Project-75(I): जर्मनी और भारत ने शुरू की बातचीत, देश का सबसे बड़ा रक्षा सौदा

जर्मनी की TKMS और MDL ने Project-75(I) के लिए बातचीत शुरू की है, जो भारत का सबसे बड़ा रक्षा सौदा है. छह एडवांस AIP पनडुब्बियां MDL में बनेंगी. लागत 70,000 करोड़ रुपये. यह 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देगा. नौसेना को मजबूत करेगा. TKMS तकनीक देगा. पहली पनडुब्बी 2032 में तैयार होगी.

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भारत ने 6 नई पनडुब्बियों के लिए जर्मनी से बातचीत शुरू की है. ये प्रोजेक्ट 75आई का हिस्सा है. (Photo: Representational/PTI) भारत ने 6 नई पनडुब्बियों के लिए जर्मनी से बातचीत शुरू की है. ये प्रोजेक्ट 75आई का हिस्सा है. (Photo: Representational/PTI)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:08 AM IST

भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. जर्मनी की थिसेनक्रुप मारिन सिस्टम्स (TKMS) ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के साथ Project-75(I) के लिए कॉन्ट्रैक्ट बातचीत शुरू कर दी है. यह प्रोजेक्ट छह एडवांस पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण करेगा, जो भारत का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा. इसकी लागत 70,000 करोड़ रुपये है.

Project-75(I) क्या है?

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Project-75(I) भारतीय नौसेना का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जो छह अगली पीढ़ी की पारंपरिक पनडुब्बियां बनाएगा. ये पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम से लैस होंगी, जो उन्हें लंबे समय तक पानी के नीचे रहने और चुपके से हमला करने की क्षमता देंगी. यह प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' का हिस्सा है, जिसमें 100% तकनीक हस्तांतरण (ToT) होगा. MDL मुंबई में इन पनडुब्बियों का निर्माण करेगा.

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यह सौदा अगस्त 2025 में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने मंजूर किया. वार्ता सितंबर 2025 में शुरू हुई, जो 6 महीने में पूरी हो जाएगी. पहली पनडुब्बी 2032 में तैयार हो सकती है. TKMS का डिजाइन Type 214 पर आधारित है, लेकिन इसे भारत की जरूरतों के अनुसार बदला जाएगा. लंबा हल शोर कम करेगा.

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TKMS और MDL का सहयोग

TKMS जर्मनी की प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी है, जो पनडुब्बियों में विशेषज्ञ है. MDL भारत की सरकारी कंपनी है, जो पहले स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां बना चुकी है. दोनों ने 2024 में कॉन्सेप्ट डिजाइन एग्रीमेंट (CDA) पूरा किया. TKMS के CEO ओलिवर बर्कहार्ड ने कहा कि भारत एक वैश्विक पनडुब्बी निर्माण केंद्र बनेगा. MDL के साथ हमारी साझेदारी विश्वास और इनोवेशन पर आधारित है.

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यह सौदा भारत-जर्मनी संबंधों को मजबूत करेगा. जर्मनी ने भारत को विशेष दर्जा दिया है, जो सैन्य खरीद को आसान बनाएगा. पहले L&T-नावांटिया (स्पेन) का बिड खारिज हो गया, क्योंकि उनका AIP सिस्टम समुद्री परीक्षण में पास नहीं हुआ. अब MDL-TKMS एकमात्र विकल्प है.

पनडुब्बियों की खासियतें

ये पनडुब्बियां 2000 टन वजनी होंगी, 65 मीटर लंबी और 30 नॉट (55 किमी/घंटा) की रफ्तार पकड़ेंगी. AIP सिस्टम से वे 3 हफ्ते तक पानी के नीचे रह सकेंगी. टॉरपीडो, क्रूज मिसाइल और एंटी-शिप मिसाइल लगे होंगे. ये स्टील्थ डिजाइन वाली होंगी, जो दुश्मन को चकमा देंगी.

निर्माण MDL में होगा, जिसमें 50% से ज्यादा स्वदेशी पार्ट्स होंगे. यह प्रोजेक्ट भारत की नौसेना को 2030 तक मजबूत बनाएगा. वर्तमान में भारत के पास 16 पारंपरिक पनडुब्बियां हैं, लेकिन ये पुरानी हैं. Project-75(I) नौसेना की ताकत दोगुनी करेगा.

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भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता

यह सौदा 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देगा. TKMS तकनीक हस्तांतरित करेगा, जिससे MDL भविष्य की पनडुब्बियां खुद बना सकेगी. पहले स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट में फ्रांस से तकनीक मिली, लेकिन AIP में समस्या रही. TKMS का Type 214 AIP समुद्री परीक्षण में पास है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रोजेक्ट भारत की नौसेना को आधुनिक बनाएगा. जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की 2024 यात्रा में यह मुद्दा उठा था.

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