बिहार की राजनीति पिछले कुछ महीनो से खूब हिचकोले खा रही है. महागठबंधन की सरकार गिरने और एनडीए की सरकार फिर से बनने तक के सफर में कई विभागों के कई अलग-अलग मंत्री बने. लेकिन इन सब के बीच चर्चाओं का केंद्र बना, शिक्षा विभाग. जहां पिछले तीन महीने के अंदर बिहार में चार शिक्षा मंत्री देखने को मिले.
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लगातार बदलते रहे शिक्षा मंत्री
साल की शुरुआती महीने, जनवरी में चंद्रशेखर बिहार के शिक्षा मंत्री थे. लेकिन अधिकारी के के पाठक से विवाद के बीच चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री पद से हटा दिया गया. उसके बाद राजद कोटे के आलोक मेहता को बिहार का शिक्षा मंत्री बनाया गया. आलोक मेहता को शिक्षा मंत्री बने करीब एक हफ्ते हुए ही थे, कि बिहार में महागठबंधन की सरकार गिर गई. 28 जनवरी को एनडीए की सरकार बनी, फिर शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी को दी गई.
करीब 45 दिनों तक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी विजय कुमार चौधरी के कंधों पर रही. लेकिन जैसे ही मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी फिर विजय कुमार चौधरी के कंधों से हटाकर पूर्व IPS सुनील कुमार को दे दी गई. इस तरह साल की शुरुआत के 3 महीने में ही बिहार को चौथा शिक्षा मंत्री देखने को मिला.
2020 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद एनडीए की सरकार बनी. इस सरकार के गठन के बाद विजय कुमार चौधरी को बिहार का शिक्षा मंत्री बनाया गया था. उसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने दो बार पाला बदला. इस दौरान महागठबंधन की सरकार बनी और फिर गिर भी गई. यही वजह रही की सरकार बदलने के कारण शिक्षा विभाग के मंत्रियों के भी बदलाव हुए.