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यूक्रेन के Enerhodar शहर में सड़क पर क्यों उतर आए लोग, क्या है यूरोप को खतरा?

Enerhodar शहर में ही यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है. रूस की सेना ने Enerhodar की ओर से कूच कर पूरे यूरोप की चिंता बढ़ा दी है.

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सड़कों पर उतर रूसी सेना को रोकने की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिक
सड़कों पर उतर रूसी सेना को रोकने की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • Enerhodar में है यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट
  • यूक्रेनियों ने सड़कों पर गाड़ियां खड़ी कर रोका रूसी सेना का रास्ता

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब खतरनाक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है. एक तरफ रूस ने परमाणु युद्ध की धमकी दी है तो दूसरी तरफ यूक्रेन पर इस तरह के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं कि वो परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश में है. अब रूस की सेना ने यूक्रेन के Enerhodar शहर की ओर कूच कर दिया है.

रूसी सेना के टैंक और बख्तरबंद वाहनों का काफिला Enerhodar की ओर बढ़ रहा है. रास्ते भर लोग रूसी सेना के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों के सामने प्रदर्शन कर उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं. रूसी सेना के Enerhodar कूच ने यूक्रेन ही नहीं, पूरे यूरोप की चिंता बढ़ा दी है. यूरोप के कई देश रूसी सेना के Enerhodar शहर पहुंचने को लेकर चिंतिंत हैं.

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दरअसल, Dnieper नदी के पास बसे Enerhodar शहर में यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट ZNPP (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant) है. यूक्रेन का ये शहर यदि रूसी सेना के कब्जे में आया तो इसका नकारात्मक असर न सिर्फ यूक्रेन, बल्कि पूरे यूरोप पर पड़ेगा. यूरोप को इससे काफी नुकसान झेलना पड़ेगा.

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Enerhodar के मेयर दिमित्रो ओर्लोव ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा है कि रूसी सेना न्यूक्लियर पावर प्लांट तक नहीं पहुंच पाए, इसके लिए शहर के लोग और पावर प्लांट के वर्कर सड़कों पर उतर आए हैं. मेयर के मुताबिक लोगों ने कचरे की गाड़ियों और अपने निजी वाहनों से रास्ते ब्लॉक कर रखे हैं. साथ ही सभी म्युनिसिपल सर्विस को इमरजेंसी मोड में रखा गया है. वहीं, सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें लोग रूसी सेना को रोक रहे हैं.

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गौरतलब है कि Enerhodar शहर में स्थित ये न्यूक्लियर पावर प्लांट पहले भी चर्चा में आया था. साल 2014 में भी इस पावर प्लांट पर खतरा मंडरा रहा था. डोनबास में 2014 की लड़ाई के समय इस न्यूक्लियर पावर प्लांट पर जब संकट गहराया, तब कई संस्थाएं सामने आई थीं और युद्ध गतिविधियों को रोकने का प्रयास किया था.

 

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