बजट में टैक्स को लेकर कई बदलाव हुए थे. आम आदमी के लिए न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया गया था तो वहीं प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन को समाप्त कर दिया गया था. इसके आलावा, शेयर बाजार में निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी बढ़ाया गया था. साथ ही बजट में एनआरआई के लिए भी टैक्स संबंधी बदलाव हुए थे. अगर आप एक NRI हैं तो बजट 2024 के बाद टैक्स कैलकुलेशन बदल चुका है. आइए समझते हैं एक एनआरआई पर कैसे टैक्स लगेगा?
NRI के लिए भारत में टैक्सेशन अक्सर एक भूलभुलैया की तरह रहा है. चाहे वह कैपिटल गेन, प्रॉपर्टी लेनदेन से निपटना हो या यह समझना हो कि किस एनआरआई पर ये लागू होंगे. एक एनआरआई वह व्यक्ति होता है जो एक वित्तीय वर्ष में 182 दिनों से ज्यादा समय तक भारत से बाहर रहता है या पिछले साल वित्तीय वर्षों में 365 दिनों से ज्यादा समय तक भारत से बाहर रहा है या फिर चालू वर्ष में भारत में 60 दिनों से कम समय बिताया है.
एनआरआई के लिए क्या है टैक्स नियम?
भारत के निवासियों की तरह ही अनिवासियों (NRI) पर भी भारत में प्राप्त आय पर टैक्स लगाया जाता है. हालांकि एनआरआई की ग्लोबल इनकम पर तबतक टैक्स नहीं लगता है जबतक कि वे भारतीय टैक्स कानूनों के तहत निवासी के तौर पर योग्य नहीं हो जाता. इससे अक्सर भ्रम की स्थिति बन जाती है. खासकर नए बदलाव के बाद तो और भी कंफ्यूजन बढ़ चुका है.
बजट में एनआरआई के लिए क्या हुआ बदलाव?
एक्सपर्ट्स इनपुट के आधार पर, बजट 2024 में एनआरआई के लिए कुछ प्रमुख बदलाव हुआ है. सिंघानिया एंड कंपनी की पार्टनर रितिका नैयर के मुताबिक, अगर एनआरआई भारत के निवासी बन जाते हैं तो उनकी ग्लोबल इनकम पर टैक्स लगाया जाना जारी रहेगा. नैयर ने कहा कि बजट 2024 में नई कर व्यवस्था चुनने वालों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है. इससे NRI के लिए कुल टैक्स देनदारी को कम करने में कुछ राहत मिलती है.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर हाई टैक्स
स्टॉक, इक्विटी म्यूचुअल फंड या बिजनेस ट्रस्ट में निवेश करने वाले NRI के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के रेट्स 15% से बढ़कर 20% हो चुकी है, जो 23 जुलाई 2024 से प्रभावी है. यह बढ़ोतरी बाजार में निवेशित एनआरआई को प्रभावित कर सकती है.
इकोनॉमिक लॉज प्रैक्टिस के पार्टनर मितेश जैन के मुताबिक, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की दर में 33% की वृद्धि हुई है, जो NRI को शॉर्ट टर्म व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने से प्रभावित कर सकती हैं. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन के बीच का अंतर 5% से बढ़कर 7.5% हो गया है, जिससे यह त्वरित लाभ के लिए कम आकर्षक हो गया है.
LTCG टैक्स पर रेट्स
बजट 2024 में एक महत्वपूर्ण बदलाव NRI के लिए LTCG टैक्स रेट को लेकर हुआ है, जो 12.5% कर दिया गया है. यह टैक्स कैलकुलेशन को सरल बनाता है. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 से कोई भी परिसंपत्ति शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म के लिए रखते हैं तो उसे सुव्यवस्थित किया गया है. लिस्टेड प्रॉपर्टी के लिए 12 महीने से ज्यादा रखने पर लॉन्ग टर्म में रखा जाएगा, जबकि बाकी प्रॉपर्टी के लिए यह सीमा 24 महीने है.
LTCG छूट की सीमा बढ़ी
एक और राहत इक्विटी शेयरों या यूनिटों की बिक्री पर LTCG के लिए छूट सीमा में बढ़ोतरी की गई है. इसे 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है, हालांकि टैक्स की दर भी 10% से बढ़कर 12.5% हो गई है.

हटा दिया गया इंडेक्सेशन
एनआरआई के लिए सबसे बड़ा झटका इंडेक्सेशन ( Indexation) लाभ को हटाना है, जो एक ऐसा उपकरण है जो महंगाई दर के हिसाब से किसी भी प्रॉपर्टी को सेल करने पर उसकी वैल्यू को एडजस्ट करता था और फिर बचे हुए अमाउंट पर LTCG टैक्स लगाया जाता था. सिंघानिया एंड कंपनी की पार्टनर रितिका नैयर बताती हैं कि अनिवासी अब इंडेक्सेशन का लाभ नहीं उठा सकते, जिसके परिणामस्वरूप उन पर टैक्स की देनदारी बढ़ जाती है. आइए उदाहरण से समझते हैं पूरा गणित...
A, जो एक NRI हैं ने 2001 में 15 लाख रुपये में एक संपत्ति खरीदी और 2024 में इसे 80 लाख रुपये में बेच दिया. यानी A को 54.45 लाख रुपये का प्रॉफिट हुआ. इंडेक्सेशन के साथ LTCG 25.55 लाख रुपये होगा, जिसपर 20% टैक्स लगेगा. इसका मतलब है कि इन्हे 5.11 लाख रुपये टैक्स देना होता. नई व्यवस्था (इंडेक्सेशन के बिना) एलटीसीजी 65 लाख रुपये होंगे, जिसपर 12.5% टैक्स लागू होगा. यानी टैक्स के तौर पर कुल 8.12 लाख रुपये देने होंगे. यहां नई टैक्स व्यवस्था में ज्यादा टैक्स देना होगा.
वहीं अगर A ने 2024 में 1.25 करोड़ रुपये में एक और संपत्ति बेची. पुरानी व्यवस्था के तहत एलटीसीजी 70.55 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत टैक्स लागू होगा. यानी कुल 14.11 लाख रुपये लाख रुपये टैक्स के तौर पर देना होगा. नई व्यवस्था के तहत एलटीसीजी पर 1.10 करोड़ रुपये पर 12.5% टैक्स लागू होगा, जिसके तहत 13.75 लाख रुपये टैक्स देना होगा. यहां नई व्यवस्था में ज्यादा टैक्स बचेगा.
NRI निवेशकों पर क्या होगा असर?
जैसा कि मितेश जैन ने बताया, एनआरआई को लिस्टेड शेयरों और प्रतिभूतियों से लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन दोनों पर हाई रेट मिलेंगी. लॉन्ग टर्म टैक्स की दर 10% से बढ़कर 12.5% हो गई है, जबकि शॉर्ट टर्म रेट 15% से बढ़कर 20% हो गई हैं. यह बढ़ोतरी शॉर्ट टर्म के लिए निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अचल संपत्ति हमेशा से ही अनिवासी भारतीयों के लिए पसंदीदा निवेश रहा है, लेकिन इंडेक्सेशन हटाने और एक समान टैक्स रेट के कारण टैक्स स्ट्रक्चर बदल जाता है, जिसके के तहत निवेशकों पर ज्यादा टैक्स का भार बढ़ सकता है.
बायबैक टैक्स समाप्त
वित्त अधिनियम (सं. 2) 2024 में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन 1 अक्टूबर, 2024 से बायबैक टैक्स को समाप्त करना है. हालांकि, इस डेट के बाद बायबैक से प्राप्त राशि पर डिविडेंड के रूप में टैक्स लगाया जाएगा. मितेश जैन ने बताया कि इससे निवेशकों के लिए कैश फ्लो में बढ़ोतरी होगी, लेकिन हाई टैक्स ब्रैकेट में आने वाले अनिवासी भारतीयों को अधिक टैक्स का सामना करना पड़ेगा, जो बायबैक पर 20% से बढ़कर 30% हो जाएगा.
एक्सपर्ट्स की राय
सरल शब्दों में कहें तो बजट 2024 में किए गए बदलाव NRI के लिए राहत और चुनौतियों का मिश्रण पेश करते हैं. इंडेक्सेशन और हाई टैक्स रेट को हटाने से टैक्स देनदारियों में इजाफा होने की संभावना है, लेकिन बढ़ी हुई छूट और सरलीकरण टैक्स स्लैब जैसे कुछ लाभ कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं.