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CM नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड, लंदन की World Book of Records में आया नाम

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगातार दस बार शपथ लेने की उपलब्धि के लिए मान्यता दी है. जेडीयू नेता संजय झा ने इसे बिहार के लिए गर्व का क्षण बताया. नीतीश कुमार ने 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला था. उनकी राजनीतिक यात्रा में कई गठबंधन और उतार चढ़ाव शामिल रहे हैं.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (File Photo: ITG)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (File Photo: ITG)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन ने एक खास उपलब्धि के लिए मान्यता दी है. यह मान्यता उन्हें दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर दी गई है. जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी साझा की. उन्होंने इसे बिहार और देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक अनोखा क्षण बताया.

संजय झा ने लिखा कि यह नीतीश कुमार की वर्षों की सार्वजनिक सेवा, स्थिर शासन और जनता के भरोसे का प्रतीक है. उनका कहना है कि लगातार दस बार मुख्यमंत्री बनने का यह रिकॉर्ड न सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि बिहार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है.

सीएम नीतीश कुमार का ऐतिहासिक रिकॉर्ड

नीतीश कुमार ने पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. हालांकि, वह सरकार ज़्यादा दिन नहीं चल सकी और सात दिनों के भीतर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद 2005 में वह दोबारा सत्ता में आए और तब से लगातार बिहार की राजनीति में एक मजबूत चेहरा बने हुए हैं.

इस दौरान उन्होंने अलग अलग राजनीतिक गठबंधनों के साथ काम किया है. कभी उन्होंने एनडीए के साथ गठबंधन किया तो कभी महागठबंधन का साथ लिया. एक बार उन्होंने कम समय के लिए मुख्यमंत्री पद भी छोड़ दिया था और यह जिम्मेदारी जीतन राम मांझी को दी थी. लेकिन कुछ महीनों बाद वह फिर से पद पर लौट आए.

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बिहार के लिए गर्व का पल 

संजय झा का कहना है कि इस रिकॉर्ड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने नीतीश कुमार के नाम को अपनी वैश्विक सूची में दर्ज करने का इरादा जताया है. उन्होंने इसे बिहार के लिए गर्व का पल बताया और कहा कि नीतीश कुमार की स्थिर नेतृत्व क्षमता ने राज्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस उपलब्धि को बिहार की लोकतांत्रिक मजबूती का भी प्रतीक माना जा रहा है.

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