scorecardresearch
 

सियासी मजबूरी, अगले चुनाव की रणनीति... इन कारणों से बिहार में शहाबुद्दीन की फैमिली फिर आरजेडी के करीब जाती दिख रही, दोनों को एक-दूसरे की जरूरत

हाल ही में लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब सिवान से निर्दलीय मैदान में उतरीं और लालू की पार्टी के उम्मीदवार की हार की वजह बन गईं. इस चुनाव में हिना खुद तो हार हुई और दूसरे नंबर पर आईं, लेकिन आरजेडी के चौधरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. चर्चाएं हुईं कि अगर हिना को आरजेडी मैदान में उतारती तो नतीजे उलट होते.

Advertisement
X
बिहार में हिना शहाब की RJD चीफ लालू यादव से मुलाकात के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं.
बिहार में हिना शहाब की RJD चीफ लालू यादव से मुलाकात के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं.

बिहार की राजनीतिक में हलचल है. गैंगस्टर से नेता बने दिवंगत शहाबुद्दीन की फैमिली एक बार फिर आरजेडी के करीब जाते दिख रही है. बुधवार शाम शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की है. ये मुलाकात पटना में एक एमएलसी के आवास पर हुई. मीटिंग में तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. तीनों के बीच लंबे वक्त तक मीटिंग चली है, जिसके बाद बिहार में राजनीतिक बहस छिड़ गई है.

बाहुबली शहाबुद्दीन अपराध की दुनिया से राजनीति में आए और आरजेडी से 2 बार विधायक और 4 बार लोकसभा सांसद चुने गए. शहाबुद्दीन की कोरोनाकाल (मई 2021) में मौत हो गई थी. वो 2007 में अपहरण के बाद हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में बंद थे. बिहार के सीवान इलाके में उनका खासा प्रभाव रहा है. हालांकि, उनके निधन के बाद क्षेत्र में राजनीतिक हवा बदली तो आरजेडी ने शहाबुद्दीन की फैमिली से दूरियां बढ़ा लीं और इस बार आम चुनाव में सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीवान से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतार दिया. इस पर शहाबुद्दीन की पत्नी हिना ने नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि पति के नहीं रहने पर पार्टी ने मुझे इग्नोर कर दिया है.

क्यों दोनों को एक-दूसरे की जरूरत?

Advertisement

हाल ही में लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब सिवान से निर्दलीय मैदान में उतरीं और लालू की पार्टी के उम्मीदवार की हार की वजह बन गईं. इस चुनाव में हिना खुद तो हार हुई और दूसरे नंबर पर आईं, लेकिन आरजेडी के चौधरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. चर्चाएं हुईं कि अगर हिना को आरजेडी मैदान में उतारती तो नतीजे उलट होते और एक सीट पार्टी के खाते में जा सकती थी. इधर, हिना शहाब की नाराजगी भी कम हुई तो नए समीकरण भी बनते दिखने लगे हैं.

हिना को चार चुनावों में मिली हार

हिना को पिछले चार चुनावों में सीवान से हार मिली है. मई 2021 में शहाबुद्दीन की मौत के बाद हिना का यह पहला चुनाव था. इससे पहले 2007 में शहाबुद्दीन को सजा हुई और 2009 का आम चुनाव आया तो आरजेडी ने हिना को मैदान में उतारा था. यह चुनाव वो निर्दलीय ओम प्रकाश यादव से हार गईं. उसके बाद 2014 में आरजेडी ने फिर हिना पर दांव लगाया, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश से चुनाव हार गईं. 2019 में फिर आरजेडी के टिकट पर हिना चुनाव में उतरीं और हार का सामना करना पड़ा. 2019 में जेडीयू की कविता सिंह ने हराया. इस बार आरजेडी ने रणनीति बदली और पूर्व स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को टिकट दिया. इससे हिना नाराज हो गईं और निर्दलीय मैदान में उतर गईं. नतीजे आए तो हिना को भले हार मिली, लेकिन वो आरजेडी की हार का कारण बन गईं. जेडीयू की विजयलक्ष्मी देवी को 386508 और हिना को 293651 वोट मिले. RJD के अवध बिहारी को 198,823 वोट मिले. यानी हार-जीत का अंतर करीब 93 हजार का रहा.

Advertisement

नाराज नेताओं को मना रही आरजेडी

जानकारों का कहना है कि लालू और शहाबुद्दीन फैमिली के बीच राजनीतिक मुलाकात के संदेश गहरे हैं. अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और आरजेडी किसी नेता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी अपने पुराने नेताओं को साधने के लिए एक बार फिर कोशिश करने में जुट गई है. लोकसभा चुनाव से पहले जब तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा लेकर सिवान पहुंचे थे, तब उनकी मुलाकात हिना शहाब से होने की उम्मीद थी. लेकिन अंतिम समय हिना अपने गांव चली गईं थीं और यह मुलाकात संभव नहीं हो सकी थीं.

लालू यादव के करीबी माने जाते थे शहाबुद्दीन

शहाबुद्दीन को एक समय आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी माना जाता था. हाल ही में शहाबुद्दीन के परिवार और आरजेडी के बीच रिश्ते खराब हुए हैं. इससे पहले भी लालू परिवार ने हिना को मनाने की कोशिशें की, लेकिन वो नाकाम साबित हुईं. अब बुधवार की मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इस मुलाकात से रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं.

बीजेपी बोली- खलनायकों को इकट्ठा करने में बिजी है आरजेडी

वहीं, बीजेपी का कहना है कि लालू यादव 15 साल के जंगल राज के खलनायकों को वापस ला रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्ण कहते हैं कि लालू 'जंगल राज' के खलनायकों को इकट्ठा करने में व्यस्त हैं. बिहार की राजनीति में प्रमुखता खोने के बाद लालू अब ऐसे लोगों को इकठ्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं. 

Advertisement

जेडीयू बोली- आरजेडी के लिए कोई नई बात नहीं

जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन कहते हैं कि यह आरजेडी की राजनीति में कोई नई बात नहीं है. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि हिना शहाब के खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं है लेकिन फिर भी लोग जानते हैं कि उनके आसपास कौन-कौन लोग हैं. शहाबुद्दीन के परिवार के साथ मतभेद सुधारने का फैसला महागठबंधन, खासकर आरजेडी के लिए कोई राजनीतिक उपलब्धि लेकर नहीं लाएगा. सिवान के वोटर्स ने आम चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार को लोकसभा भेजा है और कोई भी 2005 से पहले वाले बिहार से संतुष्ट नहीं होगा. हालांकि, आरजेडी प्रवक्ता इस मुलाकात के बारे में कुछ भी कहने से बचते रहे. 

शहाबुद्दीन ने 1990 में पहला चुनाव लड़ा था

दरअसल, शहाबुद्दीन की कोरोनाकाल में मौत हो गई थी. शहाबुद्दीन को अपहरण, हत्या समेत आधा दर्जन से ज्यादा मामलों में दोषी ठहराया गया था. शहाबुद्दीन 1996 से 2009 के बीच चार बार सांसद रहे. इससे पहले 1990 में शहाबुद्दीन ने पहली बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. उस वक्त शहाबुद्दीन जेल में बंद थे. उसके बाद 1995 के विधानसभा चुनाव में शहाबुद्दीन को लालू यादव का साथ मिला. वे दूसरी बार जीरादेई सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. एक साल बाद 1996 में लोकसभा चुनाव हुए तो आरजेडी ने सिवान से टिकट दे दिया. ये चुनाव जीतकर वे संसद पहुंचे.

Advertisement

1998 में सीपीआई-एमएल कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता की सिवान में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. इस मामले में शहाबुद्दीन को दोषी पाया गया और 2007 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई. 2015 में दो भाइयों को तेजाब से नहला कर और उनकी गोली मार कर हत्या देने के मामले में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा मिली थी.
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement