
दुनिया को दो धड़े में बांट चुके रूस और यूक्रेन युद्ध में एक ऐसे खतरनाक ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिसकी खासियत ने कई देशों को अपनी खरीदार बना लिया. किलर ड्रोन कहे जाने वाले इस यूएवी मशीन को तुर्की की डिफेंस कंपनी बायकर ने बनाया है. यूएई समेत कई देशों से ड्रोन बेचने को लेकर कंपनी की डील भी चल रही है.
खास बात है कि Bayraktar TB2 नाम का यह ड्रोन भारत को नहीं बेचा जाएगा. भारत के बदले तुर्की की कंपनी ने पाकिस्तान को यह ड्रोन देने के लिए चुना है. तुर्की का कहना है कि पाकिस्तान उसका मित्र देश है.
दरअसल, तुर्की समेत पूरा विश्व भारत और पाकिस्तान की लड़ाई को लेकर वाकिफ है. चार बार दोनों देश एक दूसरे के साथ युद्ध कर चुके हैं. ऐसे में तुर्की का साउथ एशिया में यह ड्रोन सिर्फ पाकिस्तान को बेचना एक पक्ष की सोच को दर्शा रहा है.
जबकि वैश्विक स्तर पर तुर्की समय-समय पर भारत से संबंध मजबूत करने की बात कहता भी आया है. इसके बाद भी युद्ध की स्थिति से गुजर चुके दो देशों में सिर्फ एक देश को एडवांस फीचरों से लैस सुरक्षा उपकरण बेच रहा है.
हालांकि, भारत अपना ड्रोन बनाने में खुद सक्षम है और उस पर काम भी चल रहा है. इसके अलावा भी तुर्की के सामने भारत के पास कई और खरीदारों के विकल्प मौजूद हैं.
भारत को ड्रोन बेचने पर क्या बोले ड्रोन कंपनी के सीईओ
तुर्की की डिफेंस कंपनी बायकर टेक्नोलॉजी के सीईओ हालुक बायरक्तार ने Nikkei Asia को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि हमारी कंपनी का सिद्धांत है कि हम किसी युद्ध से नहीं कमाते हैं या किसी तरह के संघर्ष में शामिल दोनों ही पक्षों को हथियार नहीं बेचते हैं.
सीईओ ने आगे कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि हम पहले मित्र देशों के साथ अपनी मजबूती साझा करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हथियार बेचने के लिए तुर्की के दोस्त देश जैसे पाकिस्तान, अजरबैजान और यूक्रेन हमारी प्राथमिकता हैं.
यूक्रेन-रूस युद्ध में दुनिया हुई टीबी-2 ड्रोन की दीवानी
रिपोर्ट्स की मानें तो तुर्की के इस किलर ड्रोन ने यूक्रेन और रूस युद्ध में जमकर तबाही मचाई और रूसी सुरक्षा उपकरणों को कमजोर साबित कर दिखाया. टीबी 2 ड्रोन ने न सिर्फ यूक्रेन की सेना की निगरानी में मदद की बल्कि रूस के कितने ही सैन्य हथियारों को तबाह कर डाला.
रिपोर्ट्स के अनुसार, बीचे अप्रेल में तो युद्ध के दौरान यह ड्रोन सीमा क्षेत्र पार करते हुए रूस पहुंच गया और वहां जाकर दो ऑयल डिपो पर हमला कर दिया. रूस और यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का असर जमकर दिखा तो दुनिया के कई देश इसकी खरीदारी के लिए तैयार हो गए. इन देशों में लीबिया, यूएई, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं. इनके अलावा भी कई देश तुर्की से यह ड्रोन खरीदने के इच्छुक हैं.
यहां तक की Daily Sabah की रिपोर्ट की मानें तो रूस भी तुर्की के ड्रोन में दिलचस्पी दिखा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन ने तुर्की के एर्दोगन से इस बारे में बात भी की थी और कहा था कि रूस बायकर कंपनी के साथ काम करने की इच्छुक है.
जब इस बारे में डिफेंस कंपनी के सीईओ हालुक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने रूस को कुछ भी डिलीवर नहीं किया और ना ही हम ऐसा करने जा रहे हैं. सीईओ ने आगे कहा कि हम इस युद्ध में यूक्रेन के साथ साथ हैं.

भारत बना रहा खुद का ड्रोन विमान
तुर्की ड्रोन बेचने के लिए हां करे या ना करें, इससे भारत को खास फर्क नहीं पड़ता है. सुरक्षा उपकरणों में भारत पहले से मजबूत स्थिति में है और कई देशों के साथ मिलकर खुद को और भी ज्यादा मजबूत कर रहा है.
सबसे खास बात है कि भारत अपना स्वदेशी ड्रोन तैयार कर रहा है, जिसे TAPAS-BH-201 ( Tactical Airborne Platform-Beyond Horizon-201) नाम दिया गया है. इस एडवांस तापस ड्रोन का इस्तेमाल सभी तरह के आर्म्ड मिशन और निगरानी के लिए किया जा सकेगा.

स्वदेशी ड्रोन और तुर्की के किलर ड्रोन में क्या फर्क ?
भारतीय ड्रोन तापस-बीएच-201 तुर्की के TB2 ड्रोन से ना सिर्फ लंबाई में बड़ा है, बल्कि स्पीड में भी तेज है. इसके साथ ही भारत का तापस तुर्की टीबी-2 ड्रोन से ज्यादा ऊंचाई पर आराम से कंट्रोल किया जा सकता है.
दोनों की खासियतों की बात करें तो TAPAS-BH-201 ड्रोन 9.5 मीटर लंबा और 20.6 मीटर चौड़ा है. इसका वजन करीब 1800 किलो है और यह 130 से 180 एचपी पावर तक जनरेट कर सकता है.
वहीं तापस की टॉप स्पीड की बात करें तो तपस 224 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. इसके साथ ही तापस 35 हजार फीट की ऊंचाई पर 24 घंटे तक टिक सकता है. वहीं करीब 1000 किलोमीटर की इसकी रेंज है.
दूसरी ओर तुर्की के किलर Bayraktar TB2 Drone को कंट्रोल करने की रेंज 4 हजार किलोमीटर है. इसका 105 एचपी का इंजन है. टेक ऑफ के 27 घंटे बाद तक यह हवा में टिका रह सकता है.
स्पीड की बात करें तो यह 130 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 222 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. वहीं समुद्री स्तर से यह ड्रोन 18 हजार से 25 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है.
भारतीय आर्मी चला रही Him Drone-a-thon प्रोग्राम
पिछले कुछ सालों तक भारत ड्रोन निर्माण में ज्यादा आगे नहीं बढ़ रहा था. चीन से ही भारत की अधिकतर सप्लाई हो रही थी. लेकिन पिछले तीन सालों में ही काफी फर्क देखने को मिला है. तीन सालों के अंदर भारत की ड्रोन इंडस्ट्री 80 करोड़ से 900 करोड़ तक पहुंच गई है.
स्वदेशी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए इंडियन आर्मी ने भी 8 अगस्त 2022 को ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर Him Drone-a-thon प्रोग्राम लॉन्च किया है. इंडियन आर्मी की यह पहल रक्षा उपकरणों के निर्माण में मेक इन इंडिया का विस्तार करने के लिए है. इससे भारतीय ड्रोन इकोसिस्टम के लिए मौके बढ़ेंगे.
भारतीय आर्मी के इस प्रोग्राम के लान्च के बाद भारत ने अमेरिका के साथ उस ड्रोन डील को भी स्थगित कर दिया, जिसमें यूएस की ओर से 30 एडवांस फीचरों से लैस ड्रोन भारत भेजे जाने थे. यह डील करीब 3 बिलियन डॉलर पहुंच सकती थी, जो एक महंगा सौदा है.