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GST 3.0 का हिंट, रेट कट का आम आदमी को लाभ देने का प्लान... वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक्सक्लूसिव बातचीत में जीएसटी को 'गुड एंड सिंपल' टैक्स बताया. उन्होंने विपक्ष की ओर से GST को गब्बर सिंह टैक्स कहने को लेकर हमला बोला और कहा कि आज 91 फीसदी टैक्स लगाने वाले GST का श्रेय ले रहे हैं. बातचीत के दौरान वित्त मंत्री ने जीएसटी 3.0 के संकेत भी दिए.

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वित्त मंत्री सीतारमण ने पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी से बाहर रखने की वजह बताई (Photo- ITG)
वित्त मंत्री सीतारमण ने पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी से बाहर रखने की वजह बताई (Photo- ITG)

जीएसटी दरों में ऐतिहासिक कटौती के ऐलान के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ टैक्स सुधार और आम जनता को मिली राहत पर विस्तार से चर्चा की, बल्कि आगे की आर्थिक चुनौतियों, महंगाई नियंत्रण, निवेश बढ़ाने और रोजगार सृजन जैसे अहम मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी को 'गुड एंड सिंपल' टैक्स बताया. उन्होंने कहा कि जीएसटी गुड है, सिंपल है. इसमें कोई शक नहीं है. जीएसटी आने से पहले हर राज्य में अलग-अलग कानून थे. उन सबको मिलाकर एक जीएसटी बना. सभी टैक्स को मिलाकर एक जीएसटी बनाया गया. जीएसटी से पहले राज्यों में चीजों का जो रेट था, जीएसटी लागू करते समय उस रेट के आसपास ही जीएसटी का रेट बनाया गया. दोनों रेट में बहुत अंतर नहीं था. पढ़ें- वित्त मंत्री के खास इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें-

ट्रंप टैरिफ की वजह से फैसला नहीं लिया: सीतारमण

कई विशेषज्ञों के साथ-साथ विपक्षी नेताओं ने भी सवाल उठाया है कि क्या ये सुधार ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के मद्देनजर पेश किए गए हैं. इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा, "हम डेढ़ साल से ज़्यादा समय से जीएसटी में व्यापक बदलाव पर काम कर रहे हैं. यह ट्रंप के टैरिफ की वजह से नहीं है. यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और ये सुधार अंतरराष्ट्रीय विकास के बजाय घरेलू ज़रूरतों से प्रेरित हैं."

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GST को गब्बर सिंह टैक्स कहने को लेकर पलटवार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की ओर से GST को गब्बर सिंह टैक्स कहने को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आज 91 फीसदी टैक्स लगाने वाले GST का श्रेय ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की ओर से जीएसटी को समर्थन मिल रहा है वही काफी है. 'गब्बर सिंह टैक्स' बोलने वाले आज इसका श्रेय लेने में जुटी है. ये बात मुझे समझ नहीं आया कि जो कांग्रेस पार्टी इंदिरा गांधी के समय इनकम टैक्स पर 91 फीसदी टैक्स लेती थी वो आज GST को बेहतर बनाने की क्रेडिट ले रही है. उनके जमाने के सरकार में अगर कोई 100 रुपये कमाता था तो 91 रुपये टैक्स लगता था.

GST 2.0 का लोगों को कैसे मिलेगा लाभ?

यह सवाल बना हुआ है कि क्या व्यवसाय वास्तव में जीएसटी कटौती का लाभ खरीदारों तक पहुंचाएंगे? निर्मला सीतारमण ने इन चिंताओं का समाधान करते हुए बताया कि सरकार ने राज्य प्राधिकरणों और उद्योग प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचें. उद्योगों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे इसका लाभ उन तक पहुंचाएंगे.

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उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया पर नज़र रखने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) अगले एक से डेढ़ महीने तक यह निगरानी करेगा कि दरों में कटौती का असर मौजूदा उपभोक्ता कीमतों पर दिख रहा है या नहीं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हितधारकों से बात कर रहे हैं कि लाभ वास्तव में ग्राहकों तक पहुंचें. और अधिकांश उद्योग हितधारकों ने आश्वासन दिया है कि वे लाभ उन तक पहुंचाएंगे. लाभ पहुंचाने में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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पेट्रोल और डीज़ल जीएसटी से बाहर क्यों?

जीएसटी में व्यापक बदलावों के बावजूद पेट्रोल और डीज़ल जीएसटी से बाहर हैं. सीतारमण ने इसकी वजह बताई. उन्होंने कहा, "हमने जानबूझकर इस प्रस्ताव में पेट्रोल और डीजल को शामिल नहीं किया. कानूनी तौर पर, हम तैयार हैं, लेकिन यह फैसला राज्यों को लेना होगा."

दरअसल, वर्तमान में, ईंधन पर उत्पाद शुल्क (केंद्र द्वारा) और वैट (राज्यों द्वारा) के माध्यम से कर लगाया जाता है. दोनों सरकारें इस राजस्व पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिससे जीएसटी में बदलाव एक संवेदनशील और जटिल मामला बन जाता है. ईंधन को फिलहाल इससे बाहर रखकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि न तो केंद्र और न ही राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो.

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एजुकेशन इंस्टीट्यूट पर क्यों नहीं घटा टैक्स?

इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक छात्रा ने सवाल क्या कि पढ़ाई महंगी हो गई है. इस हिसाब से जीएसटी 2.0 में एजुकेशन इंस्टीट्यूट की फीस का टैक्स क्यों नहीं घटाया गया है. इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जहां पर वास्तविक शिक्षा दी जा रही है, उन संस्थानों पर सरकार ने टैक्स का बोझ नहीं बढ़ाया है. लेकिन जो संस्थान पूरी तरह व्यावसायिक (कमर्शियल) स्तर पर चल रहे हैं, जैसे कोचिंग सेंटर या ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, उन्हें शैक्षणिक संस्थानों की श्रेणी में नहीं रखा गया है. सीतारमण ने साफ किया कि कोचिंग को कर्मशियल शिक्षा माना माना जाता है. वहीं, स्कूलों पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाता.

हेल्‍थ-टर्म इंश्‍योरेंस पर GST छूट का लाभ लोगों को मिलेगा?

GST कटौती के बाद सवाल उठ रहा है कि क्‍या इंश्‍योरेंस प्रीमियम भुगतान पर जीएसटी के तहत मिले छूट का लाभ मिलेगा? इसपर स्‍पष्‍ट करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीमा कंपनियों और इंश्‍योरेंस इंडस्‍ट्री से लेकर बातचीत के बाद ही इसे जीएसटी से छूट दी गई है. इसका लाभ लोगों तक लाभ पहुंचाने के लिए कहा गया है.

उन्होंने कहा कि पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनियों को आगे आकर कहना चाहिए कि हम लाभ लोगों को देंगे. ऐसे में प्राइवेट सेक्टर इंश्योरेंस कंपनी को भी ये करना चाहिए. टैक्स कटौती लोगों के लिए है, कंपनी के लिए नहीं. अगर इसके खिलाफ कंपनी कुछ करती हैं तो उसके खिलाफ बात करके हम काम करेंगे.

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जीएसटी 3.0 की के दिए संकेत

वित्त मंत्री ने बताया कि 2017 में शुरू किया गया जीएसटी 1.0 एक राष्ट्र, एक टैक्स के तहत राष्ट्र को एकीकृत करने के लिए था. उन्होंने कहा कि जीएसटी 2.0 सरलता पर केंद्रित है, और उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में जीएसटी 3.0 और भी सुधार ला सकता है.

सीतारमण ने जोर देकर कहा कि व्यवसायों को कम टैक्स का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना चाहिए. उन्होंने कहा, "22 सितंबर के बाद यह हमारे लिए एक बड़ा निगरानी कार्य है. कम दरें लोगों तक पहुंचनी चाहिए. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर भी कड़ी नज़र रखी जाएगी."

उन्होंने कहा, "मेरे लिए, सरलता को बढ़ावा देना जरूरी है. और यह हर उपभोक्ता को प्रभावी रूप से महसूस होना चाहिए. इसलिए, मैं इसके लिए काम कर रही हूं. और कुछ सालों बाद, हम इस बारे में बात कर पाएंगे कि तीसरा चरण कैसा हो सकता है."

'टैरिफ और जीडीपी ग्रोथ से जीएसटी कटौती का संबंध नहीं'

टैरिफ का जीडीपी पर असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में जीएसटी का कम करना, क्या इससे जुड़ा है? इस सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है. आर्थिक स्थिति, कोरोना की चुनौतियों के बीच 8 साल के अनुभव से नया जीएसटी बना है. हम पांच साल के अंदर ही ऐसा करना चाहते थे लेकिन हो नहीं सका. इसका मकसद लोगों पर दवाब कम करना भी है. इसका टैरिफ या जीडीपी ग्रोथ से कोई संबंध नहीं है.

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'वन नेशन वन जीएसटी अभी मुमकिन नहीं'

क्या केंद्र सरकार वन नेशन वन जीएसटी का फॉर्मलूा लागू करेगी? इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तो नहीं लेकिन शायद कभी आगे चलकर ऐसा कर दिया जाए. हालांकि इसकी अभी कोई समय सीमा तय नहीं है. देश में जिस तरह का विकास हो रहा है. अलग-अलग जगह का विकास अलग है. सब जगहों को समान रूप से नहीं देखा जा सकता है. कोई ज्यादा विकसित है तो कोई कम. विकसित क्षेत्रों में अधिक टैक्स वाले सामान खरीदे जा सकते हैं जबकि कम विकसित में ऐसा नहीं है.

उन्होंने अरुण जेटली द्वारा दिए गए उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि क्या मर्सडीज कार और हवाई चप्पल पर समान रूप से टैक्स लगाया जा सकता है? नहीं, क्योंकि कार वाला अधिक टैक्स दे सकता है लेकिन चप्पल वाला नहीं. इसलिए वन नेशन वन जीएसटी अभी लागू करना मुमकिन नहीं है.

'यह बिहार नहीं, देश के 140 करोड़ लोगों का मैनिफिस्टो'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया कि क्या यह GST कट बिहार चुनाव में बीजेपी का मैनिफेस्टो है? इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह बिहार नहीं, देश के 140 करोड़ लोगों का मैनिफिस्टो है. सरकार ने जीएसटी में बदलाव का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया गया है.

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वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी का इतना बड़ा परिवर्तन और हर चीज में रेट का बदलाव करने के लिए इंडस्ट्री और ट्रेडर्स से बात कर रहे हैं कि वो रेट कट को सच में जनता तक पहुंचाएं, क्योंकि कई सवाल उठ रहे हैं कि कंपनियां रेट कट को जनता तक नहीं पहुंचाते हैं. कुछ न कुछ बहाने बनाकर पैसा बनाते रहते हैं और लोगों को लाभ नहीं मिलता. उस पर हम काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव बहुत उम्मीद के साथ की गई है, जो नवरात्रि से ही लोगों को खरीदारी पर दिखने लगेगा. उदाहरण के तौर पर 100 रुपये में पहले जो एक समान मिलता था, उसमें अब डबल समान खरीद सकता है.

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