कम लागत में बढ़िया मुनाफे की वजह से मछली पालन ग्रामीणों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है. बड़ी संख्या में किसान इस व्यवसाय की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इस बीच सरकार भी मछली पालन की शुरुआत करने वाले किसानों को बंपर सब्सिडी दे रही है.
मछली पालन की नई तकनीकों में मिश्रित मछली पालन बेहद लोकप्रिय हो रहा है. इस तकनीक को अपनाकर किसानों द्वारा 5 गुना ज्यादा मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है. इसमें तालाब में अलग-अलग मछलियां पाली जाती हैं. मछलियों के तालाब में पर्याप्त भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए. सही मात्रा में भोजन नहीं होने की स्थिति में मछलियों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा.
तालाब में पानी के बाहर निकलने की व्यवस्था सही होना चाहिए. किसानों को ये ध्यान देने की जरूरत है कि बारिश के पानी से मछलियों को नुकसान बिल्कुल नहीं पहुंचे. ध्यान रखें कि बाहरी मछलियों का तालाब में प्रवेश न हो पाए और तालाब की मछलियां बाहर ना जा पाएं.
इस तकनीक के तहत कतला, रोहू तथा मृगल और विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प जैसी मछलियों को एक साथ पालना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
मिश्रित मछली पालन के दौरान तालाब का पानी क्षारीय रखें. ये मछलियों की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. इस दौरान ध्यान रखें कि पानी का पीएच मान 7.5 से 8 रहना चाहिए. इन मछलियों को आहार के रूप में चावल की भूसी तथा सरसों की खल दे सकते हैं. इसके आहार के तौर पर चूरा देना भी मछलियों के विकास के लिए बेहद लाभकारी है.