बीजेपी के कमजोर दुर्ग को अमित शाह दुरुस्त करने में जुटे, रणनीति-संवाद और समन्वय से बिहार फतह का प्लान

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मिशन बिहार की कमान संभाल ली है. गुरुवार को पटना में अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच बैठक हुई. इसके बाद शाह बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कर बिहार में कमजोर माने जाने वाले दुर्ग को मजबूत करने की कवायद में जुट गए हैं.

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सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह की बैठक से क्या निकलेगा सीट शेयरिंग फॉर्मूलान(Photo-ITG) सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह की बैठक से क्या निकलेगा सीट शेयरिंग फॉर्मूलान(Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 18 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव की कमान बीजेपी नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल ली है. अमित शाह ने बुधवार देर रात बीजेपी के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर सियासी नब्ज़ का अंदाज़ा लगाया तो गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू नेताओं के साथ बंद कमरे में मुलाकात हुई.

अमित शाह ने नीतीश कुमार और उनके सिपहसालार संजय कुमार झा और विजय कुमार चौधरी के साथ सीट शेयरिंग पर समन्वय बनाने की कवायद की है. इसके बाद बीजेपी के कमजोर माने जाने वाले सियासी गढ़ को दुरुस्त करने के मिशन में जुट गए.

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मिशन 2025 को कामयाब बनाने के लिए अमित शाह फिर से सक्रिय हो गए हैं. महज़ 10 दिन में अमित शाह का यह दूसरा दौरा है. माना जा रहा है कि शाह की यह रणनीति, संवाद और समन्वय के ज़रिए बिहार के शाहाबाद-मगध जैसे कमज़ोर क्षेत्रों में पकड़ मज़बूत करने की है.

मिशन बिहार में जुटे अमित शाह

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बिहार विधानसभा चुनाव की रणभूमि में उतरने से पहले अमित शाह ने पिछले दिनों दिल्ली में बिहार के बीजेपी नेताओं के साथ मंथन कर सियासी माहौल को समझने की कवायद की है. बिहार में इंडिया ब्लॉक की एकता को देखते हुए अमित शाह ने खुद विधानसभा चुनाव की कमान संभाल ली है. अमित शाह 5000 कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर टिकट वितरण और चुनावी जंग जीतने की रणनीति बनाएंगे.

अमित शाह ने पहले बिहार में एनडीए के सबसे बड़े पार्टनर जेडीयू के साथ बैठक की और अब बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कर अपने सांगठनिक ढाँचे को मज़बूत करने में जुटे हैं. यही वजह है कि अमित शाह का बिहार दौरा सिर्फ सियासी शो नहीं, बल्कि तीन प्रमुख मोर्चों- रणनीति, संवाद और समन्वय पर कार्य करने की कोशिश है.

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बीजेपी के कमज़ोर दुर्ग को करेंगे दुरुस्त 

अमित शाह गुरुवार को दो बैठकें करेंगे. शाहाबाद और मगध क्षेत्र की कमज़ोर कड़ी को मज़बूत करने के लिए अमित शाह 20 ज़िलों के करीब 5000 कार्यकर्ताओं के साथ मंथन करेंगे. रोहतास में बीजेपी की क्षेत्रीय बैठक में शामिल हुए. पहली बैठक में 50 विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस रहेगा, उसके बाद बेगूसराय जाएँगे. बेगूसराय में दूसरी क्षेत्रीय बैठक में शामिल होंगे, जो बेगूसराय इलाक़े की 50 सीटों के लिए होगी. विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अमित शाह ज़मीनी रणनीति को धार देने में जुट गए हैं.

रोहतास में अमित शाह ने कैमूर, आरा, बक्सर, गया पूर्वी, गया पश्चिमी, नवादा, जहानाबाद, अरवल और औरंगाबाद के कार्यकर्ताओं से संवाद किया. इस बैठक में शाहाबाद और मगध क्षेत्रों को राजनीतिक रूप से मज़बूत करने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई. इसके बाद दूसरी बैठक बेगूसराय के रिफाइनरी टाउनशिप खेल मैदान में है, जिसमें पटना ग्रामीण, पटना महानगर, बाढ़, नालंदा, शेखपुरा, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, खगड़िया और बेगूसराय इन 10 ज़िलों के कार्यकर्ताओं, नेताओं और पदाधिकारियों से संवाद होगा.

अमित शाह देंगे बिहार को जीत का मंत्र

अमित शाह बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर सिर्फ एनडीए की ताक़त बढ़ाने की रणनीति ही साझा नहीं कर रहे हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं को विरोधियों से मुक़ाबले के सटीक राजनीतिक मंत्र भी दे रहे हैं. इसीलिए 20 ज़िलों की दो बैठकें रखी गई हैं, जिसमें 5000 कार्यकर्ताओं को दो हिस्सों में बांटा गया है. 2500-2500 कार्यकर्ताओं के साथ शाह मुलाक़ात करेंगे.

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अमित शाह बूथ से लेकर ज़िला स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर चुनावी तैयारी का फीडबैक लेंगे. साथ ही प्रत्याशियों की लोकप्रियता और स्थानीय प्रभाव को लेकर नेताओं से भी विस्तार से विचार-विमर्श कर रहे हैं. यह विधानसभा चुनाव में जीत की रणनीति की मज़बूत आधारशिला रखने की रणनीति है.

शाहबाद और मगध इलाके पर नजर

गृह मंत्री अमित शाह का फोकस इस बार बिहार के दो कमज़ोर क्षेत्रों शाहाबाद और मगध पर है, जहाँ एनडीए की स्थिति चिंताजनक रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में शाहाबाद के चार ज़िलों में एनडीए खाता तक नहीं खोल सका था. वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी इस पूरे क्षेत्र में एनडीए को सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. वाम दलों की मज़बूत मौजूदगी ने यहाँ एनडीए को बार-बार चुनौती दी है.

2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 22 में से 6 सीटें मिली थीं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में चारों सीटें जीतकर ज़ोरदार वापसी की थी, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में यह प्रदर्शन गिर गया और एनडीए सिर्फ दो सीटों आरा और बड़हरा पर सिमट गई. 2024 के विधानसभा उपचुनाव में तरारी और रामगढ़ जीतकर भाजपा ने थोड़ी राहत ज़रूर पाई, लेकिन उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में चारों सीटें गँवानी पड़ीं. इसीलिए शाह बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी संवाद कर सियासी नब्ज़ समझ रहे हैं.

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