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'भारत के उपयुक्त प्रधान चुनाव आयुक्त!', PM मोदी की तस्वीर शेयर कर लालू यादव ने EC पर साधा निशाना

यह मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है, जहां मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें इसे असंवैधानिक और जनविरोधी बताया गया है, तथा मतदाता सूची से लाखों नामों को कथित रूप से हटाए जाने को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है.

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राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची सत्यापन की आलोचना की. (Photo: X/@RJD)
राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची सत्यापन की आलोचना की. (Photo: X/@RJD)

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को बिहार में चल रही मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और निर्वाचन आयोग (ECI) पर तीखा हमला किया. उन्होंने अपने X हैंडल से एक AI जनरेटेड तस्वीर पोस्ट की, जिसमें पीएम मोदी चेयर पर बैठे हुए हैं और उनके पीछे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) का लोगो लगा है, जिस पर लिखा है 'भाजपा चुनाव आयोग'. इस AI जनरेटेड तस्वीर में पीएम मोदी के सामने दो अफसर बैठे नजर आ रहे हैं. इस तस्वीर पर लिखा है, 'भाजपा चुनाव आयोग की बिहार चुनाव को लेकर तैयारी जोरों पर'. लालू यादव ने अपने इस X पर किए पोस्ट के कैप्शन में लिखा, 'भारत के उपयुक्त प्रधान चुनाव आयुक्त!'

इससे पहले एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में राजद सुप्रीमो ने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए लिखा, 'दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छिनने का प्रयास कर रहे हैं. इन दो गुजरातियों को बिहार, संविधान और लोकतंत्र से सख्त नफरत है. जागो और आवाज उठाओ! लोकतंत्र और संविधान बचाओ.' बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य ने एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्ष ने केंद्र, बिहार सरकार और चुनाव आयोग पर चुनावों में गड़बड़ी करने के लिए करोड़ों मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है.

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बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस पर निशाना साधते हुए इसे बिहार में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की एक गहरी साजिश करार दिया. तेजस्वी ने लिखा, 'बिहार में वोटबंदी की गहरी साजिश. दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के वोट काटने और फर्जी वोट जोड़ने का खेल शुरू हो गया है. बिहार में वोटबंदी लागू करने की यह सबसे गहरी साजिश है.' उन्होंने आगे आरोप लगाया, 'मोदी-नीतीश चुनाव आयोग के माध्यम से काम कर रहे हैं, संविधान और लोकतंत्र को कुचलने और आपके वोट के अधिकार को छीनने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. ये लोग अब अपनी सीधी हार देखकर बौखला गए हैं. जब मतदाता का वोट ही खत्म हो जाएगा तो फिर लोकतंत्र और संविधान किस काम का?' 

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यह मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है, जहां मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें इसे असंवैधानिक और जनविरोधी बताया गया है, तथा मतदाता सूची से लाखों नामों को कथित रूप से हटाए जाने को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है. सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले को उठाया तथा तत्काल सुनवाई की मांग की. सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की है. 
 

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