यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अवद बिन मुबारक ने शनिवार को राजनीतिक संघर्षों के बीच इस्तीफा दे दिया. यह यमन में हूती विद्रोहियो के खिलाफ लड़ रहे अमेरिकी गठबंधन के लिए किसी बड़े नुकसान से कम नहीं है. यमनी प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे का ऐलान किया, और इसकी जानकारी राष्ट्रपति परिषद के प्रमुख रशाद अल-अलीमी को दी है.
अहमद अवद बिन मुबारक को फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री बनाया गया था. अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए मुबारक ने कहा कि वे राज्य संस्थानों में सुधार और कैबिनेट में जरूरी फेरबदल नहीं कर पा रहे थे. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति परिषद की तरफ से उनके इस्तीफे पर कोई प्रतिक्रया नहीं दी गई है.
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यमन के पीएम ने क्यों दिया इस्तीफा?
बताया जा रहा है कि यमनी पीएम मुबारक और परिषद के बीच महीनों से तनाव चल रहा था, और यही वजह है कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनका आरोप है कि उन्हें सरकार की आर्थिक चुनौतियों के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा था. जैसे कि बढ़ती कीमतों और बार-बार बिजली कटौती की घटनाओं के लिए मुबारक शासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था.
2014 से गृहयुद्ध में यमन
यमन 2014 से ही गृहयुद्ध में उलझा हुआ है. तब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने यमन के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया था, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को सऊदी अरब निर्वासन में जाना पड़ा था. सऊदी के नेतृत्व में बाद में अमेरिका समर्थित गठबंधन ने हूतियों के खिलाफ जंग छेड़ दी और 2015 से लगातार हूतियों के खिलाफ लड़ाई चल रही है, ताकि सरकार को पूरी तरह बहाल किया जा सके. मसलन, इसी जंग ने यमन एक प्रॉक्सी वॉर में धकेल दिया, जो आजतक इससे जूझ रहा है.
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एंटी-हूती गुट को एकजुट करने के लिए बनाई गई थी परिषद
सात सदस्यीय राष्ट्रपति परिषद को 2022 में एंटी-हूती गुट को एकजुट करने के मकसद से नियुक्त किया गया था लेकिन इसमें दो मुख्य ब्लॉकों में विभाजन हो गया है. आलम ये है कि यहां एक गुट यूनाइटेड अरब अमीरात और दूसरा ग्रुप सऊदी अरब के प्रति वहादार है. अब पीएम मुबारक ने ऐसे समय में इस्तीफा दे दिया है, जब अमेरिका ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ हमले तेज किए हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इस इस्तीफे के बाद स्थानीय शासन को किस तरह से दोबारा स्थापित किया जाता है.