भारत की ऑटो इंडस्ट्री में आर्थिक मंदी की आहट दिख रही है. इस हालात से निपटने के लिए बीते कुछ महीनों में ऑटो कंपनियों ने अस्थायी तौर पर उत्पादन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी भी तेज हो गई है. इसके अलावा कई कंपनियों ने अपने प्लांट भी बंद करने शुरू कर दिए हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी सूत्रों और कुछ दस्तावेजों के जरिए मिली है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक मंदी से निपटने के लिए मारुति सुजुकी समेत अन्य ऑटो कंपनियां लगातार उत्पादन रोक रही हैं. इस सूची में जापानी कार निर्माता कंपनी टोयोटा मोटर और दक्षिण कोरिया की ह्यूंडई मोटर अभी-अभी शामिल हुई हैं. इस हालात से निपटने के लिए कंपनियों ने अस्थायी कर्मचारियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
हाल ही में कारों के लिए पावरट्रेन तथा एयर-कंडिशनिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी डेन्सो कॉर्प्स की भारतीय इकाई ने उत्तर भारत स्थित मानेसर प्लांट से लगभग 350 अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. इसी तरह फ्यूल टैंक और ब्रेक पैड बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका ने मानेसर स्थित अपने प्लांट से 350 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की है. फिलहाल, दोनों कंपनियों की ओर से इस पर बयान देने से इनकार कर दिया गया है. यहां बता दें कि बेलसोनिका में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की भी हिस्सेदारी है.
रॉयटर्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया था कि ऑटोमोबाइल, कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स और डीलर्स पहले ही 3,50,000 कर्मचारियों की छंटनी कर चुके हैं.बता दें कि जुलाई में यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट बीते दो दशक में सबसे अधिक रही है. वहीं यह लगातार 9वां महीना था जब वाहनों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. इस हालात में ऑटो इंडस्ट्री की ओर से सरकार से राहत पैकेज की मांग की जा रही है. बीते सात अगस्त को इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों की केंद्रीय वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक भी हुई थी. बैठक में बिक्री में जान फूंकने के लिए टैक्स कट तथा डीलर्स तथा बायर्स को आसानी से लोन देने की मांग की गई थी.