भारत में दशहरा के दिन राम सीता की पूजा की जाती है और शाम को रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों को जलाकर दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. श्रीलंका और रावण का संबंध हिन्दू धर्म के प्राचीन महाकाव्य रामायण में वर्णित है. रामायण में रावण को लंका का राजा बताया गया है. कहा जाता है कि रावण लंका का राजा था और उसने श्रीलंका को भव्य नगर के रूप में बसाया था.
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रावण ने सीता माता का हरण किया था, जिससे भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ. यह युद्ध श्रीलंका के मैदान में लड़ा गया था और अंत में भगवान राम ने रावण का वध किया. दशहरा वाले दिन लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि श्रीलंका में दशहरा कैसे मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं.
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यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है. कहानी के अनुसार, हिंदू देवता भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण, हनुमान और वानर सेना के साथ राक्षस राजा रावण को हराया था और माता सीता को छुड़ाया था. श्रीलंका में भी लोग इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न में मनाते हैं और राम-सीता की पूजा करते हैं.
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भारत में मनाए जाने वाले उत्सवों की तरह लोग श्रीलंका में भी दस दिनों के महायुद्ध की समाप्ति का जश्न मनाते हैं. दिवाली, ईद और पोंगल जैसे लोकप्रिय भारतीय त्योहारों की तरह, श्रीलंका में दशहरा भी एक लोकप्रिय त्योहार है.
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भारत और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में, लोग जुलूस निकालते हैं जिनमें कलाकार रामायण के प्रमुख पात्रों का अभिनय करते हैं जिसे रामलीला भी कहा जाता है. वहां भी रामलीला दस दिनों तक चलती है. रावण काफी विद्वान था इसलिए श्रीलंका में कई जगहों पर लोग रावण को एक विद्वान के रूप में भी देखते हैं. रावण के पास अनेक विषयों में गहरा और विस्तृत ज्ञान प्राप्त था.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसरा, श्रीलंका में रावण दहन भारत की तरह नहीं होता है. वहां अधिकतर लोग रावण का पुतला नहीं जलाते हैं. हालांकि, इस बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न जरूर मनाया जाता है. इसलिए इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है.
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भारत की तरह ही, श्रीलंका में भी दशहरा कई तरह के कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है. लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और उपहार देते हैं. देवताओं की पूजा करते हैं और भक्ति संगीत बजाते हैं. श्रीलंका के नुवारा एलिया, चिलाव और पुट्टलम में कुछ हिंदू मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक महत्व है और जो भगवान राम को समर्पित हैं.
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