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GDP में भारी गिरावट के बाद दूसरा राहत पैकेज लाने की मोदी सरकार की तैयारी तेज

सरकार ने इकोनॉमी के लिए एक और राहत पैकेज देने की तैयारी तेज कर दी है. इस बार छोटे कारोबारी और मध्यम वर्ग के लोगों को फोकस में रखकर राहत पैकेज लाया जा सकता है. गौरतलब है कि कोरोना संकट में केंद्र सरकार पहले करीब 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दे चुकी है. 

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दूसरे राहत पैकेज की वित्त मंत्रालय कर रहा तैयारी
दूसरे राहत पैकेज की वित्त मंत्रालय कर रहा तैयारी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जीडीपी में भारी गिरावट के बाद कवायद तेज
  • इकोनॉमी के लिए दूसरे राहत पैकेज की तैयारी
  • इस बार मिडिल क्लास पर हो सकता है फोकस

जून तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट के बाद सरकार ने इकोनॉमी के लिए एक और राहत पैकेज देने की तैयारी तेज कर दी है. इस बार मिडिल क्लास और छोटे कारोबारी पर फोकस हो सकता है.

सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि इस बार छोटे कारोबारी और मध्यम वर्ग के लोगों को फोकस में रखकर राहत पैकेज लाया जा सकता है. गौरतलब है कि कोरोना संकट में केंद्र सरकार पहले करीब 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दे चुकी है. 

सुब्रमण्यम ने दिये संकेत 

सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने हाल में कहा था कि बहुत जल्द इकोनॉमी के लिए दूसरे राहत पैकेज का ऐलान हो सकता है. उनके बयान के आधार पर यह बात कही जा सकती है कि सरकार दूसरा राहत पैकेज लाने की तैयारी कर रही है. 

अब लॉकडउन खत्म हो चुका है और ज्यादातर राज्यों में इकोनॉमी खुल चुकी है, इसलिए सरकार को लगता है कि यह वक्त दूसरा राहत पैकेज लाने के लिए मुफीद है और इसका अच्छा फायदा मिलेगा.  

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वित्त मंत्रालय में लगातार चल रही बैठकें 

अर्थव्यवस्था को किस तरह पटरी पर लाया जाए इसके लिए वित्त मंत्रालय में पिछले दो महीने से लगातार उच्च स्तरीय बैठकें चल रही हैं. अब जीडीपी के आंकड़ों ने इस प्रयास को और तेज कर दिया है. गौरतलब है कि जून तिमाही में भारत के जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है.

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा गिरावट वाले देशों में है, इसलिए आगे हमारी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां भी बढ़ गई हैं. जानकारों का मानना है कि इस पूरे वित्त वर्ष में भी जीडीपी ग्रोथ नेगेटिव रह सकती है और इसमें करीब 7 फीसदी की गिरावट आ सकती है. 

मांग बढ़ाने की होगी कोशिश

इन बैठकों पर प्रधानमंत्री कार्यालय की भी लगातार नजर है और उसको जानकारी भी दी जा रही है. त्योहारी सीजन करीब है ऐसे में सरकार की सोच यह है कि मांग बढ़ाने की कोशिश की जाए. 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकारी अधिकारी लगातार कॉरपोरेट जगत के प्रमुख लोगों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अगले चरण में आर्थिक सुधार के लिए किस तरह की जरूर होगी. कॉरपोरेट जगत का कहना है कि मांग में कमी ही जीडीपी में भारी गिरावट की प्रमुख वजह है. 

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जीडीपी के आंकड़े आने से पहले ही वित्त मंत्रालय में इस बारे में चर्चा शुरू हो गई थी कि एक दूसरा राहत पैकेज लाया जाए. सभी मंत्रालयों के अधिकारियों ने लॉकडाउन से हुए नुकसान का आकलन किया है.

 

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