केरल चुनाव: ISIS का बढ़ता प्रभाव बन सकता है मसला, राज्य सरकार को घेरती रही है बीजेपी

बीजेपी नेता जफरूल इस्लाम ने केरल चुनाव को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश हित और देशवासियों के लिए काम करती है. राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होती है. इसलिए ISIS जैसे मुद्दे को लेकर बीजेपी चिंतित है.

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ISIS से प्रभावित हो रहे हैं केरल के युवा (सांकेतिक फोटो) ISIS से प्रभावित हो रहे हैं केरल के युवा (सांकेतिक फोटो)

दीपक सिंह स्वरोची

  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST
  • इस्लामिक स्टेट के प्रभाव में आ रहे हैं युवा
  • बीजेपी ने केरल सरकार को ठहराया जिम्मेदार
  • जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पिछले कुछ साल में केरल से कई बार ऐसे खबरें आईं हैं, जिससे लगता है कि वहां के कुछ युवा, इस्लामिक स्टेट (आईएस) के प्रभाव में आ रहे हैं. खास बात यह है कि ऐसे सभी लड़के-लड़कियां काफी पढ़े-लिखे हैं. इनमें से ज्यादातर युवाओं की उम्र 20-25 साल के बीच हैं. अप्रैल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए यह भी एक मसला बन सकता है, जिसे भारतीय जनता पार्टी अक्सर उठाती रही है. 

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इस्लामिक स्टेट का बढ़ता असर 

जुलाई 2020 में आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया था कि केरल और कर्नाटक में आईएसआईएस आतंकियों  की “काफी संख्या” हो सकती है. इतना ही नहीं इस बात पर भी ध्यान दिलाया गया कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा आतंकवादी संगठन, हमले की साजिश रच रहा है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, ''एक सदस्य राष्ट्र ने खबर दी थी कि 10 मई, 2019 को घोषित, आईएसआईएल के भारतीय सहयोगी (हिंद विलायाह) में 180 से 200 के बीच सदस्य हैं.'' इसमें कहा गया है कि केरल और कर्नाटक राज्यों में आईएसआईएल सदस्यों की अच्छी-खासी संख्या है.''

मई-2019 में, इस्लामिक स्टेट ( जिसे आईएसआईएस, आईएसआईएल और दाएश के तौर पर भी जाना जाता है) आतंकी संगठन ने भारत में नया “प्रांत” स्थापित करने का दावा किया था. यह कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद अनोखी तरह की घोषणा थी. इस्लामिक स्टेट ने अपनी समाचार एजेंसी अमाक के माध्यम से कहा था कि नई शाखा का अरबी नाम “विलायाह ऑफ हिंद” (भारत प्रांत) है. हालांकि जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस दावे को खारिज कर दिया था.

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बीजेपी ने राज्य सरकार को ठहराया जिम्मेदार 

बीजेपी नेता जफरूल इस्लाम ने केरल चुनाव को लेकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश हित और देशवासियों के लिए काम करती है. राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होती है. इसलिए ISIS जैसे मुद्दे को लेकर बीजेपी चिंतित है. हम लोग परेशानी के जड़ तक पहुंचकर, उसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे. मौजूदा दौर में जो भी युवा लड़के-लड़कियां ISIS के संपर्क में आ रहे हैं. इसके पीछे मौजूदा सरकार की विफलता भी है, क्योंकि वह कट्टरपंथी ताकतों पर नियंत्रण करने में नाकाम रही है. यह सिर्फ केरल में ही हो रहा है. इसलिए सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी लोग ब्रेन वॉश कर रहे हैं, उसके साथ सख्ती से निपटा जाए. अगर भविष्य में केरल में बीजेपी की सरकार बनती है तो ब्रेन वॉश करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा और परेशानी की जड़ में जाकर उसका समाधान निकाला जाएगा.  

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 

सवाल यह उठता है कि आखिर केरल के  युवा आईएस के प्रभाव में क्यों आ रहे हैं? रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं कि केरल के युवा, पर्शियन गल्फ रीजन खासकर सऊदी अरब, यूएएई, कतर, बहरीन जैसे देशों में काम करते हैं. वहां पर अलकायदा और सुन्नी इस्लामिक संस्थाएं काफी सक्रिय हैं. खासतौर पर कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाएं वहाबी-सलाफी का मस्जिदों पर खासा प्रभाव रहता है. केरल के युवा वहां पर बड़ी संख्या में हैं. इनका अरबों के साथ पुराना संबंध रहा है. यहां पर इस्लाम भी अरब से ही आया था. वहीं उत्तर भारत का इस्लाम सेंट्रल एशिया से आया था. सेंट्रल एशिया का इस्लाम लिबरल था. 

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कमर आगा ने कहा, 'अलकायदा और इस्लामिक स्टेट में ज्यादातर जो लोग गए थे, वे पढ़े-लिखे थे. मुस्लिम समाज में देखा जाए तो वैश्विक तौर पर बड़ी क्राइसिस है. यूरोप से काफी लोग आईएसआईएस में गए हैं. भारत में सबसे कम लोग उनके प्रभाव में आए हैं. ऐसे संगठनों के संपर्क में वे लोग ही आए हैं, जिनपर धार्मिक प्रभाव ज्यादा रहा है. केरल में भी वैसे ही लोग आईएस से प्रभावित हुए हैं जिनका धार्मिक जुड़ाव ज्यादा रहा है. वो अरबी जानते हैं और इस वजह से कुछ परिवार आसानी से उनके संपर्क में आ गए.' 

क्या वामपंथी सरकार की किसी नरम रवैये की वजह से भी केरल के पढ़े लिखे युवा आसानी से ऐसे कट्टरपंथी संगठनों के संपर्क में आ जाते हैं? बीजेपी के इस आरोप के जवाब में वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि मुसलमानों में शुरुआत से ही वामपंथ का कोई प्रभाव नहीं रहा है. इस्लामिक देशों में देखें तो वहां पर वामपंथ ज्यादा आया भी नहीं है. अगर कुछ जगह आया भी तो सेना के परिवर्तन से, क्योंकि वहां सेना ने सत्ता परिवर्तन कर दी और उसमें वामपंथी प्रभाव के कुछ लोग थे. यह भी सिर्फ ईस्टर्न यूरोप में एक दो जगहों पर हुआ है. बाकी मुस्लिम देशों में इसका कोई प्रभाव नहीं रहा है. शुरुआत से ही मुसलमान मानते रहे कि यह धर्म के विरोध में है. केरल में भी मुसलमानों का रुझान मुस्लिम लीग की तरफ हुआ.

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राज्य की जनसंख्या घटक महत्वपूर्ण  
 बता दें कि केरल में हिंदुओं की जनसंख्या 55 प्रतिशत करीब है, जबकि अल्पसंख्यकों जैसे मुस्लिम और ईसाइयों की जनसंख्या करीब 45 प्रतिशत है. लेकिन केरल के हिंदू और उत्तर भारत के हिंदू में अंतर है. केरल में हिंदुत्व कार्ड उस तरह काम नहीं करता जैसे देश के बाकी हिस्सों में कर गया है. केरल के हिंदू मतदाता सीपीआई, सीपीआई(एम) और कांग्रेस को वोट करते हैं, अगर बीजेपी ध्रुवीकरण करने में सफल भी हुई, तब भी बीजेपी को इन 55 प्रतिशत वोटों में से कितने प्रतिशत वोट मिल सकेंगे ये बड़ा सवाल है.

LDF (लेफ्ट गठबंधन) को पंचायत, नगरपालिका और नगर निगमों तीनों चुनावों में बहुमत मिला है. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का रास्ता बहुत आसान नजर नहीं आता. दिसंबर में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में एलडीएफ ने 40.2 फीसदी वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 37.9 फीसदी वोट हासिल किए थे. जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 15 फीसदी वोट मिले हैं.

 

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