनी में बल्कि अपने उद्योग और पूरे समाज में बदलाव ला रहे हैं.  वे एक परेशान अर्थव्यवस्था में भारी विपरीत परिस्थितियों से जूझे हैं. भारत के बेस्ट CEOs में जगह बनाने के लिए उन्होंने असाधारण नेतृत्व और साहस का प्रदर्शन किया है. 

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वे पूरे देश के दूसरे कारोबारी लीडर्स के लिए भी प्रेरणा बने हैं. हमारी कामना यही है कि उनका कुनबा और फले-फूले. 

बिजनेस टुडे द्वारा जो सत्र होने जा रहे हैं उनमें आपको कई मंथन योग्य विचार, गहरे और दृष्टिपरक संबोधन और कुछ मजेदार तत्व भी मिलेंगे. 

मेरा वादा है कि इससे आपका माइंड रश होगा! धन्यवाद!!!!!!
 

 

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