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Budget 2019: जब शेर, कविताओं से दिखा बजट को लेकर खुशी-गम

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट आने के बाद तरह- तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लोगों ने अपने अंदाज में बजट पर तंज कसे हैं.

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फोटो: aajtak.in
फोटो: aajtak.in

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया. जिसके बाद जहां एक ओर बीजेपी नेताओं ने 'वाह मोदी जी' के नारे लगाए तो दूसरी ओर विपक्ष ने कड़ी आलोचना करते हुए बजट को पुराने वादों का दोहराव और 'नई बोतल में पुरानी शराब' करार दिया है. इसी के साथ बजट को लेकर सोशल मीडिया पर रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में लेखकों ने शायरी और कविताओं के माध्यम से बजट पर तंज कसे हैं. आइए ऐेसे ही कविताओं पर नजर डालते हैं.

पहला शेर है खालिद इरफान साहब के, जिन्होंने बजट पर कुछ यूं तंस कसा...

"कैसा अजीब आया है इस साल का बजट

मुर्ग़ी का जो बजट है वही दाल का बजट".

"टीवी का ये मज़ाक़ अदीबों के साथ है

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शाएर से दुगना रख दिया क़व्वाल का बजट".

"दामाद को निकाल के जब भी हुआ है पेश

सालों ने पास कर दिया ससुराल का बजट".

"बिकती है अब किताब भी कैसेट के रेट पे

कैसे बनेगा 'ग़ालिब' ओ 'इक़बाल' का बजट".

बजट पर जावेद अख्तर की शायरी

हो..ओ….. इस बजट को देखा तो ऐसा लगा..

इस बजट को देखा तो ऐसा लगा..

जैसे जेटली की चाल, जैसे BCCI का हाल

जैसे व्यापम का केस, जैसे रणवीर का भेस

जैसे मोदीजी की यात्रा, जैसे संबित पात्रा

इनका नहीं कोई मैच, कामरान अकमल का कैच

जैसे… बिना सिलेंडर का कोई हस्पताल…..

हो…..ओ……

कवि प्रकाश बादल का एक शेर

"ये बजट आपका हमको तो गवारा नहीं

चिड़ियों को घोंसले जिसमें पशुओं को चारा नहीं".

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान सुनाई ये शायरी

निर्मला सीतारमण ने इस शायरी के साथ ही सांसदों की खूब तालियां बटोरी. जब उन्होंने मंजूर हाशमी की ग़ज़ल सुनाई.

"यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट भी ले कर चराग जलता है"

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