फूलों का इस्तेमाल इत्र, अगरबत्ती, गुलाल, तेल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कई तरह के फूल अपने साथ औषधीय गुण लिए रहते हैं, जिससे उनका इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है. कुल मिलाकर फूलों की खेती करने वाला किसान कभी घाटे में नहीं रहता है.
भारत में गुलाब, गेंदा और सूरजमुखी जैसे फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इन फूलों की खेती के दौरान सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त होनी बेहद जरूरी है.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गेंदे के फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. गेंदे के फूल की खेती में प्रति एकड़ 30,000 रुपये का खर्च आता है. हर हफ्ते पौधों से तकरीबन 1 क्विंटल तक फूलों का उत्पादन होता है. मार्केट में ये फूल 80 रुपये किलो तक बिकते हैं. एक एकड़ में किसान आराम से 2 से 3 लाख रुपये तक का मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
गुलाब की खेती से किसान 8 से 10 साल तक लगातार मुनाफा कमा सकता हैं. इसके एक पौधे से आप तकरीबन 2 किलोग्राम तक फूल हासिल कर सकते हैं. ग्रीनहाउस और पॉली हाउस जैसी तकनीक आने के बाद इस फूल की खेती अब सालभर की जा सकती है. गुलाब के फूल के अलावा इसके डंठल भी बिकते हैं. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, एक हेक्टेयर में एक किसान आराम से 1 लाख रुपये लागत लगाकर गुलाब की खेती से 5 से 7 लाख रुपये तक का मुनाफा हासिल कर सकता है.
सूरजमुखी की फसल 90 से 100 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है. इसके बीजों में 40 से 50 फीसदी तेल पाया जाता है. बलुई और हल्की दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं. बता दें कि सूरमुखी के पौधे मधुमक्खियों के परागण की वजह से बेहद तेजी से विकास करते हैं.