Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: कल सुबह इतने बजे शुरू हो जाएगा गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें पूजन विधि

Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: इस साल गोवर्धन पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं, जिनमें सुबह का मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन प्रातःकाल में पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

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ब्रज भूमि से शुरू हुई गोवर्धन पूजा की परंपरा समय के साथ पूरे भारतवर्ष में फैल चुकी है. (Photo: Getty Images) ब्रज भूमि से शुरू हुई गोवर्धन पूजा की परंपरा समय के साथ पूरे भारतवर्ष में फैल चुकी है. (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurt: दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है. यह मूलतः प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है. इस पर्व की बुनियाद भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है. इस दिन गोवर्धन पर्वत को प्रकृति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. इस दिन गौ पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है. ब्रज भूमि से शुरू हुई यह परंपरा समय के साथ पूरे भारतवर्ष में फैल गई. इस वर्ष अन्नकूट और गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

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क्या है गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गोवर्धन पूजा के तीन शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं. इनमें सुबह का मुहूर्त सबसे श्रेष्ठ है. हालांकि आप अपनी सुविधानुसार किसी भी मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.

पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक

दूसरा शुभ मुहूर्त- दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक

तीसरा शुभ मुहूर्त (गोधूली वेला)- शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 10 मिनट तक

गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन वरुण देव, इंद्र देव  और अग्नि देव की उपासना की जाती है. इस दिन गौ पूजा का भी विधान है. गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक प्रतिमा या आकृति तैयार करें. इसकी पूजा पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य आदि से की जाती है. इस दिन पूरे परिवार के लिए एक ही रसोई में विविध प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं और सभी प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करते हैं.

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गोवर्धन पूजा की विधि क्या है?
इस दिन सुबह स्नान से पहले शरीर पर तेल से मालिश करें. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं. गोबर से बने पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़-पौधों के चित्र या प्रतीक बनाएं. बीच में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें. फिर श्रीकृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का श्रद्धापूर्वक पूजन करें. इसके बाद पकवानों और पंचामृत का भोग अर्पित करें. फिर गोवर्धन पूजा की कथा सुनें. लोगों में प्रसाद वितरित करें और परिवार व मित्रों के साथ सामूहिक रूप से भोजन करें.

इस दिन गौ माता की पूजा कैसे करें?
सुबह गोवर्धन पूजा संपन्न होने के बाद गौशाला जाएं. यदि संभव हो तो गाय को स्नान करवाएं और फिर उसका सुंदर श्रृंगार करें. घर से भोजन बनाकर ले जाएं और गौ माता को खिलाएं. श्रद्धा भाव से गाय को हरा चारा भी अर्पित किया जा सकता है. आखिर में गाय के चरणों के पास से थोड़ी सी मिट्टी लेकर उसका तिलक अपने माथे पर लगाएं.

इस साल गोवर्धन पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं, जिनमें सुबह का मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन प्रातःकाल में पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

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