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'आर-पार की लड़ाई हो, पत्नी और बच्चा भी कुर्बान हो जाए तो गम नहीं', भड़का मुजफ्फरपुर में रहने वाला PAK का दामाद

मुजफ्फरपुर के आफताब आलम पाकिस्तानी महिला सायना कौसर से शादी की है. मगर, पहलगाम आतंकी हमले के बाद आफताब पाकिस्तान पर गुस्से में हैं. उन्होंने सरकार से सीधी आरपार की लड़ाई की मांग की है. आफताब ने कहा, देश पहले है, परिवार बाद में. जरूरत पड़ी तो पत्नी-बेटी की कुर्बानी भी मंजूर है.

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पाकिस्तानी दामाद आफताब आलम.
पाकिस्तानी दामाद आफताब आलम.

मुजफ्फरपुर जिले के औराई निवासी आफताब आलम और पाकिस्तानी दामाद इन दिनों पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त गुस्से में हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आफताब ने साफ कहा कि अब सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, पाकिस्तान से आरपार की लड़ाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भले ही उनकी पत्नी और बेटी फिलहाल पाकिस्तान में हैं, लेकिन उनके लिए देश पहले है और परिवार बाद में.

दरअसल, आफताब आलम पाकिस्तानी महिला सायना कौसर से निकाह कर चुके हैं. आफताब आलम की पत्नी सायना कौसर और बेटी आफिया इस समय पाकिस्तान के करांची में हैं. बेटी पाकिस्तान के एक निजी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है, जबकि पत्नी एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर हैं. आफताब ने बताया कि उनकी पत्नी शादी से पहले से ही मद्धेशिया कॉलेज, करांची में पढ़ा रही हैं.

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से आफताब काफी आक्रोशित हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं, वह न खुद के नागरिकों से इंसानियत से पेश आता है और न ही पड़ोसी देशों के साथ. आफताब ने दुख जताते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो देश के लिए वे अपनी पत्नी और बेटी की भी कुर्बानी देने को तैयार हैं.

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आफताब ने बताया कि उनकी शादी 2012 में पाकिस्तान में हुई थी. वे अपनी फुआ से मिलने पाकिस्तान गए थे और वहीं दोनों परिवारों की सहमति से उनका निकाह तय हो गया. उनकी फुआ का परिवार पहले बिहार के सीतामढ़ी जिले के बेलसंड से था, लेकिन बांग्लादेश में रेलवे अधिकारी के रूप में नौकरी करने के चलते वह परिवार बांग्लादेश गया था. 1971 में बांग्लादेश के अलग देश बनने के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था.

शादी के बाद आफताब ने पत्नी और बेटी के लिए भारत आने का प्रयास कई बार किया. उन्होंने छह बार लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन किया, लेकिन वीजा नहीं मिल सका. जब भी पत्नी और बेटी भारत आती थीं, वे छह महीने से एक साल तक रुकती थीं. फिर वीजा खत्म होने पर लौट जाती थीं. आखिरी बार 22 नवंबर को उनकी पत्नी और बेटी भारत आई थीं और 25 फरवरी को अटारी बॉर्डर के रास्ते वापस पाकिस्तान चली गईं.

देखें वीडियो...

आफताब ने बताया कि अब उनका पाकिस्तान में सिर्फ अपनी पत्नी और बेटी से ही वीडियो कॉलिंग के जरिए संपर्क होता है. पाकिस्तान के अन्य किसी व्यक्ति से उनका कोई संपर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है, वहां सेना ही देश चलाती है. एक ऐसा देश जो कर्ज के सहारे जिंदा है और अपने ही नागरिकों पर बम बरसाता है, उससे शांति की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती.

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आफताब ने भारत सरकार से अपील की कि अब आरपार की लड़ाई का समय आ गया है. सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए और इस बार पाकिस्तान को किसी भी हाल में माफ नहीं करना चाहिए. आफताब ने कहा कि भले ही उनकी पत्नी और बेटी फिलहाल पाकिस्तान में रह रही हैं, लेकिन उनके लिए देश पहले है और परिवार बाद में, पाकिस्तान मुर्दाबाद.

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