वित्त मंत्रालय अभी बैंक डिपॉजिट पर बीमा कवर को 5 लाख रुपये की लिमिट से आगे बढ़ाने की संभावना की समीक्षा कर रहा है. इसे बढ़ाने पर सहमति बनती है और अगर आपका बैंक डूबता है, जिसमें आपने पैसा डिपॉजिट किया है तो आपको 5 लाख रुपये से ज्यादा का कवर मिल सकता है. 5 लाख बीमा कवर को पांच साल पहले ही पेश किया गया था.
बिजनेस टुडे के सूत्रों के मुताबिक, संकेत मिला है कि संशोधित जमा बीमा योजना मौजूदा कैलेंडर वर्ष के अंत तक ही शुरू की जा सकती है. डिपॉजिट इंश्योरेंस, बैंक के डूबने की स्थिति में डिपॉजिटर्स को उनकी बैंक सेविंग की एक तय राशि की सुरक्षा प्रदान करता है. 5 लाख रुपये लिमिट यह तय करती है कि बैंक के दिवालिया हो जाने पर भी इतनी राशि तो कम से कम आपको मिलेगी ही मिलेगी.
अभी इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा मंत्रालय
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि संशोधित इंश्योरेंस लिमिट का अभी भी विश्लेषण किया जा रहा है, फिर भी सरकार आधिकारिक घोषणा करने से पहले प्रस्ताव का गहन विचार करेगी. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) डिपॉजिट इंश्योरेंस के मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार है. यह बैंकों से प्रीमियम इकट्ठा करता है, जो अभी 100 रुपये जमा पर 0.12% तय किया गया है.
साल 2020 में बढ़ी थी लिमिट
5 लाख रुपये की मौजूदा बीमा सीमा 1 अप्रैल, 2020 को लागू हुई थी. यह 1 लाख रुपये की पिछली सीमा से काफी ज्यादा है, जो 27 साल से अनचेंज था. यह संशोधन पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक संकट के बाद किया गया है.
इस साल फरवरी में वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू ने पुष्टि की थी कि बीमा सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आखिरी फैसला लिये जाने के बाद भी नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. उनका ये बयान भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को नए लोन जारी करने से रोकने और छह महीने के लिए जमा निकासी को निलंबित करने के तुरंत बाद आया था.
वेबसाइट के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, DICGC ने वित्त वर्ष 24 में 1,432 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया, जो सभी सहकारी बैंकों से संबंधित थे और इसी अवधि में 23,879 करोड़ रुपये का प्रीमियम प्राप्त किया. अभी तक DICGC के पास 1,996 बीमित बैंक रजिस्टर्ड हैं.