1971 में जब बांग्लादेश बना तो इस जनरल की उम्र 13 वर्ष थी. जमात-ए-इस्लामी नेता गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल अमान आजमी को 13 साल में इतनी तो समझ थी कि वो ये जान पाता कि बांग्लादेश बनाने के लिए भारत ने क्या किया, क्या-क्या कुर्बानियां दी. लेकिन घर और मोहल्ले में कट्टर माहौल ने इसे हकीकत नहीं समझने दी.
अब्दुल्लाहिल अमान आजमी के पिता गुलाम आजम पर 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तान के पक्ष में काम करने का दोषी पाया है. इस पर नरसंहार के दोष साबित हुए हैं. और बांग्लादेश की ट्रिब्यूनल ने गुलाम आजम को सजा सुनाई है. इस शख्स की मौत जेल में ही हुई है.
बांग्लादेश के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत के खिलाफ जहरीली बयानबाजी से विवाद खड़ा कर दिया है. ढाका के नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में आजमी ने खुलेआम कहा, "जब तक भारत टुकड़ों में बंट नहीं जाता, तब तक बांग्लादेश को पूर्ण शांति नहीं मिलेगी."
अब्दुल्लाहिल अमान आजमी का यह बयान न सिर्फ भड़काऊ माना जा रहा है, बल्कि इसे क्षेत्रीय शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा भी बताया जा रहा है. आजमी ने भारत पर उस पर आरोप लगाए कि भारत पूर्वोत्तर भारत व बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में अलगाववादियों को मदद देता रहा, हथियार और प्रशिक्षण दिया और पाकिस्तान की तरह भारत या भारत समर्थक ताकतों का उद्देश्य बांग्लादेश और क्षेत्र में अशांति फैलाना है.
ब्रिगेडियर जनरल आजमी ने 1979 में बांग्लादेश मिलिट्री अकेडमी में दाखिला लिया. आजमी 14वीं ईस्ट बंगाल रेजिमेंट से जुड़ा रहा. इसके बाद इसकी कट्टरता और भी बढ़ गई.
उनका नाम अक्सर बांग्लादेश में हो चुके कई विवादों से जुड़ा है. 2009 में जब शेख हसीना की सरकार आई तो आजमी को बांग्लादेश आर्मी से निकाल दिया गया था. तब बांग्लादेश की सरकार ने इसकी कोई वजह भी नहीं बताई थी. बर्खास्तगी के समय इस जनरल के पास ब्रिगेडियर जनरल का पद था. आजमी की बर्खास्तगी को बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद वापस ले लिया गया.
यूनुस प्रशासन ने 26 दिसंबर 2024 को इसे रिटायर कर दिया.
अब्दुल्लाहिल अमान आजमी की शेख हसीना सरकार से कभी नहीं बनी. आजमी को बांग्लादेश पुलिस के सादे कपड़ों वाले अधिकारियों ने 24 अगस्त 2016 को बांग्लादेश के ढाका के मोघबाजार में उनके घर से हिरासत में लिया था. मौका मिलते ही आजमी हसीना सरकार की आलोचना करता था और उनके प्रशासन को भारत समर्थक बताता था.
अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत पर चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में 1975 से 1996 तक अशांति भड़काने का आरोप लगाया. इसने बेबुनियाद दावा किया कि शेख मुजीबुर रहमान सरकार के दौरान भारत ने पार्बत्या चटगांव जन संहति समिति को हथियार और ट्रेनिंग देकर समर्थन दिया, जिसकी सशस्त्र शाखा शांति बहिनी ने हिल्स में खूनखराबा किया.
रिहाई के बाद से आजमी कट्टर आवाज के रूप में उभरा है, जो सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी प्रचार फैला रहा हैं.
रिटायरमेंट के बाद आजमी सॉवरेन सिक्योरिटी काउंसिल जैसे संगठनों से जुड़ा, जो बांग्लादेश में भारत विरोधी नैरेटिव को हवा देता है.