थाईलैंड से गाजा और फिर यूक्रेन तक... दुनिया के तीन अटके हुए सीजफायर्स की कहानी

थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर, गाजा और यूक्रेन – ट्रंप के कराए हुए तीन सीजफायर अटके हुए हैं. थाईलैंड में फिर झड़पें हुई है. गाजा में बंधक-विड्रॉल विवाद में फंसा है. यूक्रेन में रूस की शर्तें लागू हैं. बातचीत रुकी है. हमले जारी हैं. मदद नहीं पहुंच रही. ट्रंप की डीलमेकिंग टेम्परेरी पॉज साबित हो रही, स्थायी शांति दूर है.

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यूक्रेन, थाईलैंड और गाजा का सीजफायर ट्रंप ने करवाया लेकिन सब अटके हुए हैं. (File Photo: AP) यूक्रेन, थाईलैंड और गाजा का सीजफायर ट्रंप ने करवाया लेकिन सब अटके हुए हैं. (File Photo: AP)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

दुनिया में कई जगहों पर युद्ध रुके हुए हैं, लेकिन शांति नहीं आ रही. सीजफायर यानी युद्धविराम की घोषणा हो जाती है, लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाते. आज हम बात करेंगे तीन ऐसे सीजफायर की – थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर, गाजा और यूक्रेन. ये तीनों जगहों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों से सीजफायर हुए, लेकिन अब सब अटके हुए हैं. लोग मर रहे हैं, मदद नहीं पहुंच रही और बातचीत रुकी हुई है. 

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थाईलैंड-कंबोडिया बॉर्डर: ट्रंप का सीजफायर, अब फिर झड़पें

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सालों से बॉर्डर पर विवाद चल रहा है. 2025 की शुरुआत में ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मलेशिया में मीटिंग करवाई और सीजफायर साइन करवाया. सब खुश थे कि अब शांति हो जाएगी. लेकिन दिसंबर आते-आते हालात फिर बिगड़ गए. दोनों देश एक-दूसरे पर गोलीबारी का आरोप लगा रहे हैं.

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थाईलैंड कहता है कंबोडिया ने उसके इलाके में घुसकर हमला किया, तो कंबोडिया कहता है थाईलैंड ने बॉर्डर पर कांटेदार तार लगाकर उसके सैनिकों को पकड़ा. दिसंबर में फिर झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग मारे गए. ट्रंप का किया समझौता अब खतरे में है. विशेषज्ञ कहते हैं, ये सीजफायर सिर्फ कागजों पर था, जमीन पर पुराने विवाद सुलझे नहीं. अब दोनों देश फिर हथियार उठाने को तैयार लग रहे हैं.

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गाजा: ट्रंप का प्लान लेकिन आगे नहीं बढ़ रहा सीजफायर

गाजा में इजरायल और हमास के बीच दो साल से ज्यादा चला युद्ध. ट्रंप के प्लान से अक्टूबर 2025 में सीजफायर हुआ. पहले फेज में बंधकों की रिहाई हुई, कुछ फिलिस्तीनी कैदी छूटे. लेकिन अब एक महीने से ज्यादा हो गए, प्रोग्रेस रुका हुआ है. इजरायल कहता है हमास सभी बंधकों के शव नहीं लौटा रहा, इसलिए आगे नहीं बढ़ेंगे.

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हमास कहता है इजरायल मदद नहीं पहुंचने दे रहा और राफा बॉर्डर पूरी तरह नहीं खोल रहा. दिसंबर में इजरायली ड्रोन हमलों में कई लोग मारे गए, जिसमें बच्चे भी शामिल है. कतर के प्रधानमंत्री ने कहा कि ये अभी पूरा सीजफायर नहीं, सिर्फ पॉज है. क्रिटिकल मोमेंट है. मदद के ट्रक कम आ रहे, लोग भूखे हैं. ट्रंप का प्लान था कि स्थायी शांति आएगी, लेकिन अब लग रहा है ये भी अटक गया. इजरायल ने कुछ इलाकों पर कंट्रोल रखा हुआ है, जो समझौते के खिलाफ है.

यूक्रेन: बातचीत चल रही लेकिन सीजफायर दूर की कौड़ी

रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो चुके हैं. ट्रंप ने सत्ता संभालते ही पीस प्लान शुरू किया. दिसंबर में उनके एनवॉय स्टीव विटकॉफ और जेरेड कुश्नर मॉस्को गए. पुतिन से बात की. लेकिन पुतिन ने कहा कि अमेरिकी प्रपोजल में कई पॉइंट्स ऐसे हैं जिनसे वो सहमत नहीं. यूक्रेन के प्रेसिडेंट जेलेंस्की कहते हैं, सीजफायर ऐसा हो जो रूस को दोबारा हमला करने का मौका न दे. रूस इलाके छोड़ने को तैयार नहीं, यूक्रेन सिक्योरिटी गारंटी चाहता है.

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बातचीत मियामी और इस्तांबुल में हो रही है, लेकिन कोई ब्रेकथ्रू नहीं. इसी बीच रूस यूक्रेन पर हमले जारी रखे हुए है. पुतिन ने धमकी दी कि अगर समझौता नहीं तो डोनबास पर कब्जा करेंगे. यूरोपीय देश कहते हैं ट्रंप का प्लान रूस को ज्यादा फायदा दे रहा है. जेलेंस्की ने कहा कि रूस दुनिया का समय बर्बाद कर रहा है.

तीनों सीजफायर क्यों अटके?

ये तीनों मामलों में कॉमन बात है – ट्रंप की डीलमेकिंग. वो तेजी से सीजफायर करवाते हैं, लेकिन लंबे समय की शांति के लिए जरूरी राजनीतिक समझौते नहीं होते. थाईलैंड-कंबोडिया में बॉर्डर डिस्प्यूट पुराना है. गाजा में बंधक और विड्रॉल का मुद्दा, यूक्रेन में इलाके और सिक्योरिटी का. 

विशेषज्ञ कहते हैं, बिना मजबूत इंटरनेशनल प्रेशर और दोनों पक्षों की ईमानदारी के सीजफायर सिर्फ टेम्परेरी पॉज बनकर रह जाते हैं. लाखों लोग इन अटके सीजफायर की वजह से पीड़ित हैं – भूख, मौत और अनिश्चितता. दुनिया उम्मीद कर रही है कि 2026 की शुरुआत तक कुछ हल निकले, लेकिन फिलहाल सब अटका हुआ है.

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