कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली जा रही वोटर अधिकार यात्रा का समापन पटना में मार्च के साथ किया जाएगा. पहले इसकी समाप्ति एक बड़ी रैली के रूप में होनी थी, लेकिन महागठबंधन के नेताओं ने रणनीति बदलते हुए 1 सितंबर को राजधानी पटना में पदयात्रा निकालने का फैसला किया है.
रणनीति में बदलाव क्यों?
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि नेताओं का मानना है कि पदयात्रा से जनता में ज्यादा उत्साह और भागीदारी दिखेगी. कई इंडिया गठबंधन के नेता पहले ही यात्रा में शामिल हो चुके हैं, ऐसे में सभी को फिर से रैली के लिए इकट्ठा करने का कोई विशेष फायदा नहीं होता.
पहले रैली का था ऐलान
कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने पहले कहा था कि 1 सितंबर को पटना में एक विशाल वोटर अधिकार रैली होगी, जिससे बिहार की जनता "वोट चोरों" को करारा संदेश देगी. लेकिन अब इस कार्यक्रम की जगह मार्च आयोजित किया जाएगा.
बाइक राइड से बढ़ा उत्साह
बुधवार को राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर में बाइक राइड कर यात्रा में उत्साह भरा. खास बात यह रही कि प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपने भाई राहुल गांधी की बाइक पर पीछे बैठी नजर आईं. लोगों ने जगह-जगह खड़े होकर नेताओं का स्वागत किया.
क्यों निकाली जा रही है यात्रा
यह यात्रा कांग्रेस और महागठबंधन के सहयोगी दलों द्वारा बिहार में चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के खिलाफ निकाली जा रही है. विपक्ष का आरोप है कि आयोग मतदाता सूची में धांधली कर रहा है और लाखों मतदाताओं के अधिकार छीने जा रहे हैं.
16 दिन में 1,300 किमी की दूरी
17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा 16 दिन तक चलेगी और कुल 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. 1 सितंबर को यह पटना में मार्च के साथ समाप्त होगी. विधानसभा चुनाव से पहले यह यात्रा महागठबंधन के लिए बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखी जा रही है.
अब तक किन जिलों में पहुंची यात्रा
अब तक यह यात्रा गया जी, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी और दरभंगा जिलों से होकर गुजर चुकी है. आगे यह सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, सारण, भोजपुर और पटना जिलों से होकर गुजरेगी.