पहले मुख्तार के बेटे और अब बाहुबली बृजेश सिंह... मऊ की दावेदारी पर क्यों अड़ गए ओमप्रकाश राजभर?

ओमप्रकाश राजभर मऊ सदर विधानसभा सीट की जिद पर अड़ गए हैं, तो उसके पीछे एक वजह टिकट का आश्वासन भी बताया जा रहा है. मु्ख्तार अंसारी के परिवार की पारंपरिक सीट मऊ सदर विधानसभा से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर माफिया बृजेश सिंह के नाम की चर्चा है.

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बृजेश सिंह, ओम प्रकाश राजभर (फाइल फोटो) बृजेश सिंह, ओम प्रकाश राजभर (फाइल फोटो)

बिकेश तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर मंगलवार को मऊ में थे. ओमप्रकाश राजभर ने मऊ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने से रिक्त हुई मऊ सदर विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है. उन्होंने कहा कि 2017 में इस सीट पर हमारी पार्टी छह हजार वोट से हार गई थी. 2022 में ये सीट हम जीते थे और अगर उपचुनाव होता है तो सुभासपा इस सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी.

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ओमप्रकाश राजभर ने तो यहां तक कह दिया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में अगर मऊ सदर सीट नहीं दी जाती है, तो भी हम यहां अपना उम्मीदवार उतारेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भरोसा भी जताया कि यह सीट सुभासपा को ही मिलेगी. सवाल है कि ओमप्रकाश राजभर मऊ सदर सीट की दावेदारी पर क्यों अड़ गए हैं?

अंसारी परिवार के सामने बृजेश सिंह को उतारेंगे राजभर?

ओमप्रकाश राजभर मऊ सदर विधानसभा सीट की जिद पर अड़ गए हैं, तो उसके पीछे एक वजह टिकट का आश्वासन भी बताया जा रहा है. मु्ख्तार अंसारी के परिवार की पारंपरिक सीट मऊ सदर विधानसभा से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर माफिया बृजेश सिंह के नाम की चर्चा है. सुभासपा प्रमुख बृजेश सिंह की मऊ उपचुनाव में उम्मीदवारी और अपने रिश्तों को लेकर सवाल टाल गए. हालांकि, बृजेश सिंह के समर्थकों की जमीनी सक्रियता देख इस बात के चर्चे आम हैं कि वह राजभर की पार्टी से चुनाव लड़ेंगे.

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यह भी पढ़ें: हेट स्पीच केस: सजा के खिलाफ अब्बास अंसारी की अपील पर 5 जुलाई को फैसला, विधायकी बचेगी या नहीं?

दो चुनाव में दो गठबंधन, लेकिन सीट सुभासपा के कोटे में रही

यूपी चुनाव 2022 में ओमप्रकाश राजभर 2017 में इस सीट पर चुनाव लड़ने को आधार बनाकर ही अड़ गए थे. तब सुभासपा का समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन था. सपा ने यह सीट सुभासपा को दे तो दी, लेकिन साथ ही उम्मीदवार भी अपना दिया था. मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी सुभासपा से मैदान में उतरे और जीते थे. इस बार फिर पिछले दो चुनाव से मऊ सदर सीट पर चुनाव लड़ने को आधार बनाकर ही ओमप्रकाश राजभर मऊ सदर सीट पर दावेदारी कर रहे हैं.

पिछले दो चुनाव में कैसा रहा है सुभासपा का प्रदर्शन

साल 2017 के यूपी चुनाव में सुभासपा, बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के घटक दल के रूप में चुनाव मैदान में उतरी थी. मऊ सदर विधानसभा सीट गठबंधन में सुभासपा के पास थी और पार्टी ने मुख्तार अंसारी के सामने महेंद्र राजभर को उतारा था. महेंद्र राजभर ने मुख्तार को कड़ी टक्कर दी, लेकिन मात मिली. मुख्तार अंसारी ने तब 8698 वोट के अंतर से चुनाव जीतकर मऊ सदर विधानसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा था.

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यूपी चुनाव 2022 में सुभासपा, सपा की अगुवाई वाले गठबंधन में थी. 2017 चुनाव के प्रदर्शन को आधार बनाकर सुभासपा इस सीट के लिए अड़ गई. सुभासपा के टिकट पर मैदान में उतरे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने बीजेपी के अशोक सिंह को 38 हजार वोट से अधिक के अंतर से हराकर मऊ सदर सीट पर अंसारी परिवार का कब्जा बरकरार रखा. अब्बास अंसारी को हेट स्पीच के मामले में दोषी करार देते हुए मऊ कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद अब्बास विधानसभा सदस्यता चली गई थी. इससे रिक्त हुई मऊ सदर सीट पर उपचुनाव होना है. 

यह भी पढ़ें: जिन पुलिसकर्मियों ने मऊ विधायक अब्बास अंसारी को सजा दिलाने में निभाई अहम भूमिका, उन्हें SP ने किया सम्मानित

मऊ सीट पर कभी नहीं जीती है बीजेपी

मऊ सदर सीट के अतीत की बात करें तो इस सीट पर साल 1980 के यूपी चुनाव से ही मुस्लिम समाज के उम्मीदवारों का वर्चस्व रहा है. 1980 में खैरुल बशर निर्दलीय जीते थे. 1985 में सीपीआई के इकबाल अहमद और 1989 में बसपा के मोबिन जीते थे. 1991 में बीजेपी ने इस सीट पर मुख्तार अब्बास नकवी को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन सीपीआई के इम्तियाज अहमद ने उन्हें हरा दिया था. मुख्तार अब्बास नकवी 1993 में भी मऊ सीट से लड़े, लेकिन हार मिली. 1996 में मुखअतार अंसारी ने बसपा के टिकट पर पहली बार मऊ सीट से जीत हासिल की और इसके बाद से अब तक यह सीट अंसारी परिवार के ही पास रही है. बीजेपी को मऊ सदर सीट पर कभी जीत हासिल नहीं हुई.

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