Geeta Jayanti 2024: गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक में छिपा है जीवन को महान बनाने का सूत्र

Geeta Jayanti 2024 Date: आज गीता जयंती है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही अर्जुन के साथ-साथ हनुमान, बर्बरीक और संजय को गीता का ज्ञान मिला था. इसलिए हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाने का विधान बताया गया है.

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मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:00 AM IST

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मस्ंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ श्रीमदभगवतगीता... इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा- 'हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की ग्लानि यानि उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं. अर्थात अवतार लेता हूं.'

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आज गीता जयंती है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही अर्जुन के साथ-साथ हनुमान, बर्बरीक और संजय को गीता का ज्ञान मिला था. इसलिए हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाने का विधान बताया गया है.

गीता जयंती का महत्व
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. ये पर्व गीता जयंती के नाम से भी मनाया जाता है. गीता मात्र एक पुस्तक नहीं है, बल्कि उपदेशों का जीवंत स्वरूप है. इसलिए इसकी जयंती मनाई जाती है. इसके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पूर्व में थे. हर काल में जीवंत होने के कारण भी इसकी जयंती मनाई जाती है. इस दिन गीता के पाठ से मुक्ति, मोक्ष और शान्ति का वरदान मिलता है. गीता के पाठ से जीवन की जानी-अनजानी तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है.

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कहते हैं कि गीता कलयुग में सत्य की वाहक है. 18 अध्याय और 700 श्लोकों वाले इस धर्मग्रंथ में जीवन को महान बनाने का हर एक सूत्र मिलता है. कहते है कि गीता का ज्ञान कलयुग का वो वरदान है, जो जीवन की सारी शंकाओं का समाधान कर सकता है. आपके जीवन से अंधकार को मिटाकर ईश्वर की साधना में लीन कर सकता है.

कैसे करें गीता पूजन?
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें. लाल या पीले कपड़े में लपेटकर गीता की नई प्रति भी स्थापित करें. फिर भगवान श्रीकृष्ण को फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें और श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करें. फिर गीता का सम्पूर्ण पाठ करें या गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें. पहले गीता की आरती करें. बाद में श्रीकृष्ण की आरती करें और अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करें.

गीता जयंती पर दान का महत्व
गीता जयंती के दिन गीता की पुस्तक का दान करना उत्तम होता है. इससे आपकी गलतियों का प्रायश्चित होगा और पापों से मुक्ति मिलेगी. इसके साथ आप किसी जरूरतमंद को अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी वस्तु या खाने की चीजों का भी दान कर सकते हैं.

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