पिछले वर्षों में सरकार ने ट्रेनों में मिलने वाली खाने की क्वालिटी सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, लेकिन इस मामले में कुछ खास बदलाव होता नहीं दिख रहा. इन तमाम उपायों से हुआ यह है कि खाना काफी महंगा हो गया है. किफायती दाम में बढ़िया खाना लगता है कि रेल यात्रियों के लिए सपना ही रह गया है. उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस बार बजट में कोई ऐसा बड़ा कदम उठाएंगी जिससे ट्रेनों में खाने की क्वालिटी वास्तव में सुधर जाए.
बात सिर्फ ट्रेन में मिलने वाले खाने की ही नहीं है. स्टेशनों पर बिकने वाले फूड की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा. यहां तक खबरें आईं कि कई ट्रेन में खाना बनाने के लिए टॉयलेट वाटर इस्तेमाल किया जा रहा है. आईआरसीटीसी के अलावा कई निजी वेंडर से खाना पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की गई है. लेकिन यह व्यवस्था भी कुछ ही प्रमुख स्टेशनों तक सीमित है, यानी अगर आपकी ट्रेन कुछ बड़े स्टेशनों पर है तो यह सुविधा मिल सकती है, लेकिन बाकी जगह नहीं मिलती. इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि 21वीं सदी में हम अपने देश के नागरिकों को साफ-सुथरा खाना भी मुहैया नहीं कर सकते!
अंतरिम बजट में इस बारे में चर्चा नहीं की गई कि ट्रेनों में मिलने वाले खाने की क्वालिटी में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे. इसलिए अब इस पूर्ण बजट से ही उम्मीद है कि नई वित्त मंत्र निर्मला सीतारमण इस दिशा में कुछ प्रयास करेंगी.
पैंट्री कार से मिलने वाले खाने की क्वालिटी में खास सुधार नहीं हो पाया है. यहां तक कि रेलवे ने गुणवत्ता बढ़ाने के लिए खाने का वजन यानी मात्रा घटाने की योजना बनाई. कई ट्रेन में मिलने वाले खाने के वजन में 150 ग्राम कमी करने का प्रस्ताव रखा है. रेलवे में पैंट्री कार के खान-पान को चेक करने के लिए हर ट्रेन में एक मैनेजर की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है, जो खाने की गुणवत्ता की जांच करेगा. लेकिन इसका अभी बहुत कुछ फायदा नहीं दिख रहा.
सीएजी ने माना खराब है क्वालिटी
सीएजी की साल 2017 की एक रिपोर्ट बताती है कि ट्रेनों में मिलने वाला खाना तय मानकों पर खरा नहीं है. भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) ट्रेनों में खाने की आपूर्ति करता है. आईआरसीसीटी अधिकारियों का कहना है कि उसके द्वारा परोसे जाने वाले असल खाने की कीमत 150 रुपये तक पहुंच चुकी है, जबकि उसे एक प्लेट पर 112 रुपये ही मिलते हैं. जबकि सच यह है जिस स्तर और मात्रा का खाना पैंट्री कार से मिलता है उतना और उस स्तर का खाना बाहर सामान्य ढाबों में 70 से 80 रुपये थाली में मिल जाता है. खाने की कीमत घटाने के लिए आईआरसीटीसी ने दाल की मात्रा में 150 ग्राम तक करने और चिकन की जगह 150 ग्राम बोनलेस चिकन ग्रेवी परोसने का निर्णय लिया.
सुधरेगी पैंट्री कारों की हालत!
पिछले साल ही रेलवे ने दावा किया था कि सफर के दौरान यात्रियों को मिलने वाले खराब क्वालिटी के खाने से यात्रियों को निजात मिल जाएगी. इसकी शुरुआत सबसे पहले प्रीमियम ट्रेनों में होगी, जिसके बाद अन्य ट्रेनों में इसे लागू किया जाएगा. दावा तो यहां तक है कि यात्रियों को एयरलाइंस जैसा खाना मिलेगा और वहां पर इसी तरह की सर्विस मिलेगी. जिन ट्रेनों में पैंट्री कार लगी हैं, उनकी हालत में भी रेलवे सुधार करेगा. इसके लिए पैंट्री कार में खाना बनाने के लिए अलग से भंडारण की व्यवस्था भी की जाएगी. इसके साथ ही बर्तन धोने के लिए जगह बनाने पर विचार चल रहा है.
टॉयलेट के पास नहीं रखा जाएगा खाने-पीने का सामान
अक्सर आपने देखा होगा कि कई ट्रेनों में खाने-पीने का सामान टॉयलेट्स के पास रखा जाता है, जिसके बाद इसकी सप्लाई यात्रियों को की जाती है. इस तरह के फूड के संक्रमित होने का चांस काफी बढ़ जाता है और यात्री बीमार भी पड़ सकते हैं. दावा यह भी है कि हाई डेफिनेशन कैमरे से अब ट्रेन में परोसे जाने वाले खाने की सामग्री पर नजर रखी जाएगी.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इन तमाम प्रयासों के बावजूद ट्रेनों में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता में बहुत सुधार नहीं हो पाया है, इसलिए वित्त मंत्री को बजट में इसके लिए कोई ठोस उपाय करना होगा.