बीटी इंडिया@100 शिखर सम्मेलन का आयोजन शुक्रवार को हुआ और इसमें योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया (Montek Singh Ahluwalia) भी शामिल हुए. उन्होंने टैरिफ टेंशन (Tariff Tension) को लेकर बड़ी बात कही. अहलूवालिया ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ युद्ध (Trump Tariff War) ने भले ही ग्लोबल ट्रेड की रूपरेखा को तहस-नहस करने का काम किया हो, लेकिन भारत के लिए ये समय उसके संरक्षणवाद के रास्ते पर चलने का नहीं, बल्कि यह समय अपनी रणनीति बदलने का है.
'ट्रंप ने ग्लोबल ट्रेड को ध्वस्त किया'
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अहलूवालिया ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने नियम-आधारित वैश्विक व्यापार व्यवस्था को ध्वस्त करने का काम किया है. इससे अमेरिका को अभी नुकसान नहीं दिखेगा, लेकिन इन शुल्कों का पूरा असर अभी महसूस किया जाना बाकी है. ऐसे समय में भारत को क्या करना चाहिए इस सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि, 'नकल मत करो, सिर्फ इसलिए कि अमेरिका धौंस जमा रहा है, इसका मतलब यह नहीं कि हमें भी वैसा ही करना चाहिए.'
टैरिफ वॉर में भारत के पास क्या विकल्प?
अहलूवालिया ने कहा कि यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, जापान, ये सभी अमेरिका के साथ ही चल पड़े हैं. हमारे पास भी ये विकल्प बचते हैं कि क्या हम भी अमेरिका के साथ चलें या अपना रास्ता खुद बनाएं? उन्होंने गैर-अमेरिकी दुनिया की बात करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करना चाहिए, ब्रिटेन के साथ समझौते को आगे बढ़ाना होगा और CPTPP में शामिल होने पर गंभीरता से विचार करना होगा, जो एक ओपन, नियम-आधारित ट्रेड ग्रुप है जिसमें जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इससे यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारत वैश्विक व्यापार के लिए प्रतिबद्ध है.
6.5% की इकोनॉमिक ग्रोथ काफी नहीं
China के साथ व्यापार में अहलूवालिया ने सेफ्टी टेंशन को स्वीकार करते हुए कहा कि रणनीतिक चिंताएं कुछ इंपोर्ट को सीमित कर सकती हैं, लेकिन हमें द्विपक्षीय व्यापार घाटे पर ध्यान केंद्रित करने की ट्रंप जैसी गलती नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने पर अर्थशास्त्र के 101 में शून्य अंक मिलेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने इंडियन इकोनॉमी को लेकर कहा कि वर्तमान में जो हालात हैं, हम 1991 जैसे संकट में नहीं हैं, लेकिन 6.5% की वृद्धि दर से रोजगार या विकासशील भारत का विकास नहीं होगा. इसके लिए हमें 9% की Growth Rate चाहिए और हमें नई रणनीति की जरूरत है.