बिहार में जमीन-जायदाद से जुड़े पुराने निबंधित दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा राज्यभर के 5 करोड़ 59 लाख से अधिक पुराने निबंधित दस्तावेजों को तेजी से डिजिटाइज किया जा रहा है. इस पहल के पूरा होने के बाद आम लोग अपने जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेज ऑनलाइन देख और डाउनलोड कर सकेंगे.
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, इस महत्वाकांक्षी परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है. पहले चरण में वर्ष 1990 से 1995 के बीच निबंधित हुए करीब 35 लाख 50 हजार दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है. इस चरण का करीब 39 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, जबकि शेष दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन तेजी से जारी है.
इसके साथ ही दूसरे और अंतिम चरण के तहत वर्ष 1908 से 1989 तक के बेहद पुराने निबंधित दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बदला जा रहा है. इस श्रेणी में करीब 5 करोड़ 24 लाख दस्तावेज शामिल हैं. विभाग ने अब तक 1 करोड़ 52 लाख दस्तावेजों का पीडीएफ तैयार कर लिया है, जिन्हें क्रमवार तरीके से वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.
विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित किया है. पहले चरण में दस्तावेजों की स्कैनिंग कर उनका पीडीएफ तैयार किया जा रहा है. दूसरे चरण में दस्तावेजों से जुड़ी आवश्यक विवरणी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाता है. तीसरे और अंतिम चरण में इन दस्तावेजों को आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि लोग आसानी से इन्हें एक्सेस कर सकें.
विभाग का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक सभी पुराने निबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया जाए. इस पहल से न केवल आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता भी बढ़ेगी.
डिजिटाइजेशन के बाद लोगों को पुराने कागजात निकालने के लिए निबंधन कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. घर बैठे दस्तावेज देखने और डाउनलोड करने की सुविधा से समय और धन दोनों की बचत होगी. साथ ही, विभाग का मानना है कि इससे फर्जीवाड़े, दस्तावेजों में छेड़छाड़ और भूमि विवादों पर भी प्रभावी रोक लगेगी.