छोटे और मंझोले किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये प्रतिवर्ष देने की बजट में घोषणा के बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या इसके साथ किसानों को सब्सिडी मिलेगी. इसका समुचित जवाब नहीं मिल पा रहा था लेकिन अमेरिका में इलाज करा रहे केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि किसानों को इनकम सपोर्ट और सब्सिडी साथ-साथ मिल सकती है. उन्होंने किसानों को इनकम सपोर्ट दिए जाने की कांग्रेस की आलोचना पर कहा कि विपक्षियों की कई राज्यों में सरकारें हैं उन्हें यह स्कीम वहां लॉन्च करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा हमारी स्कीम की आलोचना हो रही है लेकिन जब वो सत्ता में थे तो क्या किया?
अमेरिका इलाज कराने गए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने भी अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया दी है. विपक्ष के कई नेताओं द्वारा किसानों के लिए राहत की रकम कम होने का मुद्दा उठाने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष को किसानों के लिए घड़ियाली आंसू नहीं बहाने चाहिए. अरुण जेटली ने सवाल किया कि कांग्रेस ने 10 साल सत्ता में रहने पर क्या किया? बस एक बार 70 हजार करोड़ की कर्ज माफी? कैग की रिपोर्ट थी कि केवल 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ हुआ और यह पैसा भी किसानों को नहीं मिला, ट्रेडर्स और बिजनेसमैन के पास चला गया.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार ने मात्र 17 रुपये रोजाना किसानों को दिए हैं और ये उनकी मेहनत का अपमान है. जेटली ने हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष की भी देश में कई सरकारें हैं अब उन्हें भी ऐसी स्कीम की घोषणा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि दूसरी सरकारें भी ऐसी घोषणा करेंगी.#WATCH New York: Arun Jaitley reacts on opposition's criticism of #Budget2019 pic.twitter.com/s8MXECgrrU
— ANI (@ANI) February 1, 2019
अमेरिका के न्यूयॉर्क से अरुण जेटली ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO)के नौकरी से जुड़े आंकड़ों पर भी सफाई दी और इसे पूरा झूठ करार दिया. जेटली ने कहा, "ये मात्र एक ड्राफ्ट था जिसे अप्रूव नहीं किया गया था" केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अगर हमारी जीडीपी की वास्तविक बढ़ोतरी दर 7.5 फीसदी है...और मुद्रा स्फीति 4 से 4.5 प्रतिशत है..." उन्होंने अर्थव्यवस्था के आंकड़े को समझाते हुए कहा, 'जिस तेजी से हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है उस हालत में ये कहना कि नौकरी नहीं पैदा हो रही है...गलत होगा." जेटली ने कहा कि अगर नौकरी नहीं होती तो सामाजिक आंदोलन और विद्रोह पैदा होता, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है...और हमारा पूरे पांच साल का पीरियड शांति भरा रहा है, इसलिए नौकरी पैदा नहीं करने के दावे को मैं पूरी तरह से खारिज करता हूं.'
अरुण जेटली ने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्यों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के लिए जो पैसा दे रही है वो बहुत बड़ी रकम है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कर्ज माफी के रूप में 52 हजार करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन ये पहले ही साल में 75000 करोड़ हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में ये और भी बढ़ेगा. जेटली ने कहा कि इनकम सपोर्ट और सब्सिडी एकसाथ मिल सकती है. आलोचना करने वाले राज्यों को किसानों को योजनाओं का लाभ देना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब बजट में बहुत अधिक नकारात्मकता नहीं है तो इसके प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं.#WATCH New York: Arun Jaitley reacts to media reports that National Sample Survey Organisation (NSSO) data was leaked which stated that unemployment was at a record high. pic.twitter.com/Hzm367PSGh
— ANI (@ANI) February 1, 2019
जेटली ने कहा कि हमने क्या किया ये देखिए- ग्रामीण इलाकों में 91 फीसदी सड़कें पूरी हो गईं. 2022 तक ग्रामीण इलाकों में हर किसी के पास घर होगा. आज गांवों में 98.7 फीसदी लोगों के पास शौचालय हैं. हर घर में बिजली है, लोगों को गैस कनेक्शन दिए गए हैं.
कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों द्वारा परंपरा के खिलाफ जाकर पूर्ण बजट पेश करने के आरोपों पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 में चिदंबरम ने भी कई उत्पादों पर ड्यूटी में कटौती की थी, इसमें इंजीनियरिंग और ऑटोमोबिल्स प्रॉडक्ट भी शामिल थे. इसलिए तब जो तर्क कांग्रेस ने दिया था वो तर्क अभी भी दिए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि बजट लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, इसी तरह चुनाव भी संसदीय लोकतंत्र की अहम कड़ी हैं.