मुजफ्फरपुर की दलित बच्ची से दुष्कर्म और इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में लापरवाही पर बिहार सरकार ने सख्त कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत को पद से हटा दिया गया है, जबकि मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) की डॉक्टर कुमारी विभा को सस्पेंड किया गया है. बच्ची को पहले SKMCH में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी हालत बिगड़ने पर उसे PMCH रेफर किया गया, लेकिन इलाज में हुई देरी और लापरवाही के चलते उसकी मौत हो गई.
पेन-पेपर से लिखकर बताई अपनी व्यथा
इस बीच मुजफ्फरपुर की 11 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता का एक मार्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह गले पर गहरे जख्म के कारण बोलने में असमर्थ होने के बावजूद पेन और पेपर से अपनी तकलीफ लिखकर बता रही है. यह वीडियो श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) का है, जहां पीड़िता को 26 मई की रात भर्ती कराया गया था.
27 मई को होश आने के बाद उसने स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब लिखकर दिए. इस वीडियो के सामने आने के बाद इलाज में लापरवाही को लेकर सवाल उठने लगे थे. पीड़िता की मां ने भी पुष्टि की कि उनकी बेटी में सुधार हो रहा था और वह अपनी बात लिखकर बता रही थी. हालांकि, बाद में इलाज में हुई देरी के आरोपों और हालात बिगड़ने पर उसे पटना रेफर किया गया, जहां 1 जून को उसकी मौत हो गई.
क्या है पूरा मामला?
26 मई को सुबह करीब 10 बजे घर के बाहर से आरोपी बच्ची को मौसी के पास पहुंचाने की बात बोलकर अपने साथ लेकर गया. मक्के के खेत में आरोपी ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसके बाद मछली काटने वाले धारदार चाकू से उसका गला काट दिया. साथ ही सीने और पेट पर भी कई वार किए. दोपहर एक बजे परिवार को खेत में बच्ची लहूलुहान हालत में मिली. उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था.
मौके पर चप्पल और चाकू भी मिले, जिसके बाद परिजनों ने उसे SKMCH में इलाज के लिए भर्ती कराया. रात को ही पुलिस ने आरोपी रोहित साहनी को गिरफ्तार कर मेडिकल जांच कराई. उसके बाद 27 मई को पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. 31 मई को बच्ची की हालत बिगड़ने पर उसे SKMCH से PMCH रेफर कर दिया गया.
मां ने लगाए लापरवाही के आरोप
1 जून की सुबह इलाज के दौरान बच्ची की PMCH में मौत हो गई. रेप पीड़िता की मां ने कहा कि पटना PMCH में इलाज के लिए गए तो उसे एंबुलेंस में ही तीन-चार घंटे रहना पड़ गया. कोई डॉक्टर मेरी बेटी को भर्ती करने के लिए तैयार नहीं हो रहा था. कई मीडियाकर्मी और कई लोग आए, हंगामा किया उसके बावजूद भी डॉक्टर उसे भर्ती नहीं कर रहे थे. डॉक्टर कह रहे थे कि बेड खाली नहीं है. कई बार बोला लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हो रहा था. डॉक्टर से मारपीट भी हुई तब भी उसे भर्ती नहीं किया गया. उसके बाद कोई मंत्री और कई नेता वहां पहुंचे तब जाकर उसे बेड मिली. मेरी बेटी की स्थिति में काफी सुधार हुआ था. वह सब चीजें लिखकर बता रही थी लेकिन सही समय पर भर्ती न होने के कारण उसकी मौत हो गई.