केरल के स्थानीय निकाय चुनाव इस बार केवल सीटों की गणित तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने राज्य की राजनीति में कुछ ऐसे मुद्दों को भी केंद्र में ला दिया, जो आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकते हैं. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) का परंपरागत दबदबा बरकरार है, कांग्रेस भी कई इलाकों में मजबूती से लड़ती दिखी, लेकिन बीजेपी के लिए यह चुनाव खास तौर पर अहम माना जा रहा है.
इसकी सबसे बड़ी वजह है एर्नाकुलम जिले का मुनंबम इलाका, जहां NDA की जीत को बीजेपी एक "राजनीतिक और सामाजिक टर्निंग पॉइंट" के रूप में पेश कर रही है. बीजेपी के केरल महासचिव अनूप एंटनी जोसेफ ने मुनंबम वार्ड में NDA की जीत को "ऐतिहासिक" बताया है.
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बीजेपी नेता का दावा है कि मुनंबम में करीब 500 ईसाई परिवार वक्फ बोर्ड के कथित अवैध दावों की वजह से अपने घरों से बेदखली के खतरे का सामना कर रहे थे. अनूप एंटनी के मुताबिक, मोदी सरकार और बीजेपी ने इस मुद्दे पर खुलकर इन परिवारों का साथ दिया, उसी का नतीजा है कि लोगों ने स्थानीय चुनाव में बीजेपी को अपना समर्थन दिया.
सात दशक पुराना है वक्फ विवाद की जड़
मुनंबम वक्फ विवाद की जड़ें आज से करीब सात दशक पुरानी हैं. 1950 में सिद्दीकी सैत नामक व्यक्ति ने यह जमीन फरीद कॉलेज को दान की थी. इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने इस भूमि के कुछ हिस्से स्थानीय निवासियों को बेच दिए, जबकि इन इलाकों में लोग पहले से रह रहे थे. साल 2019 में केरल वक्फ बोर्ड ने इस पूरी जमीन को वक्फ संपत्ति के तौर पर रजिस्टर कर दिया, जिससे पहले हुए सभी सौदे अमान्य माने जाने लगे. इसके बाद सैकड़ों परिवारों के सामने बेदखली का संकट खड़ा हो गया.
410 परिवारों के बेदखली का डर
इस फैसले के खिलाफ मुनंबम और चेराई इलाकों में 410 दिनों से भी ज्यादा समय तक आंदोलन चला. प्रभावित परिवारों ने कोझिकोड वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी, वहीं राज्य सरकार ने जमीन के स्वामित्व की जांच के लिए सीएन रामचंद्रन नायर आयोग का गठन किया. 2025 में केरल हाई कोर्ट के एकल पीठ ने इस आयोग को रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में डिवीजन बेंच ने आयोग को बहाल करते हुए 2019 के वक्फ रजिस्ट्रेशन को "कानून के अनुरूप नहीं" बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के "नॉट वक्फ" वाले फैसले पर रोक लगा दी और जनवरी 2026 तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. इससे फिलहाल किसी भी परिवार की बेदखली पर रोक है. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी पहले ही भरोसा दिला चुके हैं कि किसी को जबरन नहीं हटाया जाएगा.
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मुनंबम की जीत को ईसाई समर्थन का संकेत मान रही बीजेपी
बीजेपी अब इस पूरे विवाद को "न्याय बनाम अन्याय" की लड़ाई के रूप में पेश कर रही है. मुनंबम में मिली जीत को पार्टी केरल में ईसाई समुदाय के बीच बढ़ते भरोसे का संकेत मान रही है. मसलन, भले ही यह जीत प्रतीकात्मक हो, लेकिन वक्फ जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बीजेपी की आक्रामक राजनीति आने वाले समय में राज्य की चुनावी बहस को और तेज कर सकती है.
सीएम ममता बनर्जी ने मांगी माफी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बदइंतजामी पर नाराजगी जाहिर कीं. उन्होंने कहा, "सॉल्ट लेक स्टेडियम में आज जिस तरह का कुप्रबंधन देखने को मिला, उससे मैं बेहद व्यथित और स्तब्ध हूं. मैं स्वयं भी हजारों खेल प्रेमियों और प्रशंसकों के साथ इस आयोजन में शामिल होने के लिए स्टेडियम जा रही थी, जो अपने पसंदीदा फुटबॉलर लियोनेल मेसी की एक झलक पाने के लिए वहां जुटे थे."
सीएम ममता ने कहा, "इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए मैं लियोनेल मेसी के साथ-साथ सभी खेल प्रेमियों और उनके प्रशंसकों से दिल से माफी मांगती हूं."
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