लखनऊ: मुस्लिम समाज के ये लोग कोरोना संक्रमित मृतकों का रीति रिवाज से करते हैं अंतिम संस्कार

लालबाग की जामा मस्जिद के अध्यक्ष जुनून नोमानी लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करा रहे हैं. यही नहीं जुनून नोमानी के मुताबिक सुबह से ही नमाजियों की कतारों के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन रेगुलेटर के लिए भी लोगों की कतारें लगती हैं.

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कोरोना काल में पेश कर रहे हैं इंसानियत की मिसाल (फोटो- आजतक) कोरोना काल में पेश कर रहे हैं इंसानियत की मिसाल (फोटो- आजतक)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 19 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST
  • कोरोना संक्रमितों के लिए बढ़ा रहे हैं मदद का हाथ
  • मस्जिदों के बाहर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए लाइन
  • कई हिंदू मृतकों का रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार

लखनऊ में मुस्लिम समाज से जुड़े कई सामाजिक कार्यकर्ता, कोरना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सिलेंडर और नि:शुल्क वाहन उपलब्ध करा रहे हैं. यहां तक कि कई मुस्लिम युवा कई अज्ञात कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं. लखनऊ में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण फैला हुआ है, उसके बाद से ही मुस्लिम समाज के लोग आगे बढ़कर लोगों की मदद कर रहे हैं और इंसानियत का पैगाम दे रहे हैं. 

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लालबाग की जामा मस्जिद के अध्यक्ष जुनून नोमानी लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करा रहे हैं. यही नहीं जुनून नोमानी के मुताबिक सुबह से ही नमाजियों की कतारों के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन रेगुलेटर के लिए भी लोगों की कतारें लगती हैं. सामान उपलब्ध कराने के बाद जब उनका मरीज ठीक हो जाता है तो वह उसको वापस भी कर जाते हैं. ऐसे में उनके चेहरे पर जो खुशी दिखती है वह अनमोल है.

इसी तरीके से इंदिरा नगर में नूरी मस्जिद की इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक मोहम्मद इमरान व कुदरत उल्ला खान के मुताबिक लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर सोसाइटी की तरफ से दिया जाता है. यही नहीं खाने का सामान और संक्रमित लोगों के लिए नि:शुल्क वाहन भी दिया जाता है. उनकी मानें तो इंसानियत का ढिंढोरा पीटने की बदौलत इंसानियत की मदद की जाए वही सबसे बड़ी खुशी होती है. 

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लखनऊ के इमदाद  इमाम ,जीशान, आबिद और मेहंदी ने मिसाल पेश करते हुए कोरोना संक्रमण से मृत लोगों का अंतिम संस्कार तक किया है. हिंदू हो या मुस्लिम जिसका कोई अंतिम संस्कार के लिए नहीं होता है, वहां पर इमदाद इमाम की टीम अपने युवा साथियों के साथ पहुंचकर, अगर हिंदू है तो हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करती है और अगर मुस्लिम है तो मुस्लिम रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करती है. इसके लिए यह खुद ही अपने पास से चंदा इकट्ठा करके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करते हैं और पीपीई किट पहनकर बिना किसी डर के लोगों तक यह मदद पहुंचाते हैं.
 

 

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