यूं तो बजट एक बेहद गंभीर विषय है. इसमें कई तकनीकी उलझने होती हैं, जिन्हें समझना टेढ़ी खीर है. लेकिन बजट पर कुछ आड़ी-तिरछी लकीरें खींचकर मनोरंजक तरीके से जनता को समझाना भी कोई कम मुश्किल काम नहीं है.
...कोई नहीं जानता आखिर पैसा जा कहां रहा है?
मनमोहन के क्रांतिकारी कदमों से धुली आम जनता...
मनमोहन, मोटेंक और चिदंबरम की जोड़ी का बजट...
आम आदमी ने खाए बढ़ती कीमतों के हिचगोले
चिदंबरम ने चमकाई अपनी छवि
सिन्हा के नए कदम जब बने चर्चा का विषय
1988 के बजट में बढ़ती कीमतों पर कार्टूनी तंज
पुरानी परंपरा को ढोने वाले बजट
सभी को खुश करना एक चुनौती है
चिदंबरम के 1997 वाले बजट पर जब कार्टून से कसे तंज