नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के अररिया जिले में स्थित है. यह पूरा नरपतगंज प्रखंड और भरगामा प्रखंड के 13 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है. इस सीट का गठन वर्ष 1962 में हुआ था और अब तक यहां 15 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं.
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में नरपतगंज में कुल 3,28,546 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें 61,274 अनुसूचित जाति के
मतदाता (18.65%) और 70,308 मुस्लिम मतदाता (21.40%) शामिल थे. यादव समुदाय भी यहां प्रभावी भूमिका निभाता है, जिनकी संख्या 62,095 (18.90%) थी. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. सामान्यतः यहां 60% से अधिक मतदान होता है. 2020 में मतदान प्रतिशत 61.18% दर्ज किया गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,44,243 हो गई. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2020 की मतदाता सूची से 3,972 मतदाता पलायन कर चुके थे, जो इस क्षेत्र में रोजगार की कमी और युवाओं के बड़े पैमाने पर बाहर जाने को दर्शाता है.
हालांकि मुस्लिम मतदाता सबसे बड़ा समूह हैं, फिर भी अब तक कोई मुस्लिम प्रत्याशी यहां से जीत नहीं पाया है. इसके विपरीत यादव नेताओं ने 15 में से 14 बार चुनाव जीता है. केवल 1962 में कांग्रेस के उम्मीदवार दु्मर लाल बैथा ने यह सीट जीती थी. कांग्रेस ने कुल पांच बार जीत दर्ज की, जिनमें शुरुआती चार चुनाव लगातार उसके नाम रहे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी यहां पांच बार जीत हासिल की. जनार्दन यादव ने 1980 में पहली बार भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने 2000 और फरवरी 2005 में भी जीत हासिल की. इससे पहले 1977 में वे जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भी विजयी हुए थे. जनता पार्टी और राजद (आरजेडी) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश यादव ने आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल कुमार यादव को 28,610 वोटों से हराया. इस चुनाव में एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 2.7% वोट ही हासिल कर पाई. 2015 में राजद ने भाजपा को 25,951 वोटों से हराया था. उस समय जेडीयू राजद के साथ गठबंधन में थी. दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू ने अब तक नरपतगंज सीट कभी नहीं जीती, लेकिन 2015 और 2020 में गठबंधन सहयोगी रही. भाजपा की पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से 68,834 वोटों की बढ़त मिली थी, जबकि 2024 में भी उसने 38,774 वोटों से बढ़त बनाए रखी.
इन चुनावी नतीजों से साफ है कि भाजपा लगातार तीन चुनावों में मजबूत स्थिति में रही है और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी उसके आत्मविश्वास को बल मिलता है. दूसरी ओर, राजद-नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन लगभग 39% गैर-मतदान करने वाले वोटरों को अपने पक्ष में लाने की चुनौती से जूझ रहा है.
नरपतगंज का भूभाग समतल और उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हिस्सा है. मानसून के दौरान यहां बाढ़ और जलजमाव की समस्या आम है. कोसी नदी इस क्षेत्र से होकर बहती है, जो कृषि के लिए सहायक है लेकिन साथ ही बाढ़ के खतरे को भी बढ़ाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है. धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा औद्योगिक या कृषि-आधारित उद्योग नहीं है, जिससे आर्थिक ठहराव और पलायन की स्थिति बनी रहती है.
यहां आधारभूत सुविधाओं की कमी साफ झलकती है. शिक्षा का स्तर कम है और स्वास्थ्य केंद्रों व विद्यालयों में आवश्यक संसाधनों की कमी है.
नरपतगंज कस्बा, अररिया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी उत्तर में स्थित है. यह फारबिसगंज से लगभग 60 किमी और राज्य की राजधानी पटना से करीब 300 किमी दूर है. जोगबनी (30 किमी) और बनकंकी बाजार (76 किमी) यहां के नजदीकी कस्बे हैं.
(अजय झा)