एक साल में भारत ने 8 परमाणु बम बढ़ाए तो चीन ने 100... जानिए पाक समेत बाकी देशों के पास कितने

परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या, नए हथियारों का विकास और हथियार नियंत्रण की कमी एक नई हथियार दौड़ को जन्म दे रही है. भारत और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रों में यह खतरा और गहरा है. परमाणु हथियार सुरक्षा की गारंटी नहीं हैं, बल्कि वे गलतफहमी या दुर्घटना से विनाशकारी परिणाम ला सकते हैं. SIPRI की 2025 की रिपोर्ट दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है.

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भारत और चीन ने पिछले एक साल में अपने परमाणु हथियारों को बढ़ाया है. (सभी फोटोः गेटी) भारत और चीन ने पिछले एक साल में अपने परमाणु हथियारों को बढ़ाया है. (सभी फोटोः गेटी)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:20 AM IST

दुनिया के नौ परमाणु-सशस्त्र देश—अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल—2024 में अपने परमाणु हथियारों को और उन्नत करने में जुटे रहे. इन देशों ने पुराने हथियारों को अपग्रेड किया और नए, अधिक शक्तिशाली हथियारों को अपनी सेनाओं में शामिल किया. यह स्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन रही है.

परमाणु हथियारों की संख्या और स्थिति

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जनवरी 2025 तक, दुनिया में अनुमानित 12,241 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से लगभग 9,614 हथियार सैन्य भंडार में उपयोग के लिए तैयार थे. करीब 3,912 हथियार मिसाइलों और विमानों पर तैनात थे, जबकि बाकी केंद्रीय भंडारण में रखे गए थे. लगभग 2,100 तैनात हथियार बैलिस्टिक मिसाइलों पर उच्च सतर्कता की स्थिति में थे, जिनमें से ज्यादातर रूस और अमेरिका के पास थे. विशेषज्ञों का मानना है कि अब चीन भी शांतिकाल में कुछ हथियारों को मिसाइलों पर तैनात रख सकता है.

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परमाणु हथियारों में कमी का दौर खत्म

शीत युद्ध के अंत के बाद, रूस और अमेरिका पुराने हथियारों को नष्ट करते रहे, जिससे वैश्विक परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आती थी. लेकिन अब यह रुझान बदल रहा है. पुराने हथियारों को नष्ट करने की गति धीमी हो रही है, जबकि नए हथियारों की तैनाती तेजी से बढ़ रही है. 

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स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के विशेषज्ञ हंस एम. क्रिस्टेनसेन ने कहा कि परमाणु हथियारों की संख्या में कमी का युग खत्म हो रहा है. अब हम परमाणु हथियारों में वृद्धि, तीखी बयानबाजी और हथियार नियंत्रण समझौतों को छोड़ने की प्रवृत्ति देख रहे हैं.

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रूस और अमेरिका: सबसे बड़े खिलाड़ी

रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90% परमाणु हथियार हैं. 2024 में दोनों देशों के सैन्य भंडार स्थिर रहे, लेकिन दोनों अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं. अगर 2010 के न्यू START समझौते, जो 2026 में खत्म हो रहा है, को फिर से रिन्यू नहीं किया गया, तो दोनों देशों की मिसाइलों पर तैनात हथियारों की संख्या बढ़ सकती है. 

अमेरिका का परमाणु आधुनिकीकरण कार्यक्रम 2024 में योजना और फंडिंग की समस्याओं से जूझ रहा था, जिससे लागत बढ़ सकती है. रूस को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि नई सरमत मिसाइल का टेस्ट विफल होना. फिर भी, दोनों देश भविष्य में अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा सकते हैं.

चीन की तेज प्रगति

SIPRI के अनुसार, चीन के पास अब कम से कम 600 परमाणु हथियार हैं. 2023 से हर साल चीन अपने हथियारों में 100 की वृद्धि कर रहा है. जनवरी 2025 तक, चीन ने 350 नई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) साइलो बनाए या लगभग पूरे कर लिए. अगर चीन इसी गति से आगे बढ़ा, तो दशक के अंत तक उसके पास रूस या अमेरिका जितनी ICBM हो सकती हैं. हालांकि, 2035 तक भी अगर चीन के पास 1,500 हथियार हो गए, तो यह रूस और अमेरिका के भंडार का केवल एक-तिहाई होगा.

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भारत और पाकिस्तान की स्थिति

भारत ने 2024 में अपने परमाणु हथियारों में थोड़ी वृद्धि की और नए डिलीवरी सिस्टम विकसित किए. भारत की नई "कैनिस्टराइज्ड" मिसाइलें, जो परमाणु हथियारों को ले जा सकती हैं, शांतिकाल में भी तैनात हो सकती हैं. कुछ मिसाइलें एक से अधिक हथियार ले जाने में सक्षम हो सकती हैं.

पाकिस्तान भी नए डिलीवरी सिस्टम विकसित कर रहा है. परमाणु सामग्री का भंडार बढ़ा रहा है. 2025 की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष हुआ, जिसने परमाणु संकट का खतरा पैदा किया. SIPRI के विशेषज्ञ मैट कोर्डा ने कहा कि यह घटना उन देशों के लिए चेतावनी है जो परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ा रहे हैं.

अन्य देशों की गतिविधियां  

  • ब्रिटेन: 2024 में ब्रिटेन ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या नहीं बढ़ाई, लेकिन भविष्य में वृद्धि की योजना है. नई सरकार ने चार नए परमाणु-पनडुब्बियों के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई.
  • फ्रांस: फ्रांस ने नई पनडुब्बियां, क्रूज मिसाइलें और मौजूदा सिस्टम को उन्नत करने का काम जारी रखा.
  • उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया के पास अब 50-58 हथियार हैं. वह 40 और बना सकता है. 2024 में उसने "टैक्टिकल परमाणु हथियार" विकसित करने की बात कही.
  • इज़राइल: इज़राइल, जो अपने परमाणु हथियारों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करता, ने 2024 में मिसाइल टेक्नीकरण और डिमोना में रिएक्टर साइट को उन्नत किया.

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हथियार नियंत्रण का संकट

SIPRI के निदेशक डैन स्मिथ ने चेतावनी दी कि रूस और अमेरिका के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण लगभग खत्म हो चुका है. न्यू START के बाद कोई नया समझौता होने के संभावना कम है. अमेरिका चाहता है कि भविष्य के समझौतों में चीन को शामिल किया जाए, जो बातचीत को और जटिल बनाता है. 

नई तकनीकों का प्रभाव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर तकनीक, अंतरिक्ष संपत्तियां और मिसाइल रक्षा जैसी नई तकनीकें परमाणु क्षमताओं को बदल रही हैं. ये तकनीकें परमाणु हथियारों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं. संकट में गलत फैसले का खतरा बढ़ा सकती हैं. स्मिथ ने कहा कि नई हथियारों की दौड़ पहले से ज्यादा जोखिम भरी है. पुराने हथियार नियंत्रण के तरीके अब काम नहीं करेंगे.

अधिक देशों में परमाणु हथियारों की चर्चा

पूर्वी एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों पर बहस तेज हो रही है. कुछ देश अपने परमाणु हथियार विकसित करने पर विचार कर रहे हैं. बेलारूस और रूस ने दावा किया कि रूस ने बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात किए हैं. यूरोप के कुछ NATO देश अमेरिकी हथियारों को अपने यहां रखने के लिए तैयार हैं. फ्रांस ने कहा कि उसके परमाणु हथियार यूरोप की सुरक्षा के लिए हैं.

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