
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बुधवार को 2023-24 का बजट पेश कर दिया. ये मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है. बजट भाषण की शुरुआत में निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये अमृत काल में पहला बजट है.
बजट में सरकार बताती है कि वो कहां से कितना कमाएगी और कहां कितना खर्च करेगी? निर्मला सीतारामन ने बताया कि 2023-24 में सरकार 45 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेगी. ये सिर्फ बजट अनुमान है. और आमतौर पर बजट में जितना खर्च होने का अनुमान लगाया जाता है, उससे कहीं ज्यादा खर्च हो जाता है.
मसलन, 2022-23 में सरकार ने 39.44 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया था. लेकिन अब अनुमान है कि ये खर्च लगभग 42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया होगा.
खैर, सरकार का अनुमान है कि 2023-24 में वो जो 45 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी, उसमें से 27.16 लाख करोड़ रुपये तो टैक्स और दूसरी जगहों से आ जाएंगे. लेकिन बाकी के खर्च के लिए सरकार उधार लेगी. सरकार इस साल 17.86 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्जा लेगी.
कहां से कमाएगी, कहां खर्च करेगी सरकार?
- कहां से कमाएगी?: अगर सरकार 1 रुपया कमाती है तो उसमें से 34 पैसा उधारी का ही होता है. इसके अलावा 17 पैसे जीएसटी से आएगा. जबकि, 15-15 पैसा इनकम टैक्स और कॉर्पोरेशन टैक्स से आएगा. 7 पैसा एक्साइज ड्यूटी से, 6 पैसा नॉन-टैक्स रेवेन्यू से, 4 पैसा कस्टम ड्यूटी और 2 पैसा कैपिटल रिसिप्ट से कमाएगी.
- कहां खर्च करेगी?: इसी तरह सरकार जो 1 रुपया खर्च करेगी, उसमें से 20 पैसा तो लिए गए कर्ज पर ब्याज का भुगतान करने में ही चला जाएगा. इसके अलावा 18 पैसा राज्यों को टैक्स और ड्यूटी का हिस्सा देने में खर्च होगा. वहीं, 17 पैसा केंद्र और 9 पैसा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में खर्च होगा. इन सबके बाद 9 पैसा वित्त आयोग के पास जाएगा, 8 पैसा डिफेंस पर, 7 पैसा सब्सिडी पर, 4 पैसा पेंशन और बाकी बचा 8 पैसे दूसरी जगहों पर खर्च होंगे.

कोरोना ने बढ़ा दी उधारी!
कोई भी सरकार हो, देश चलाने के लिए कर्ज या उधारी लेनी पड़ती ही है. उसकी वजह ये है कि आमदनी के सोर्स कम हैं और खर्च ज्यादा जगह होता है.
यही वजह है कि एक्सपर्ट सुझाते हैं कि सरकारों को गैर-जरूरी खर्चों से बचना चाहिए और अपने कर्ज में स्थिरता लानी चाहिए. एक्सपर्ट ये भी सुझाते हैं कि सरकार को पूंजीगत निवेश यानी कैपिटल इन्वेस्टमेंट करना चाहिए, ताकि आने वाले समय में इससे कमाई हो सके. सरकार इस साल 10 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश करने जा रही है.
रही बात सरकार की आमदनी में कर्ज की हिस्सेदारी की, तो ये कोरोना महामारी के बाद और बढ़ गई है. मनमोहन सरकार में कमाई में 27 से 29 पैसा उधारी या कर्ज से आता था. मोदी सरकार में ये कम होकर 20 पैसे के नीचे आ गया. लेकिन कोरोना के दौर में सरकार की कमाई में कर्ज बेतहाशा बढ़ा. 2021-22 में सरकार की 1 रुपये की कमाई में 36 पैसा कर्ज का था.
इसका फर्क क्या पड़ता है?
सरकार की कमाई 27 लाख करोड़ और खर्च 45 लाख करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में जब कमाई कम और खर्च ज्यादा होता है तो इससे सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता है.
वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे पहले 2022-23 में ये घाटा 6.4 फीसदी था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बुधवार को बजट भाषण पढ़ते हुए बताया कि 2025-26 तक ये राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 फीसदी से नीचे लाने का टारगेट है.