
बिहार में हर साल बाढ़ (Flood) के कारण होने वाली तबाही के बीच मवेशी भी प्रभावित होते हैं. मवेशियों (Animals) पर पड़ने वाले को किस असर को लेकर बिहार सरकार (Bihar Government) ने एक स्कीम की शुरुआत की है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Bihar Animal And Fisheries Resources Dept) ने बाढ़ की स्थिति में मवेशियों के प्रबंधन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण घोषणा की है.
विभाग की तरफ से जो गाइडलाइन जारी की गई हैं, उसके मुताबिक किसानों को कहा गया है कि वह बाढ़ (Flood) आने की स्थिति में पशुओं को रखने की व्यवस्था उचित स्थान पर करें, जहां पर जल निकासी की उचित व्यवस्था हो जिससे पशु परिसर साफ एवं सूखा रहे और गर्मी तथा नमी जनित रोगों से पशुओं को बचाया जा सके.
विभाग ने कहा है कि किसानों को पशुशाला को साफ और स्वच्छ रखने के लिए समय-समय पर कीटनाशक का भी उपयोग करना चाहिए. पशु गृह को बहुत ज्यादा नमी से बचाने के लिए पशुशाला में चूने का छिड़काव करने की सलाह दी गई है.
विभाग ने मवेशियों को संतुलित आहार और साफ और ताजा पानी उपलब्ध कराने की सलाह दी है. इसके साथ ही विभाग ने कहा है कि बाढ़ आने की स्थिति में पानी में डूबी हुई घास और पहले से भीगा हुआ भूसा पशु और मवेशियों को चारा के तौर पर नहीं खिलाना चाहिए.

बाढ़ के समय देखा गया है कि बहुत सारे मवेशियों की मौत भी हो जाती है. जिससे इलाके में गंभीर बीमारी फैलने का भी खतरा बना रहता है. पशु एवं मत्स्य विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि मरे हुए मवेशियों का निस्तारण सावधानीपूर्वक करना चाहिए.
पशुपालन विभाग ने यह भी कहा है कि बीमार और घायल मवेशियों को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए और उपचार के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क स्थापित करना चाहिए.
बता दें कि इन दिनों बिहार में बाढ़ एक बार फिर कहर बरपा रही है. उत्तरी बिहार में कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. मोतिहारी, दरभंगा और गोपागंज में स्थिति काफी भयावह है.