कोई क्रिकेट से, कोई अफसरी छोड़ तो कोई सिनेमा से आया... बिहार सीरीज में आज बात ऑफबीट नेताओं की

कोई क्रिकेट छोड़कर, तो कोई सिनेमा की चकाचौंध भरी दुनिया छोड़कर आया तो कोई संयुक्त राष्ट्र संघ की नौकरी, अफसरी छोड़कर. बिहार सीरीज में आज बात करेंगे ऐसे ही ऑफबीट नेताओं की, जो अलग-अलग फील्ड और बैकग्राउंड से सियासत में आए हैं.

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Tej Pratap Yadav, Shivdeep Lande, Pushpam Priya Tej Pratap Yadav, Shivdeep Lande, Pushpam Priya

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST

बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर तक विधानसभा के चुनाव हैं और चुनावी साल में राजनेताओं की भरमार है. कुछ पुराने कद्दावर नए सिरे से खुद को साबित करने, स्थापित करने की कोशिश में हैं. वहीं ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं जो थे तो दूसरी फील्ड में, लेकिन अब राजनीति में अपनी राह तलाश रहे हैं. कोई क्रिकेट छोड़कर, तो कोई सिनेमा की चकाचौंध भरी दुनिया छोड़कर आया तो कोई संयुक्त राष्ट्र संघ की नौकरी, अफसरी छोड़कर. बिहार सीरीज में आज बात करेंगे ऐसे ही ऑफबीट नेताओं की, जो अलग-अलग फील्ड और बैकग्राउंड से सियासत में आए हैं.

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तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र हैं. साल 2015 के बिहार चुनाव में पहली बार विधानसभा पहुंच सियासी सफर का आधिकारिक आगाज करने वाले तेजस्वी यादव राजनीति के मैदान में उतरने से पहले क्रिकेट की दुनिया में अपना करियर बनाने की कवायद में जुटे थे. साल 2013 में क्रिकेट को अलविदा कहने वाले तेजस्वी दिल्ली की अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 टीमों का हिस्सा रहे हैं. वह 2008 का अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली टीम में भी स्टैंडबाई प्लेयर के रूप में थे.

तेजस्वी 2008 से 2012 तक आईपीएल में भी दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) का हिस्सा रहे हैं. 2009 में झारखंड के लिए डेब्यू करने वाले तेजस्वी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट के एक मैच में 20 और दो लिस्ट ए मुकाबलों में 14 रन बनाए. तेजस्वी चार टी-20 मुकाबले भी खेले. तेजस्वी ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान खुद यह दावा किया था कि विराट कोहली भी उनकी कप्तानी में खेले हैं. तेजस्वी यादव ने एज ग्रुप क्रिकेट दिल्ली की ओर से ही खेले हैं, जहां से विराट कोहली भी खेलते थे.

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तेजस्वी ने लिगामेंट की चोट के बाद साल 2013 में क्रिकेट को अलविदा कह राजनीति में अपने परिवार की विरासत आगे बढ़ाने का फैसला लिया. साल 2010 में आरजेडी के लिए चुनाव प्रचार करने वाले तेजस्वी 2015 में पार्टी के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरे और जीतकर डिप्टी सीएम बने. वह बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और विपक्षी महागठबंधन की अगुवाई कर रही आरजेडी की ओर से सीएम फेस भी. 

तेज प्रताप यादव

अपने सोशल मीडिया हैंडल से 12 साल पुरानी प्रेम कहानी पोस्ट होने के बाद आरजेडी से निष्कासित विधायक तेज प्रताप यादव भी लालू यादव के ही पुत्र हैं. आरजेडी प्रमुख लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने भी 2015 के बिहार चुनाव से चुनावी राजनीति में कदम रखा था. राजनीति में आने से पहले तेज प्रताप एविएशन सेक्टर में करियर बनाने की कवायद में जुटे थे. बिहार बोर्ड से 12वीं पास तेज प्रताप एक ट्रेंड पायलट हैं और इसका खुलासा उन्होंने खुद भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के समय किया था.

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तेज प्रताप यादव ने बिहार के फ्लाइंग इंस्टीट्यूट से पायलट की ट्रेनिंग ली है. तेज प्रताप को 26 अप्रैल 2011 के दिन पायलट लाइसेंस जारी हुआ था, जिसकी वैधता 25 अप्रैल 2021 तक थी. ट्रेंड पायलट तेज प्रताप 2015 के बिहार चुनाव में आरजेडी की कॉकपिट में सवार हो गए. तेज प्रताप महुआ सीट से पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए और बिहार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बनाए गए. तेज प्रताप फिलहाल समस्तीपुर की हसनपुर सीट से विधायक हैं.

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चिराग पासवान

बिहार के ऑफबीट नेताओं की लिस्ट में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का नाम भी शामिल है. लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के पुत्र चिराग सियासत में आने से पहले हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहते थे. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद चिराग ने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झांसी क इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक (दूसरे सेमेस्टर तक) की पढ़ाई की है. चिराग ने इसके बाद सिने जगत का रुख किया.

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साल 2011 में उनकी पहली फिल्म 'मिलें ना मिले हम' आई थी. इस फिल्म में चिराग के अपोजिट कंगना रनौत थीं, जो फिलहाल हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी की सांसद हैं. चिराग की डेब्यू फिल्म फ्लॉप रही. इस फिल्म में पूनम ढिल्लों, सागरिका घाटगे, कबीर बेदी सरीखे नामचीन सितारों ने भी काम किया था.  चिराग इसके बाद अपने पिता की बनाई पार्टी में सक्रिय हो गए. चिराग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जमुई सीट से एनडीए की ओर से एलजेपी के टिकट पर जमुई सीट से चुनाव लड़ा और विजयी रहे.

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चिराग पासवान 2019 में भी जमुई से ही सांसद निर्वाचित हुए और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए. चाचा पशुपति पारस से अदावत के बाद चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली और फिलहाल इसी पार्टी से हाजीपुर के सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनकी पार्टी सूबे के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल है.

मुकेश सहनी

मुकेश सहनी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष हैं. गैर-राजनीतिक परिवार से आने वाले मुकेश सहनी का नाम भी ऑफबीट नेताओं की लिस्ट में आता है. मुकेश राजनीति में आने से पहले मायानगरी मुंबई में फिल्मों के सेट डिजाइन करते थे. कहा जाता है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और मुकेश सहनी रोजी-रोजगार की तलाश में मुंबई चले गए. मुकेश सहनी को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि उन्होंने मुंबई में पहले कॉस्मेटिक  बेची और फिर फिल्मों के सेट बनाने के काम में लग गए.

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सेट डिजाइन करने के काम में मुकेश रम गए और 'मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड' नाम से अपनी कंपनी बना ली, जिसने शाहरुख खान की फिल्म देवदास, सलमान खान की बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों के लिए सेट डिजाइन किए. फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने वाले मुकेश सहनी 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में एक्टिव हुए और बीजेपी के पक्ष में जमकर प्रचार किया. तब जेडीयू लालू यादव की अगुवाई वाली आरजेडी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी. बीजेपी चुनाव हार गई, लेकिन मुकेश सहनी सूबे की सियासत में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे.

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फिल्मों के सेट डिजाइनर से राजनेता बने मुकेश सहनी ने 2018 में निषाद आरक्षण महारैला आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया और इसी कार्यक्रम में वीआईपी नाम से अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया. 2020 के चुनाव में वीआईपी एनडीए के घटक के रूप में मैदान में उतरी थी और चार सीटें जीतकर दमदार एंट्री की थी. मुकेश बिहार सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन बीजेपी से संबंध तल्ख होने के बाद उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. इस बार वीआईपी, आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन में है.

शिवदीप लांडे

शिवदीप लांडे ने हाल ही में हिंद सेना नाम से अपनी पार्टी बनाई है. शिवदीप लांडे भारतीय पुलिस सेवा के 2006 बैच के अधिकारी हैं. बिहार का सिंघम के रूप में पहचान बनाने वाले शिवदीप लांडे अफसरी छोड़कर राजनीति में आए हैं. 49 साल के शिवदीप मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. उनका जन्म अकोला में हुआ था. उनकी पत्नी के पिता विजय शिवतारे शिवसेना के नेता हैं, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बिहार शिवदीप की कर्मभूमि रहा है. सूबे के कई जिलों में वह पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं और अब इस चुनाव से सियासी डेब्यू करने जा रहे हैं.  

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प्रशांत किशोर

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने पिछले ही साल 2 अक्तूबर को जन सुराज नाम से अपनी पार्टी बनाने का ऐलान किया था. बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर भी गैर-राजनीतिक बैकग्राउंड से आते हैं. प्रशांत के पिता डॉक्टर रहे और पत्नी भी डॉक्टर हैं. मूल रूप से रोहतास जिले के कोनार गांव के रहने वाले पीके ने खुद भी यूएन में नौकरी की है. हैदराबाद होते हुए अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में नौकरी के बाद पीके भारत लौट आए और चुनाव रणनीतिकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

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प्रशांत किशोर का नाम सबसे अधिक 2014 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद चर्चा में रहा. तब पीएम कैंडिडेट रहे नरेंद्र मोदी का कैंपेन पीके ने ही डिजाइन किया था और बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को बड़ी जीत मिली थी. इसके बाद राजनीतिक दलों की दिलचस्पी भी पीके में बढ़ गई. पीके ने 2015 के बिहार चुनाव में एनडीए से अलग महागठबंधन के साथ उतरे नीतीश कुमार के कैंपेन का जिम्मा संभाला. नीतीश की अगुवाई में महागठबंधन विजय रथ पर सवार बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को रोकने में सफल रहा.

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पीके आंध्र प्रदेश में वाईएस जगनमोहन रेड्डी, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, तमिलनाडु में एमके स्टालिन के चुनाव अभियान को भी डिजाइन कर चुके हैं. प्रशांत किशोर ने जेडीयू से अपने सियासी सफर का आगाज किया था. वह 16 सितंबर 2018 को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके एक महीने बाद ही 16 अक्टूबर 2018 को नीतीश कुमार ने पीके को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था. हालांकि, पीके अधिक समय तक पार्टी में नहीं रहे. जेडीयू छोड़ पीके ने जन सुराज पदयात्रा शुरू की. 2 अक्टूबर 2024 को पीके ने जन सुराज पार्टी नाम से राजनीतिक गठन की घोषणा की थी.   

पुष्पम प्रिया चौधरी

बिहार के दरभंगा जिले की निवासी पुष्पम प्रिया चौधरी जेडीयू के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी हैं. 12वीं तक की पढ़ाई के बाद उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बाहर गईं पुष्पम प्रिया लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स की पढ़ाई की हैं. पुष्पम प्रिया बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अखबारों में विज्ञापन दे खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चर्चा में आई थीं. पुष्पम प्रिया ने प्लूरल्स नाम से अपनी पार्टी बनाई है, जिसकी वह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.

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