
जीवन में आगे बढ़ने और प्रेरित करने की अब तक कई कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होगी. आज हम आपके लिए ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं जिसमें एक गरीब किसान के बेटे की जिद और जुनून ने दुनिया के ऑटोमोबाइल बाजार में उस वक्त खलबली मचा दी जब फेरारी और मासेराटी जैसी कारों का जलवा था. खेती-किसानी से जीवन के सलीके सीखने के बाद जब इस लड़के ने कार बाजार में कदम रखा तो न केवल दिग्गजों को झटका लगा बल्कि स्पोर्ट कारों की दुनिया ही बदल गई.
यह कहानी है फेरुशियो की... जिसका जन्म 28 अप्रैल, 1916 को उत्तरी इटली के एक गरीब किसान के घर हुआ था. फेरुशियो के पिता अंगूर की खेती करते थें. जैसे-जैसे फेरुशियो बड़े हुएं, उन्हें वास्तविक खेती से ज़्यादा खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और ट्रैक्टरों में दिलचस्पी होने लगी. बढ़ती उम्र के साथ 1930 के दशक में उन्होंने मैकेनिक्स की पढ़ाई करने के लिए फ्रेटेली टैडिया टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया और अपनी इच्छानुसार मशीनों के मैकेनिज़्म के गुण सीखने लगें.

पढ़ाई पूरी करने के बाद 1940 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फेरुशियो को इतालवी रॉयल एयर फ़ोर्स में भर्ती किया गया, जहाँ उन्होंने भूमध्य सागर में रोड्स द्वीप पर व्हीकल मेंटनेंस यूनिट में बतौर सुपरवाइजर काम करना शुरू किया. इस जंग के दौरान 1945 में अंग्रेजों ने रोड्स पर कब्जा कर लिया और फेरुशियो को बंदी बना लिया गया. जंगी हालात में कैद में बंद फेरुशियो ने हार नहीं मानी और लगातार कुछ सीखना जारी रखा. आखिरकार एक साल बाद उन्हें घर लौटने की अनुमति दी गई.
जब वह घर लौटे, तो उन्होंने अपने परिवार से कैद में बिताए दिनों का जिक्र किया. परिवार वालों ने उन्हें सबकुछ भूलकर एक नई जिंदगी शुरू करने की सलाह दी. फेरुशियो अब एक युवा बन चुके थे, कैद में मिली यातनाओं ने उन्हें मानसिक रूप से और भी मजबूत बना दिया था. अब उनके जेहन में कुछ करने की मंशा बलवती हो रही थी. इसी दौरान उनकी मुलाकात फेरारा की रहने वाली क्लेलिया मोंटी (Clelia Monti) से हुई, दोनों में प्रेम बढ़ा और उनकी शादी हो गई. शादी के कुछ साल बाद 1947 में उनकी पत्नी ने एक बेटे टोनिनो को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश पत्नी की मौत हो गई.
पत्नी की मौत के बाद फेरुशियो ने खुद को काम में झोंक दिया और पिएवे डे सेंटो में एक गैरेज खोला. गैराज में गाड़ियों के बीच काम करते हुए फेरुशियो की पुरानी दिलचस्पी फिर से जागी और उन्होंने खेतों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर काम करना शुरू किया. इसी साल फेरुशियो ने एक ट्रैक्टर कंपनी की शुरुआत की.
ट्रैक्टरों पर काम करते समय, फेरुशियो को कारों के मैकेनिज़्म में भी दिलचस्पी आने लगी. उन्होंने एक पुरानी फिएट टोपोलिनो पर काम करना शुरू किया जिसे वो एक ओपन-टॉप कूपे में मॉडिफाई किया. समय के साथ कारों के प्रति फेरुशियो की दिवानगी बढ़ने लगी और उन्होंने मिग्लिया में एक रेस में भी हिस्सा लिया, लेकिन रेस के दौरान उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया. एक्सीडेंट से उबरने के बाद फेरुशियो का झुकाव कारों के मैकेनिज़्म की तरफ और भी ज्यादा हो गया.

युद्ध के बाद इतालवी अर्थव्यवस्था के ठीक होने के साथ ही फेरुशियो का ट्रैक्टर व्यवसाय फलफूल रहा था. अब इटली के खेतों में फेरुशियो के ट्रैक्टर दौड़ रहे थें. इसलिए उन्होंने दूसरे कारोबारों में हाथ आजमाने की सोची. इस दौरान उन्होंने एयर कंडीशनर और हीटिंग यूनिट का प्रोडक्शन शुरू किया. जैसे-जैसे फेरुशियो अमीर होते गए, उन्होंने कई तरह की लग्जरी स्पोर्ट्स कारें खरीदनी शुरू कर दीं और 1958 में उन्होंने दुनिया की सबसे अच्छी कार मानी जाने वाली कार फेरारी 250GT खरीदी.
फेरुशियो को अपनी कारें बहुत पसंद थीं, लेकिन वे स्वाभाविक रूप से उन कारों के परफॉर्मेंस से असंतुष्ट थे. उनका मानना था कि इन कारों को और भी बेहतर बनाया जा सकता था. जिसके चलते वो कार निर्माताओं की आलोचना करने से भी नहीं चुकते थें. फ़ेरुशियो ने एक बार ऐसे ही एक कार निर्माता के बारे में कहा था कि, "एडोल्फ़ो ओरसी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान था. उन्होंने भी मेरी तरह एक गरीब लड़के के रूप में जीवन शुरू किया था. लेकिन मुझे उनकी कारें ज़्यादा पसंद नहीं थीं." बता दें कि एडोल्फ़ो ओरसी वही थें जिन्होंने साल 1937 में मासेराटी (Maserati) ब्रांड खरीदा था, जिसकी स्पोर्ट कारें दुनिया भर में आज भी मशहूर हैं.
फेरुशियो के गैराज़ में एक से बढ़कर एक लग्ज़री कारें थीं. जब भी उन्हें मौका मिलता वो उनमें से कोई भी कार लेकर इटली की सड़कों पर निकल पड़ते थें. लेकिन जैसा हमने बताया कि वो उन कारों के परफॉर्मेंस से संतुष्ट नहीं थें. वह जिस कार से सबसे ज़्यादा परेशान थे, वह थी फेरारी. फेरुशियो को इस बात से नफ़रत थी कि कैसे क्लच हर समय जल जाता था और कार को लगातार मरम्मत की ज़रूरत पड़ती थी. उन्होंने फेरारी के कस्टमर सर्विस से संपर्क किया, और कोई मदद न मिलने पर, उन्होंने अपनी कारों में क्लच की समस्या के बारे में खुद एन्ज़ो फेरारी से बात करने का फैसला किया.

बताया जाता है कि, जब दोनों की मुलाकात हुई तो फेरुशियो ने एंजो से उनकी कार के क्लच में आने वाली खराबी के बारे में बताया. उन्होनें कहा कि, "क्लच में बदलाव की जरूरत है." इस बारे में फेरुशियो के बेटे टोनिनो लेम्बोर्गिनी कहते हैं कि, इस बात से एंजो फेरारी नाराज हो गएं और उन्होनें गुस्से में कहा कि, "आप मेरी कार नहीं चला सकते हैं, आप अपने ट्रैक्टर ही चलाएं" वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि, फेरारी ने फेरुशियो से कहा था कि, "समस्या क्लच में नहीं है बल्कि समस्या ये है कि, आप फेरारी कार चलाना नहीं जानते और आप क्लच तोड़ देते हैं. बेहतर होगा आप ट्रैक्टर चलाएं और मुझे कार बनाने दें."
एंज़ो की इस बात के जवाब में फेरुशियो ने जो कुछ भी कहा वो न केवल सहज था बल्कि फेरारी के लिए किसी चुनौती से भी कम नहीं था. फेरुशियो ने जवाब देते हुए कहा कि, "मैं फिर कभी आपकी कार नहीं खरीदूंगा. अब से मैं अपनी खुद की कारें बनाऊंगा, फिर मुझे यकीन हो जाएगा कि वे वैसे ही काम करती हैं जैसे मैं चाहता हूं." कहा जाता है कि, इस बातचीत के ठीक एक साल बाद फेरुशियो ने सेंट अगाटा बोलोग्नीज़ में लेम्बोर्गिनी कंपनी की स्थापना की, और अब तक इटली की खेतों में दौड़ने वाली लेम्बोर्गिनी अब स्पोर्ट कार मार्केट में एंट्री करने को तैयार थी.
1963 में फेरुशियो ने आखिरकार अपने नाम से अपनी खुद की कार कंपनी की स्थापना की जिसे ऑटोमोबाइल फेरुशियो लेम्बोर्गिनी एस.पी.ए. नाम दिया गया. फेरुशियो ने देर न करते हुए तुरंत अपनी योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया. केवल चार महीनों के भीतर ही सेंट अगाटा बोलोग्नीज़ में एक छोटा कारखाना बनाया गया जिसमें लेम्बोर्गिनी ने अपनी पहली कार का मॉडल तैयार किया. इस कार को 1964 में ट्यूरिन के वार्षिक कार शो में प्रस्तुत किया गया था और इसे लेम्बोर्गिनी 350 जीटी (Lamborghini 350 GT) नाम दिया गया.

जब कुछ बड़ा होने वाला होता है तो उसकी प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो जाती है और लेम्बोर्गिनी के साथ भी ऐसा ही हो रहा था. इसके लिए आपको थोड़ा फ़्लैशबैक में जाने की जरूरत है, जब फेरुशियो ने अपनी पहली कार बनाने का फैसला किया उसके तकरीबन दो साल पहले मरानेल्लो स्थित फेरारी के ऑफिस में एक बड़ी घटना हुई थी. एंज़ो फेरारी अपने ऑफिस में बैठे थें और उस दिन 5 लोगों ने उनके दफ्तर में कदम रखा, जिनमें मशहूर चीफ इंजीनियर कार्लो चिती, लिजेंडरी ऑटोमोबाइल इंजीनियर और कार डिज़ाइनर गियोटो बिज़ारिनी (Giotto Bizzarrini) शामिल थें.
ये सभी लोग एंज़ो फेरारी की पत्नी लौरा फेरारी से नाखुश थें, क्योंकि वो फैक्ट्री फ्लोर पर बड़े फैसले ले रही थीं. वो चाहते थें कि, लौरा को ऐसा करने से रोका जाए और उन्हें प्रोडक्शन के मामलों में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी जाए. इस बात ये एंज़ो नाराज हो गए और उन्होनें अपनी पत्नी को कुछ कहने के बजाय इन पाचों लोगों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाल दिया. एंज़ो के इस फैसले के बाद इन पांचों ने बोलोग्ना में रेसिंग और स्पोर्ट्स कारों के लिए एक डिजाइन एजेंसी ATS नामक एक नई कंपनी की शुरुआत की.
जब फेरारी ने लेम्बोर्गिनी से कहा था कि वह ट्रैक्टरों का ही निर्माण करें और उन्हें फेरारी कारों को बेहतर बनाने के बारे में कोई सुझाव देने की कोशिश न करे, तो फेरुशियो लेम्बोर्गिनी ने इन पांच इंजीनियरों से संपर्क किया. अब समय तेजी से करवट ले रहा था और फेरारी के पांच पूर्व प्रमुख लोग, बहुत जल्द ही लेम्बोर्गिनी के लिए एक नई स्पोर्ट कार बनाने जा रहे थें.
फेरुशियो ने इन इंजीनियर्स अपने पहली कार के बारे में दिशा निर्देश दिएं. दरअसल, फेरुशियो एक ऐसी कार बनाना चाहते थें जो पावर और परफॉर्मेंस में फेरारी से बेहतर हो और उन्होनें वैसी ही कार बनाने की तैयारी शुरू की. हालांकि कार निर्माण की प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं थी, जब इस कार के मॉडल को ट्यूरिन कार शो में पेश किया गया था, उस वक्त कंपनी ने केवल कार का चेचिस और इसके सेंटर में इंजन को दिखाया था. जिसके बाद मशहूर कार डिज़ाइन न्युसियो बर्टोन (Nuccio Bertone) ने इस कार के बॉडी को डिज़ाइन करने की मंशा जाहिर की. इसके लिए न्युसियो ने फेरुशियो से मुलाकात की और कहा कि, "वो इस कार को ड्रेस करना चाहते हैं." और फेरुशियो ने उन्हें अनुमति दे दी.

आपको ये जानकार थोड़ी हैरानी होगी कि लेम्बोर्गिनी ने जो अपनी पहली कार बनाई थी, वो कभी ग्राहकों तक पहुंच ही नहीं सकी थी. दरअसल, 350 GT कंपनी की पहली कार नहीं थी, बल्कि इस सम्मान का हक 350 GTV के पास सुरक्षित है. ये एक प्रोटोटाइप था जो कि प्रोडक्शन लेवल तक नहीं पहुंचा और जिस 350 जीटी को कंपनी ने पेश किया वो इसी पर बेस्ड थी. साल 1964 के मई महीने में कंपनी ने अपने असेंबली लाइन से पहली लेम्बोर्गिनी 350 जीटी को रोल आउट किया. बताया जाता है कि, इस कार के लॉन्च होते ही 13 ग्राहकों ने इसे तत्काल खरीद लिया था. हालांकि साल 1966 तक आते-आते कंपनी ने इस कार के केवल 120 यूनिट्स का ही निर्माण किया, बाद में इसे 400 GT ने रिप्लेस किया था.
लेम्बोर्गिनी 350 जीटी एक धीमी और सहज शुरुआत थी, हालांकि इस कार ने फेरारी पर कोई ख़ास असर नहीं डाला. लेकिन साल 1965 में फिर से ट्यूरिन में लेम्बोर्गिनी ने एक नई कार पेश की, अब चीजें बिल्कुल अलग हो गईं थीं. इस शो में उस कार को पेश किया गया जिसने उस दौर की दिग्गज़ स्पोर्ट कार कंपनियों फेरारी और मासेराती (Maserati) के माथे पर बल ला दिया.
फार्मूला वन (F1) से प्रेरित इस कार के इंजन पोजिशन पर इंजीनियरों ने एक बड़ा बदलाव करते हुए इसे ड्राइवर के पीछे कर दिया. ये पहली ऐसी स्पोर्ट कार थी, जिसमें इंजन को कार के बीच में रखा गया था और इसे कंपनी ने Lamborghini Miura नाम दिया. ट्यूरिन शो में पेश होते ही इस कार ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं और इस कार ने सही मायनो में लेम्बोर्गिनी को एक बेहतर स्पोर्ट कार निर्माता के तौर पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई. आखिरकार, फेरुशियो ने उस कार का निर्माण कर लिया था, जो फेरारी को टक्कर देने जा रही थी. ये फेरुशियो की जिद ही थी, जिसने तेज रफ़्तार घोड़े (फेरारी का लोगो) को पछाड़ने के लिए रेसिंग बुल (लेम्बोर्गिनी का लोगो) को मैदान में उतारा था.