बकरीद के वक्त मीट की डिमांड मार्केट में बढ़ जाती है. बकरे के व्यवसाय करने वालों के लिए ये वक्त काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. गोट फार्म मालिकों ने अपने फार्म में बकरों की संख्या को बढ़ाना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में हम आपको उन नस्ल के बकरों के बारे में बता रहे हैं, जिनके मांस की व्यवसाय मार्केट में हमेशा हाई बनी रहती है.
बरबरा बकरा- इस नस्ल के बकरे की हाइट दो से ढाई फुट तक होती है. ये बकरा काफी तगड़ा माना जाता है. 1 साल से भी कम वक्त में ये बकरा कुर्बानी देने को तैयार हो जाता है. इस बकरे का रेट 10 से 12 हजार रुपये से शुरू होती है. बकरीद के मौके पर ये रेट 50 हजार भी पार कर जाती है.
जमनापारी- मांस के व्याापार के लिए जमनापरी बकरा भी उपयुक्त माना जाता है. ये बकरा दिखने में मोटा और भारी होता है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में ये बकरा बहुतायत में पाया जाता है. इस बकरे का रेट 15 से 20 हजार रुपये है.
जखराना: ये बकरे की ऐसी नस्ल है जिसका वजन 1 साल में 25 से 30 किलो तक पहुंच जाता है. ज्यादा वजन के चलते इस बकरे से मांस भी अधिक मात्रा में मिलता है. बकरीद के मौके पर ये बकरा भी अच्छी कीमतों पर बिकता है.
सोजत: इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. . सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्र में भी खासी डिमांड रहती है. बकरीद के मौके पर इस बकरे की मांस की मांग भी बाजार में काफी हाई रहती है.
सिरोही- इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में ही पाई जाती है. ये बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल जाता है.
तोतापरी- बाजार में बिकने के लिए तैयार होने में ये बकरा कम से कम 3 साल लेता है. ये नस्ल हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर जिले में पाई जाती है. इसकी कीमत 12 से 14 हजार रुपये होती है.